छत्तीसगढ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया मार्गशीर्ष (अगहन) मास में कैसा रहे खान-पान कैसी रहे दिनचर्या..

छत्तीसगढ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया मार्गशीर्ष (अगहन) मास में कैसा रहे खान-पान कैसी रहे दिनचर्या..

November 16, 2024 Off By NN Express
  • मार्गशीर्ष (अगहन) में जीरे का न करें सेवन- डॉ.नागेन्द्र शर्मा।
  • मार्गशीर्ष (अगहन) मास में वसायुक्त भोजन एवं शहद का सेवन का सेवन हितकारी- डॉ.नागेन्द्र शर्मा।

कोरबा, 16 नवंबर । हिंदी मासानुसार मार्गशीर्ष (अगहन) माह का आरंभ 16 नवंबर 2024 शनिवार से हो गया है। जो 15 दिसंबर 2024 रविवार तक रहेगा। आयुर्वेद अनुसार प्रत्येक माह में विशेष तरह के खान-पान का वर्णन किया गया है जिसे अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं।

इसी विषय पर छत्तीसगढ़ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ी वैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया की भारतीय परंपरा में ऋतुचर्या यानी ऋतुनुसार आहार-विहार करने की परंपरा रही है। यह संस्कार हमें विरासत में मिला है। अभी मार्गशीर्ष (अगहन) मास का आरम्भ 16 नवंबर 2024 शनिवार से हो गया है। जो 15 दिसंबर 2024 रविवार तक रहेगा। इस अंतराल में हमें अपने आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये। मार्गशीर्ष (अगहन) मास में शीतल हवाएँ बहती हैं। वातावरण भी शीतल हो जाता है। जिसके कारण मार्गशीर्ष (अगहन) मास में कफ का संचय और वात दोष का प्रकोप होता है। जिससे वातकफ जन्य रोग संधिशूल, संधिशोथ, श्वास-कास, प्रतिश्याय, वातश्लैष्मिक ज्वर एवं त्वचा संबंधी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। इस मास में हमारी जठराग्नि तीव्र होती है जिससे हमारी पाचन शक्ति अच्छी हो जाती है। ऐसे में हमे स्निग्ध खाद्य पदार्थों, अम्ल तथा लवण रस वाले और शरीर में ऊर्जा प्रदान करने वाले पौष्टिकता से युक्त आहार का सेवन करना चाहिये।

वातवर्धक खाद्य पदार्थों, अतिशीत खाद्य पदार्थ, रुक्ष एवं लघु आहार तथा कटु तिक्त कषाय रस युक्त आहार से परहेज करना चाहिये। इस माह में जीरे का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिये इससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं। इस माह में वसायुक्त भोजन एवं शहद का सेवन करना हितकारी होगा। मार्गशीर्ष (अगहन) माह ऋतुनुसार हेमंत ऋतु में आता है यह शक्ति को संचय करने की ऋतु मानी गई है। अत: इस माह मे आयुर्वेदिक रसायन औषधि यथा च्यवनप्राश, अश्वगंधा, आंवला, शतावर आदि का प्रकृति एवं नियमानुसार सेवन कर वर्षभर के लिये शक्ति को संचित कर वर्षभर आरोग्य रहा जा सकता है।


जीवनशैली-
क्या करें- अभ्यंग (तेल मालिश), आतप स्नान (धूप सेवन) करना चाहिये। यथाशक्ति शारीरिक व्यायाम करना चाहिये । शरीर को ढककर रखना चाहिये। हल्के गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिये।

क्या न करें- इस माह में दिन मे शयन करने से, रात्रि जागरण करने से, ठंडे पेय पदार्थों के सेवन से,भूखे रहने से, नपा तुला भोजन करने से एवं तीव्र हवाओं के संपर्क में आने से बचाव करना चाहिये।