हल्दी में है वात, पित्त तथा कफ तीनों प्रकार के विकारों को ठीक करने की शक्ति
April 8, 2024अदरक की तरह हल्दी भी पौधे की कन्द की गांठों से प्राप्त होती है। एक विशेष क्रिया के द्वारा हल्दी में पर्याप्त रंग तथा गंध उत्पन्न की जाती है। पहले गांठों को पानी में तब तक उबाला जाता है जब तक कि वह नरम न हो जाए। चटक रंग के लिए पानी को सोड़ा या चूना डालकर क्षारीय कर लिया जाता है। अच्छी तरह से पकी हुई गांठों को पालिश किया जाता है तो इन्हें पीस कर हल्दी पाउडर बना लिया जाता है। करक्यूमिन नामक पिगमेंट के कारण हल्दी का रंग पीला होता है।
100 ग्राम हल्दी में लगभग 6.3 ग्राम प्रोटीन होता है। जबकि ऊर्जा लगभग 349 किलो कैलौरी होती है। परन्तु पोषण की दृष्टि से हल्दी का ज्यादा महत्व नहीं है क्योंकि दिन भर में हल्दी की जो मात्रा हमारे भोजन में प्रयोग की जाती है वह बहुत ही थोड़ी लगभग 2 से 5 ग्राम ही होती है। हल्दी एक महत्वपूर्ण औषधि है। परन्तु अकसर लोग जानकारी के अभाव के कारण इससे पूरा लाभ नहीं उठा पाते।
वात, पित्त तथा कफ तीनों प्रकार के विकारों को ठीक करने की शक्ति हल्दी में होती है। गरम दूध में हल्दी डालकर पिलाने से रोगी को खांसी से आराम मिलता है। हल्दी की छोटी सी गांठ को यदि सेंक कर रात को सोते समय मुंह में रखा जाए तो भी जुकाम-खांसी में लाभ मिलता है। दो ग्राम हल्दी के चूर्ण में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर, मुंह में डालकर ऊपर से गर्म पानी पीने से खांसी का प्रकोप नष्ट हो जाता है। रात को गर्म दूध में हल्दी डालकर पीने से दबी आवाज खुल जाती है और गला भी हल्का हो जाता है। इसी दूध में एक चम्मच घी मिला देने पर खांसी जुकाम पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। बढ़े हुए टांसिल पर हल्दी लगाने से लाभ मिलता है।