मिथिला में शुरू हुई जानकी विवाह महोत्सव की तैयारी
November 20, 2022बेगूसराय, 20 नवंबर । सांस्कृतिक विरासत, लोक कला और सनातन धर्म के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की अर्धांगिनी सीता के मायके मिथिला में एक बार फिर हर घर में मैथिली विवाह गीत गूंजने लगे हैं। यह तैयारी की जा रही है अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन होने वाले जानकी विवाह महोत्सव के लिए। इस वर्ष 28 नवम्बर को राम जानकी विवाह महोत्सव होगा। यह दिन भले ही सीता और राम के विवाह का हो, लेकिन मिथिला में लोग राम विवाह नहीं, जानकी विवाह महोत्सव मनाते हैं तथा पूरे देश में मिथिलांचल का ही दो जगह एक जनकपुर और दूसरा मिथिला का प्रवेश द्वार बेगूसराय का बीहट है, जहां की धूमधाम से विवाह महोत्सव मनाया जाता है।
दोनों जगह पर इस महोत्सव में शामिल होने के लिए ना केवल दूर-दूर से लोग आते हैं, बल्कि मिथिला के पाहुन श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण के स्वरूप भी अयोध्या से आते हैं।विवाह पंचमी को लेकर मिथिला के प्रवेश द्वार बीहट में स्थित विश्वनाथ मंदिर में तैयारी काफी काफी तेज हो गई है। 27 नवम्बर को देव आमंत्रण, मंडपाच्छादन, मटकोर प्रोशेसन, चुमावन एवं जागरण होगा। 28 नवम्बर की रात विवाह से पूर्व बारात झांकी निकाली जाएगी। 29 नवम्बर को पूरे विधि विधान के साथ रामकलेवा (ज्योनार) तथा 30 नवम्बर को चौठ-चौठारी के साथ चार दिवसीय महोत्सव का समापन होगा।
सबसे बड़ी बात है कि यहां ना सिर्फ विवाह का महोत्सव मनाया जाता है। बल्कि वैष्णव माधुर्य भक्ति के परिचायक विश्वनाथ मंदिर बीहट में बेटी की शादी की तरह मिथिला परंपरा के अनुसार सभी रस्म निभाए जाते हैं। अवध (अयोध्या) से आए श्री राम के स्वरूप दूल्हा से मिथिलांचल की बेटियां हास-परिहास करती है और विवाह की रस्म पूरा होने के बाद सम्मान के साथ उन्हें विदा किया जाता है। विवाह महोत्सव में राजा जनक की भूमिका निभाने वाले विश्वनाथ मंदिर के पीठासीन आचार्य राजकिशोर जी उपाध्याय ने बताया कि लोक उत्सव और लोक पर्व की जागृत परंपरा के वाहक मिथिला के हर घर में श्रीराम जानकी की पूजा होती है। विश्वनाथ मंदिर में प्रत्येक दिन रामार्चन के माध्यम रस्में निभाई जाती है।
सभी माह के शुक्ल तथा कृष्ण पक्ष की पंचमी को विवाह रस्म होता है। लेकिन प्रत्येक वर्ष अगहन शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रीजानकी विवाह महोत्सव का आयोजन होता रहा है। श्रीसिय रनिवास में महोत्सव की तैयारी तेज हो गई है। अयोध्या से 14 वर्ष से कम उम्र के रामस्वरूप दूल्हा आएंगे तथा जिस तरह से पौराणिक काल में गुरु संग स्वयंवर में आए श्रीराम का सभी रस्म मिथिला में किया गया था, उसी प्रकार से यहां भी रामस्वरूप आए बालक का सभी रस्में पूरे विधि विधान से की जाएगी। विश्वनाथ मंदिर का श्रीजानकी विवाह महोत्सव सनातन संस्कृति तथा धार्मिक महत्ता को बढ़ाने के साथ ही वैष्णव माधुर्य भक्ति का परिचायक भी है, लोग यहां परब्रह्म की अराधना दासभक्ति से करते हैं।
ब्रह्म का ब्रह्मत्व खोकर शक्ति में समर्पित हो जाना तथा शक्ति के हाथों का खिलौना बने रहना ही मिथिला की वैष्णव मार्धुय भक्ति का मर्म है तथा विवाह महोत्सव के दौरान यह भावना साकार दिखती है। परब्रह्म श्रीराम ने मिथिला के कोहवर में आकर अपना ब्रह्मत्व खोया तथा जानकी ने अपना सतित्व। आध्यात्मिक गुरू ने परब्रह्म को पाहुन के रूप आराधना करने का अधिकार दिया और इससे बीहट के लोगों का शाश्वत संबंध परमब्रह्म से जुड़ता है। उल्लेखनीय है कि गुरू घराना के रूप में विख्यात विश्वनाथ मंदिर बीहट के तात्कालीन पीठासीन आचार्य पंडित वासुकीशरण उपाध्याय उर्फ नुनू सरकार ने 1931 में यहां श्रीजानकी विवाह महोत्सव की शुरूआत की और तब से अनवरत जारी है।
रामायण काल में स्वयंवर के बाद सीता ने बीहट के बगल सिमरिया से गंगा नदी पार कर अवध के लिए प्रस्थान किया था। जिसके कारण इसकी काफी प्रसिद्धि है तथा विवाह महोत्सव के अवसर पर जहांं बिहार के विभिन्न जिले की नहीं, उत्तर प्रदेश और नेपाल से भी लोग आते हैं। वहीं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां और देश के कई ख्यातिप्राप्त शास्त्रीय संगीत गायक समेत अन्य विधा के कलाकार शिरकत कर चुके हैं।
सीता राम विवाह पंचमी के अवसर पर अयोध्या में रामायण पर मौड़ी रख विवाह की रस्म पूरी की जाती है। लेकिन पूरे देश में दो जगह जनकपुर एवं बीहट में अयोध्या से आए रामसरूप बालक के साथ मिथिला के बालिका की साक्षात शादी कराई जाती है। विगत दो वर्ष कोरोना वायरस के कारण सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई थी। लेकिन इस वर्ष भी पूरे धूमधाम से विवाह उत्सव की तैयारी की जा रही है। लोगों को निमंत्रण दिए जा रहे हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए भी तैयारी चल रही है। बीहट से जुड़े दूर-दूर रह रहे रिश्तेदार भी आने की तैयारी कर चुके हैं तथा अपने परिजनों को इसका संवाद भेज दिया है।