GANESH CHATURTHI 2023:आइए जानें कि महाराष्ट्र की ही गणेश चतुर्थी क्यों है इतनी प्रसिद्ध।
September 15, 2023Ganesh Chaturthi 2023: ऐसे तो गणेश चतुर्थी सम्पूर्ण हिंदू धर्म के लिए एक अति महत्वपूर्ण त्योहार है। जिसे देश के हर कोने में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद में मनाया जाता है। लोग घर में गणेश जी की मूर्ति लाते हैं, उनका भव्य दर्शन पूजन करते हैं और फिर दस दिन के बाद विसर्जित कर देते हैं।
लेकिन कभी आपने ये गौर किया है कि गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र, गोवा और तेलंगाना जैसे शहरों में अधिक लोकप्रिय है। यहां गणेश जी के बड़े-बड़े पंडाल लगते हैं। हर एक घर में गणेश जी की प्रतिमा भव्य स्वागत कर के लाई जाती है। पूरा मुंबई शहर गणेश चतुर्थी के रस में सरोकार रहता है।
सिर्फ इन्हीं शहरों में क्यों रहती है धूम?
आइए जानें कि महाराष्ट्र की ही गणेश चतुर्थी क्यों है इतनी प्रसिद्ध।
- गणेश चतुर्थी का पर्व मुंबई और पुणे में एक सामाजिक त्योहार के रूप में मनाया जाता रहा है। इसे गणेश उत्सव भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश जी के जन्म को त्योहार की तरह मनाते हैं और गणेश जी को गणपति बप्पा कहते हैं।
- यह 11 दिन तक चलने वाला त्योहार है, जिसमें सभी अपने घरों में गणेश जी की प्रतिमा लेकर आते हैं और पूजन के बाद विसर्जित करते हैं।
- देश भर में मनाए जाने के अलावा इस त्योहार की चकाचौंध मुंबई और पुणे में कुछ अलग ही होती है। गणेश जी के बड़े पंडाल, भव्य आरती और भव्य श्रृंगार इसका हिस्सा बनते हैं।
- पेशवा युग में मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में, महाराष्ट्र के हर गांव और हर घर में गणपति बप्पा की पूजा होती थी क्योंकि गणेश जी पेशवा के कुल देवता थे।
- समय के साथ इनके साम्राज्य में गिरावट होने के साथ गणपति उत्सव में भी गिरावट हो गई।
- लेकिन फिर आजादी की जंग लड़ने वाले लोकमान्य तिलक ने इस उत्सव को फिर से शुरू करने का प्रयास किया।
- वर्तमान में होने वाले गणेश उत्सव की शुरुआत 1892 में हुई जब पुणे निवासी कृष्णाजी पंत मराठा द्वारा शासित ग्वालियर गए। वहां उन्होंने पारंपरिक गणेश उत्सव देखा और पुणे वापस आकर अपने मित्र बालासाहब नाटू और भाऊ साहब लक्ष्मण जावले जिन्हें भाऊ रंगारी के नाम से भी जाना जाता था, उनसे इस बात का जिक्र किया।
- भाऊ साहब जावले ने इसके बाद पहली गणेश मूर्ति की स्थापना की।
- लोकमान्य तिलक ने 1893 में अपने अखबार केसरी में जावले के इस प्रयास की प्रशंसा की और अपने कार्यालय में गणेश जी की बड़ी मूर्ति की स्थापना की।
- इनके प्रयास से ही यह पारंपरिक त्योहार एक भव्य सुसज्जित सामाजिक त्योहार बनता गया।
- तिलक ने ही पहली बार गणेश जी की सामाजिक तस्वीर और मूर्ति जनता में लगाई और दसवें दिन इसे नदियों में विसर्जित करने की परंपरा बनाई। जिसके बाद बड़े-बड़े गणेश उत्सव हर जाति धर्म के लोगों को मिलाकर भव्य मैदानों और पंडालों में होने लगे जिससे सभी भारतीयों में एकता होने लगी क्योंकि ब्रिटिश द्वारा इस तरह एक जगह एकत्रित होने पर प्रतिबंध था। गणेश उत्सव के सामने ये प्रतिबंध काम नहीं करते।
- तिलक ने गणेश जी को ‘सबके भगवान’ कहा और गणेश चतुर्थी को भारतीय त्योहार घोषित किया।