Vande Bharat : लोगों की भलाई या रेलवे को नुकसान? जानें क्यों कम हो रहा वंदे भारत का किराया
July 10, 2023हाल ही में रेलवे ने देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस की कुछ ट्रेनों के किराए में कटौती करने का ऐलान किया है. रेलवे के मुताबिक इससे कई लोगों को फायदा होने का अनुमान है. कम किराया रहेगा तो सभी इससे सफर कर सकेंगे. मगर अभी वंदे भारत ट्रेन चलने से लग रहा है कि रेलवे को कुछ खास फायदा नहीं हो रहा है. तो ऐसे में सवाल उठता है क्या सच में रेलवे लोगों के हित के लिए वंदे भारत के किराये में कटौती कर रही है.
बता दें, अभी वंदे भारत का किराया सभी केटेगरी के लोगों के लिए अनुकूल नहीं है. इसी वजह से रेलवे इस ट्रेन को सभी लोगों के लिए अनुकूल बनाने के लिए किराये में कटौती करने का विचार कर रहा है. लेकिन इसके पीछे कुछ और भी कारण हैं तो आइए हम बताते हैं ट्रेन का किराया कम करने के पीछे क्या कारण है…
इस वजह से कम हो सकता है किराया
रेलवे के मुताबिक, फिलहाल में छोटे रूट की ट्रेनों को छोड़कर सभी ट्रेनें अपनी फूल कैपेसिटी से चल रही हैं. छोटे रूट वाली ट्रेनों में कम लोग सफर कर रहे हैं. ऐसे में रेलवे इन रूट्स की ट्रेनों के किराये पर विचार कर बदलाव कर सकता है. बता दें, वंदे भारत की सबसे कम दूरी वाली ट्रेन 3 घंटे और सबसे ज्यादा लंबी ट्रेवल टाइम वाली ट्रेन 10 घंटे की है. जो ट्रेनें 3 घंटे का समय ले रही हैं लोग उनसे सफर करना कम पसंद कर रहे हैं.
कम ऑक्यूपेंसी वाली ट्रेनें लिस्ट में शामिल
जब से वंदे भारत ट्रेन लॉन्च हुई है रेलवे ने देखा कि कुछ रूट्स पर इसके कई कोच खाली रहते हैं. वहीं, ये समस्या कम दूरी वाली रूट्स की वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में ज्यादा देखी गई है. ट्रेनों की सीट पूरी तरह से न भरने के लिए रेलवे को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में रेलवे उन ट्रेनों का किराया कम करने पर विचार कर रहा है. जिन ट्रेनों की ऑक्यूपेंसी कम है और लोग नहीं जा रहे हैं. रेलवे इन ट्रेनों का किराया कर सकता है. इस लिस्ट में इंदौर-भोपाल, भोपाल-जबलपुर समेत नागपुर-बिलासपुर रूट की ट्रेन शामिल हैं.
जानकारी के मुताबिक, भोपाल-इंदौर वंदे भारत में केवल 29 फीसदी ऑक्यूपेंसी और इंदौर-भोपाल वंदे भारत एक्सप्रेस की रिटर्न ट्रेन में 21 फीसदी ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई है. इन दोनों शहरों के बीच ट्रेवल टाइम तीन घंटे से भी कम का है. ऐसे में इस रूट के लिए ट्रेन का किराया काफी ज्यादा है तो रेलवे इसे कम करने पर विचार कर सकता है.