अनूठा रावण दहन: पहले गोलियां बरसा कर दशानन की सेना का खात्मा, फिर मशाल बाण से लंकेश…
October 24, 2023Ravan Dahan 2023: दादूपंथी समाज के इस अनूठे दशहरा महोत्सव में रावण की सेना भी देखने लायक होती है. यहां मिट्टी से बने असंख्य मटके रखे जाते हैं.
झुंझुनूं. जिले के उदयपुरवाटी कस्बे का रावण दहन प्रदेश का अनूठा दहन है. यहां दशहरे के दिन रावण के पुतले के साथ उसकी सेना पर बंदूकों से अंधाधूंध गोलियां बरसाई जाती हैं. पहले सेना का खात्मा किया जाता है और अंत में मशाल बाण से रावण के पुतले को जलाया जाता है. रावण दहन से पहले बंदूकों से गोलियां बरसाने की दादू पंथी समाज की यह परंपरा करीब सवा सौ साल से चली आ रही है.
यह परम्परा उदयपुरवाटी के जमात क्षेत्र में बसे दादूपंथी समाज के लोगों द्वारा निभाई जाती है. इसमें स्थानीय नगरपालिका भी सहयोग करती है. इसे देखने उदयपुरवाटी ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों से भी हजारों लोग एकत्रित होते हैं.
नवरात्र स्थापना के साथ ही शुरू हुआ दशहरा उत्सव
दशहरा उत्सव संयोजक घनश्याम ने बताया कि नवरात्र स्थापना के साथ ही दादूपंथियों का दशहरा उत्सव शुरू हो जाता है. जमात स्कूल में स्थित बालाजी महाराज के मंदिर में ध्वज फहराकर महोत्सव की शुरुआत की जाती है. नौ दिन चलने वाले दशहरा उत्सव में विभिन्न आयोजन होते हैं. दादू मंदिर में दादूवाणी के अखंड पाठ होते हैं. नवरात्र के पहले दिन परंपरागत तरीके से चांदमारी क्षेत्र में बंदूकों से रिहर्सल की जाती है.
इसके बाद शस्त्र पूजन, कथा प्रवचन होते हैं. उत्सव के तहत विजय पताका फहराने के लिए रणभेरी, नोबत, ढोल, ताशा व झांझ बजने शुरू हो जाते हैं. दशहरा उत्सव के दौरान प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती व दादूवाणी के पाठ, चांदमारी की रस्म, श्री दादू मन्दिर एवं बालाजी मन्दिर में विशेष आरती होती रहती है. इस दौरान रसोईपूजा, चादर दस्तूर, सवामणी-प्रसाद, अधिवेशन जैसे कार्यक्रम होते हैं.
रावण की सेना भी देखने लायक
दादूपंथी समाज के इस अनूठे दशहरा महोत्सव में रावण की सेना भी देखने लायक होती है. यहां मिट्टी से बने असंख्य मटके रखे जाते हैं. इन्हें सफेद कलर से पुतवाकर उन्हें सजीव बनाया जाता है. इन मटकों को एक दूसरे के ऊपर इस तरह से रखा जाता है कि रावण के दोनों तरफ असली में सेना ही नजर आती है. सबसे पहले सेना को ही गोलियों से छलनी किया जाता है. इसके बाद रावण के पुतले का दहन किया जाता है.
दांतारामगढ़ से आकर उदयपुरवाटी के जमात में बसे थे दादूपंथी
पांचों अखाड़ों के थामायत व मंत्री के अनुसार जयपुर के महाराजा मानसिंह ने दादूपंथियों को सात जमात में बांटा था. सबसे बड़ी जमात को उदयपुरवाटी में बसाया गया था. यहां पर काफी सालों से दशहरा उत्सव मनाया जाता है. बाकी छह जमात भी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में इस परम्परा का निर्वहन करती हैं.
उदयपुरवाटी दादूपंथी समाज व नगरपालिका के संयुक्त तत्त्वावधान में होने वाले इस महोत्सव में सर्व समाज के लोग हिस्सा लेते हैं. दस दिन तक चलने वाले इस महोत्सव के लिए दशहरा उत्सव प्रबंध समिति की देखरेख में जमात स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में तैयारियां होती हैं.