25 मार्च को अंतरराष्ट्रीय नरसंहार दिवस मनाने की मांग, 1971 में बांग्लादेश में क्या हुआ था इस दिन
September 27, 2022बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमन ने 25 मार्च को अंतरराष्ट्रीय नरसंहार दिवस मनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने 1971 में इस दिन जो हिंसा की, उसे दुनिया के सामने लाने की जरूरत है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘पाकिस्तानी सेना की ओर से 1971 में बांग्लादेश में किया गया नरसंहार मानव इतिहास के सबसे जघन्य अपराधों में से एक है। हमें इस तरह की बर्बरता का कोई और उदाहरण याद नहीं आता है।
कनाडा में विन्निपेग के मानवाधिकार संग्रहालय में बांग्लादेश नरसंहार को लेकर सेमिनार आयोजित किया गया था। बांग्लादेशी विदेश मंत्री भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए और इसी दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय नरसंहार दिवस मनाने की मांग रखी। कनाडा में बांग्लादेश के उच्चायोग, बंगबंधु सेंटर फॉर बांग्लादेश स्टडीज (बीसीबीएस), लिबरेशन वॉर म्यूजियम, नरसंहार अध्ययन केंद्र और ढाका विश्वविद्यालय से जुड़े लोग भी सेमिनार में शामिल हुए।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार उठाया जा रहा मुद्दा
बांग्लादेश सरकार पहले ही 25 मार्च को नरसंहार दिवस घोषित कर चुकी है। आम नागरिकों की ओर से भी इसे लेकर आवाज उठाई गई है। विभिन्न नागरिक समाज संगठन भी इस नरसंहार की मान्यता की मांग को आगे बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दे को उठा रहे हैं। दुनिया भर में नरसंहार की रोकथाम पर काम कर रहे दो अंतरराष्ट्रीय संगठनों (लेमकिन इंस्टीट्यूट फॉर जेनोसाइड प्रिवेंशन, जेनोसाइड वॉच) भी 1971 के नरसंहार को मान्यता दे चुके हैं।
पाकिस्तानी सेना ने लॉन्च किया था ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’
25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ लॉन्च किया था। इस दौरान पाकिस्तानी सेना की ओर से पूर्व निर्धारित सैन्य अभियान चलाया गया और उसकी सेना ने सैकड़ों-हजारों बांग्लादेशी नागरिकों का नरसंहार किया। 1971 की इस भयावहता को इतिहास के सबसे बड़े सामूहिक अत्याचारों में से एक माना जाता है।
पाकिस्तानी के हमले में कराची हार्बर फ्यूल स्टोरेज को भी पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया था। इस ऑपरेशन में पहली बार एंटी-शिप मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था। इस हमले के बाद ही 8-9 दिसंबर 1971 को भारतीय नौसेना ने ‘ऑपरेशन पाइथन’ चलाया। इस दौरान भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाहों पर मौजूद जहाजों पर हमला किया था। इस दौरान एक भी भारतीय जहाज को नुकसान नहीं पहुंचा था। इस ऑपरेशन की सफलता के बाद से ही हर साल 4 दिसंबर को भारत में नेवी डे के रूप में मनाया जाने लगा।