छत्तीसगढ़: हड़ताल पर बैठे एम्स के ठेका कर्मचारी, प्रबंधन पर लगाया यह आरोप…
January 23, 2024
रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में एक बार फिर से ठेका कर्मियों ने हंगामा शुरू कर दिया हैं। वे कामकाज छोड़ हड़ताल पर जा बैठे हैं। एकसाथ इतने सारे कर्मियों के काम बंद करने से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई हैं। यहां कार्यरत 500 ठेका कर्मचारी काम का बहिष्कार कर हड़ताल पर बैठ गए है। इन का एम्स प्रबंधन पर आरोप है कि, वे आउटसोर्सिंग कंपनी के माध्यम से 10-10 साल से नौकरी कर रहे है, लेकिन उन्हें अकारण नौकरी से हटाया जा रहा है।
दरअसल पिछले दिनों एम्स की तरफ से आउटसोर्सिंग के उलट रेग्युलर कर्मियों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए विज्ञापन भी प्रकाशित किया गया था। एम्स प्रबंधन ने इसके साथ ही संविदा की सेवा ख़त्म करने के संकेत दिए थे। एम्स के इस फैसले से उन कर्मियों के भविष्य पर सवाल उठने लगे थे जो यहाँ संविदा के तौर पर सेवारत थे। ये सभी कर्मी प्रबंधन द्वारा विज्ञापन प्रकाशित किये जाने का भी विरोध भी किया हैं। हड़ताल में जानें वालों में हॉस्पिटल अटेंडेंट, अकाउंटेंट, लैब टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट, स्टोर कीपर कम क्लर्क और ऑफिस अटेंडेंट के काम में नियोजित संविदा कर्मी हैं।
आउटसोर्सिंग पर कार्य कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि, एम्स रायपुर द्वारा मिशन रिकूटमेंट के तहत जिन पदों पर आऊटसोर्स कर्मचारी हैं उन्हीं पदों कि नियमित भर्ती की गई और एम्स रायपुर द्वारा कार्यालय आदेश जारी किया गया हैं, जिसमें नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति के पहले आऊटसोर्स कर्मचारियों की सेवा बंद करने का आदेश जारी किया गया है और एम्स प्रशासन द्वारा हमारे अनुभव और सेवाओं को अनदेखा किया जा रहा है।
कर्मचारियों ने बताया कि, मिशन रिकूटमेंट के तहत जहां एक तरफ रोजगार देने की बात की जा रही हैं, वही दूसरी ओर एम्स प्रशासन के द्वारा वर्षों से कार्यरत आऊटसोर्स कर्मचारियों को बेरोजगार किया जा रहा हैं, जिससे हम कर्मचारियों में असंतोष और भय व्याप्त हैं कि हम अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे। जानकरी के मुताबिक इन कर्मचारियों ने एम्स निदेशक से भी इस मुद्दे पर बातचीत की लेकिन जब कोई रास्ता नहीं निकला तो कर्मचारी हड़ताल पर बैठ गए है। इन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से ओपीडी और आईपीडी की सेवाएं ठप हो गई हैं, जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल पिछले दिनों एम्स की तरफ से आउटसोर्सिंग के उलट रेग्युलर कर्मियों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए विज्ञापन भी प्रकाशित किया गया था। एम्स प्रबंधन ने इसके साथ ही संविदा की सेवा ख़त्म करने के संकेत दिए थे। एम्स के इस फैसले से उन कर्मियों के भविष्य पर सवाल उठने लगे थे जो यहाँ संविदा के तौर पर सेवारत थे। ये सभी कर्मी प्रबंधन द्वारा विज्ञापन प्रकाशित किये जाने का भी विरोध भी किया हैं। हड़ताल में जानें वालों में हॉस्पिटल अटेंडेंट, अकाउंटेंट, लैब टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट, स्टोर कीपर कम क्लर्क और ऑफिस अटेंडेंट के काम में नियोजित संविदा कर्मी हैं।
आउटसोर्सिंग पर कार्य कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि, एम्स रायपुर द्वारा मिशन रिकूटमेंट के तहत जिन पदों पर आऊटसोर्स कर्मचारी हैं उन्हीं पदों कि नियमित भर्ती की गई और एम्स रायपुर द्वारा कार्यालय आदेश जारी किया गया हैं, जिसमें नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति के पहले आऊटसोर्स कर्मचारियों की सेवा बंद करने का आदेश जारी किया गया है और एम्स प्रशासन द्वारा हमारे अनुभव और सेवाओं को अनदेखा किया जा रहा है।
कर्मचारियों ने बताया कि, मिशन रिकूटमेंट के तहत जहां एक तरफ रोजगार देने की बात की जा रही हैं, वही दूसरी ओर एम्स प्रशासन के द्वारा वर्षों से कार्यरत आऊटसोर्स कर्मचारियों को बेरोजगार किया जा रहा हैं, जिससे हम कर्मचारियों में असंतोष और भय व्याप्त हैं कि हम अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे। जानकरी के मुताबिक इन कर्मचारियों ने एम्स निदेशक से भी इस मुद्दे पर बातचीत की लेकिन जब कोई रास्ता नहीं निकला तो कर्मचारी हड़ताल पर बैठ गए है। इन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से ओपीडी और आईपीडी की सेवाएं ठप हो गई हैं, जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।