इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में CCA Activity के अंतर्गत आयोजित किया गया सोलो डांस प्रतियोगिता
October 15, 2022कोरबा, 15 अक्टूबर I मानवीय अभिव्यक्तियों का रसमय प्रदर्शन है नृत्य। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ। बालक जन्म लेते ही अपनें हाथ पैर मार कर अपनी अभिव्यक्ति करता हैं कि वह भूखा है इन्ही आंगिक कियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। भारतीय संस्कृति एवं धर्म आरंभ से ही मुख्यतः- नृत्यकला से जुडे़ रहे। यह मनोरंजन तो है ही साथ ही यह हमारे सारे थकान व अवसादो को दूर करता है। नृत्य की इन विशेष महत्वों को देखते हुए ही आज विद्यालय स्वर पर भी बच्चों को नृत्य की शिक्षा दी जाती है। परंतु केवल शिक्षा देना ही काफी नहीं होता गुरू द्वारा दी गई शिक्षा को छात्र ने कितना ग्रहण किया इसे जांचने हेतु समय-समय पर उसका आंकलन करना भी आवश्यक होता है। भारतीय धर्मों में नृत्य का महत्व पौराणिक काल से रहा है। डांस (नृत्य) को प्रमुख रूप से शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य में विभाजित किया जा सकता है। लेकिन आजकल यह केवल मनोरंजन का साधन बनकर रह गया है। वर्तमान में डांस के प्रति बढ़ते क्रेज ने इसे पैसा कमाने का जरिया बना दिया है। कई टीवी चैनलों और फिल्म इंडस्ट्री ने इसको काफी बढ़ावा दिया, इस वजह से हर कोई बड़े-बड़े कोरियोग्राफर से डांस सीखकर फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने चाहते हैं। किसी भी धार्मिक या
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत नृत्य से ही की जाती है। आज इसका महत्व इतना बढ़ गया है कि इसका आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर किया जाता है। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान रखने योग्य बात यह है कि आप डांस के प्रति जितना ज्यादा समर्पित होंगे, जीवन में उतनी ही ऊंचाइयां प्राप्त कर सकते हैं। डांस की दुनिया में कदम रखने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। आपका इस कला के प्रति पूर्णतया आत्मविश्वास, लगन और समर्पण होना बहुत जरूरी है। आपको अपने गुरु का सम्मान करना आना चाहिए। गुरु जैसे-जैसे डांस स्टेप्स बताते है उसकी हूबहू नकल करने की क्षमता का होना बहुत जरूरी है। साथ ही इशारों का अर्थ भी समझने की क्षमता और तत्परता का होना जरूरी होता है। नृत्य का हमारे जीवन में विशेष महत्व होता है । इंसान कितना ही तनाव ग्रस्त हो, कितना ही परेशान हो पर नृत्य को देखकर गानों की धुन पर अनायास ही उसके पैर थिरकने लगते हैं, और सारे अवसाधों को भुलाकर वह नृत्य की भाव भंगिमा में मदहोश हो जाता है । नृत्य की अनेक विधाओं में नित प्रतियोगिताएँ होती रहती है ।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में कक्षा नर्सरी,एलकेजी,यूकेजी छठवीं,सातवीं एवं आठवीं के बालक बालिकाओं के लिए एकल नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था । छोटे बच्चों के लिए डांस का थीम पुराने गीतों को रखा गया था, जिसमें मुख्य रूप से नर्सरी के विद्यार्थियों के लिए 2012 से 2022,एलकेजी के विद्यार्थियों के लिए 2001 से 2012 तथा यूकेजी के विद्यार्थियों के लिए 1980 से 2000 तक के गीतों का चुनाव किया गया था।वहीं माध्यमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों ने आधुनिक गानों सहित 90 के दशक के गानों पर मनभावन नृत्य किया।
इस नृत्य प्रतियोगिता में छोटे बच्चों के लिए निर्णायक की भूमिका श्रीमती सीमा सरकार (प्री प्राइमरी एवं प्रायमरी शैक्षणिक प्रभारी)तथा हरी सारथी सर (नृत्य प्रशिक्षक) ने निभाया तथा मिडल क्लास के डांस कंपटीशन हेतु निर्णायक की भूमिका श्रीमती रूमकी हलदर एवं कु0 यामिनी मैडम ने निभाया। पूरे कार्यक्रम के सफल संचालन में विद्यालय के शिक्षकों का विशेष सहयोग रहा।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि पाठ्य क्रियाओ के साथ पाठ्येत्तर क्रियाओं का भी बाल्यकाल मे विशेष महत्व होता है। बच्चों को मंच दियें जाने से वे अपनी कलाओं और अपनी भावनाओं को समूह के सामने व्यक्त करने का गुण सीखते हैं। नृत्य विधा के बारे में डॉ. गुप्ता ने कहा कि नृत्य मनोरंजन के साथ हमें मानसिक तनाव से भी मुक्त करता हैं।