Mutual Funds में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा SEBI, निवेशकों को मिलेंगे ज्यादा विकल्प
February 25, 2023भारतीय शेयर बाजार के नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India -SEBI) म्यूचुअल फंड कंपनियों ईएसजी के तहत पांच नई कैटेगरी जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। मौजूदा समय में म्यूचुअल फंड्स को केवल इक्विटी योजनाओं के तहत थीमैटिक कैटेगरी के तहत एक ईएसजी स्कीम को शुरू करने की इजाजत है।
पांच नई कैटेगरी में एक्सक्लूजन, इंटीग्रेशन, बेस्ट-इन-क्लास एंड पॉजिटिव स्क्रीनिंग, इम्पैक्ट इन्वेस्टिंग और सस्टेनेबल ऑब्जेक्टिव हैं। सेबी के प्रस्ताव के अनुसार हर एएमसी को पांचों नई सब कैटेगरियों में एक-एक फंड लॉन्च करने की इजाजत होगी। अगर ये प्रस्ताव अमल में लाया जाता है, तो निवेशकों को पहले के मुकाबले अधिक विकल्प मिलेंगे।
सेबी ने अपने कंसल्टिंग लेटर में कहा कि एएमसी को ईएसजी थीम के तहत संपत्ति का अधिक अनुपात रखने और उचित खुलासा करने का प्रयास करना चाहिए।
80 प्रतिशत तक एक थीम में हो सकेगा निवेश
ईएसजी की नई कैटेगरी के तहत एएमसी को एक ही थीम में 80 प्रतिशत तक निवश कर सकेंगी। साथ ही जो बाकी बचा पैसा स्कीम के अनुसार ही लगाया जाना चाहिए।
कैटेगरी में निवेश करने के क्या हैं नियम?
- ESG exclusions scheme में सेबी ने सुझाव दिया है कि म्युचुअल फंडों को कुछ ईएसजी से एक्टिविटी, बिजनेस प्रेक्टिस या बिजनेस सेगमेंट के आधार पर प्रतिभूतियों को बाहर करना चाहिए।
- ESG integration scheme में ट्रेडिशलन फाइनेंशियल फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए ईएसजी से संबंधित कारकों पर विचार करना चाहिए जो कि जोखिम और वापसी के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- ESG best-in-class and positive screening schemes में उन कंपनियों में निवेश करना चाहिए,जो कि अपने समकक्ष कंपनियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करती हैं।
- ESG impact investing schemes में एक नॉन फाइनेंशियल प्रभाव की तलाश करनी चाहिए और मूल्यांकन करना चाहिए और उसके प्रभाव को मापा और मॉनिटर किया जा रहा है।
- ESG sustainable objectives scheme का उद्देश्य उन सेक्टर, इंडस्ट्री और कंपनियों में निवेश करना है। जहां निवेशकों को लंबी अवधि में फायदा हो सकता है।