जनजातीय समुदाय हमारे देश का शौर्य है: उपराष्ट्रपति

जनजातीय समुदाय हमारे देश का शौर्य है: उपराष्ट्रपति

November 17, 2024 Off By NN Express

उपराष्ट्रपति ने जनजातीय संस्कृति के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान का आह्वान किया

नई दिल्ली । भारत के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ ने कहा कि जनजातीय समुदाय हमारे देश का शौर्य है। उन्होंने कहा कि जनजातीय संस्कृति और धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा, “जनजातीय संस्कृति का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “मैं जहां भी जाता हूँ, मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ जनजाति की शैली, उनकी संस्कृति, उनका म्यूजिक, उनकी जनजातीय विशेषताएं, उनकी प्रतिभा, खेल हो चाहे कुछ भी हो।”

वनवासी कल्याण आश्रम विद्यालय प्रांगण, उदयपुर में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने सांस्कृतिक अखंडता पर मंडराने वाले खतरों के बारे में चेताया। उन्होंने कहा, “सुनियोजित तरीके से प्रलोभन देकर जनजातियों की आस्था को बदलने की कोशिश हो रही है। मैं इसे एक कुप्रयास मानता हूँ। चिकनी-चुपड़ी बातें करके, हमारा हितैषी बनकर, हमें लालच देकर, हमें लुभाकर, हमारी आस्था को बदलने की कोशिश हो रही है। हमारी सांस्कृतिक धरोहर हमारी नींव है। जब नींव हिल जाएगी तो कोई भी इमारत सुरक्षित नहीं है। सुनियोजित तरीके से, षड्यंत्रकारी तरीके से, प्रलोभन देकर आकर्षण करने की प्रक्रिया जो मैं देख रहा हूँ देश में उस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। जनजातीय वर्ग हमारे भारत का शौर्य है।”

उप राष्ट्रपति ने भगवान बिरसा मुंडा के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भगवान बिरसा मुंडा जी ने देश की आज़ादी के लिए, जनजाति के लिए, मिट्टी के लिए जो किया वो अकल्पनीय है। वो वह व्यक्ति थे जिन्होंने हमें ये कहा ‘जल, जंगल, जमीन’—ये शब्द नहीं हैं ये जीवन शैली है।” उन्होंने बताया कि ये शिक्षाएं स्थायी जीवन और पर्यावरण के प्रति सम्मान का महत्व बताती हैं।

आदिवासी समुदाय वह है जो अपनी जरूरत से एक कण भी ज्यादा नहीं लेता। आदिवासी लोग हमें सिखाते हैं कि पर्यावरण क्या है, स्वदेशी जीवन क्या है, परिवार का क्या मतलब है और एक व्यक्ति का कर्तव्य क्या है।

उप राष्ट्रपति ने कहा, “द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रपति पद पर आसीन होना जनजातीय गौरव का प्रतीक है।” उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र की समावेशिता और विविधता का प्रतीक बताया।

भारत के विकास पर चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “अब भारत बदल गया है । आर्थिक दृष्टि से ऊंचा उठ रहा है। विकास की गंगा बह रही है। दुनिया में नाम हो रहा है, क्योंकि अमृत काल में हमने अमृत को पहचाना है। हमने उनका सम्मान चालू कर दिया है और इसलिए प्रधानमंत्री की सोच 15 नवम्बर हर वर्ष बिरसा मुंडा जी की जन्म जंयती, राष्ट्रीय जनजातीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। मेरा आह्वान होगा आप सभी को, संकल्प लें, इन महापुरुष को समझें, इनके कृत्य को आदर्श माने और हमेशा राष्ट्रवाद को सर्वोपरि रखे।”