अनिल अंबानी पर भारी पड़ी अमेरिकी फाइनेंसर की शिकायत, अब डिफॉल्ट होगी कंपनी!
June 20, 2023एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी के छोटे भारी अनिल अंबानी का बुरा समय खत्म होने नाम नहीं ले रहा है. उनकी एक के बाद एक कंपनियां डूबती जा रही है. कभी उन्हें खुद अपनी कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में लेकर जाना पड़ता है तो कभी दूसरी कंपनी उन्हें इस प्रोसिडिंग्स में खींचकर ले आती है. ऐसा ही एक मामला देखने को मिला है रिलायंस इनोवेंचर्स के साथ.
अनिल अंबानी की इस कंपनी को एनसीएलटी में लाकर और इंसॉल्वेंसी प्रोसिडिंग्स में एंट्री कराई गई है. वास्तव में अमेरिकी फायनेंसर जेसी फ्लावर ने लोन डिफॉल्ट करने करने को लेकर अनिल अंबानी की कंपनी को एनसीएलटी में लेकर आई है. पिछले साल दिसंबर के महीने में यूएस बेस्ड फाइनेंसर ने यस बैंक से 48 हजार करोड़ रुपये का बैड लोन लिया था. जिसमें अनिल अंबानी का लोन भी शामिल था.
पेमेंट का किया है डिफॉल्ट
इकोनॉमिक टाइम्स कर रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इनोवेंचर्स ने साल 2015 और 2017 में यस बैंक से लोन लिया था. जिसके बाद यस बैंक ने रिलायंस इनोवेंचर्स का करीब 1000 करोड़ रुपये का लोन जेसी फ्लावर्स को सुपुर्द कर दिया. यस बैंक की ओर से टर्म लोन और नॉन-कनवर्टीबल डिबेंचर्स के रूप में दिया था. जेसी फ्लावर्स ने कहा कि अनिल अंबानी की रिलायंस इनोवेंचर्स ने 100 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना था जो रिलायंस ने डिफॉल्ट किया है. ईटी रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस इनोवेंचर्स किसी भी तरह के डिफॉल्ट से मना किया है.
कंपनी का दावा
इनोवेंचर्स की ओर से दावा किया है कि उन्होंने फाइनेंस कंपनी को कॉलेटरल किया है वह उसके लोन को पूरी करने के लिए काफी है. इसने दावा किया कि लेनदार ने रिलायंस ग्रुप की चार कंपनियों के शेयरों की गैर जरूरी समय पर सेल कर दिया था जिसकी वजह उन कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली थी.
रिलायंस इनोवेंसर्च के अनुसार रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस पॉवर, रिलायंस कैपिटल, और रिलायंस होम फायनेंस के शेयरों को होल्डिंग कंपनी द्वारा लिए गए लोन के कॉलेटरल के रूप में रखा गया था, जो कि 2019 में फायर सेल से 12 महीने पहले 2,598 करोड़ रुपये का था.
यस बैंक 2019 में ने इन शेयरों को 142 करोड़ रुपये बेच दिया था. उसके बाद कंपनी का लोन जेसी फ्लावर्स के पास गया. अनिल अंबानी की कंपनी ने दावा किया है कि जेसी के पास एनसीएलटी में जाने का कोई अधिकार नहीं है. वैसे एनसीएलटी ने विदेशी कंपनी की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने डेट और डिफॉल्ट दोनों को साबित किया है.