कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एएसएम कृष्णा का निधन

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एएसएम कृष्णा का निधन

December 10, 2024 Off By NN Express

बेंगलुरु । कर्नाटक और भारत के सबसे प्रतिष्ठित राजनेताओं में से एक और पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा का मंगलवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। आधुनिक बेंगलुरु के वास्तुकार माने जाने वाले कृष्णा ने कुछ समय तक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने के बाद आज सुबह 2:45 बजे अपने आवास पर अंतिम सांस ली।

भारतीय राजनीति में एक महान व्यक्तित्व, कृष्णा का शानदार करियर दशकों तक रहा, जो ऐतिहासिक उपलब्धियों और शासन के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण को चिह्नित करता है। उनका जन्म एत मई, 1932 को मांड्या जिले के सोमनहल्ली गांव में हुआ। उन्होंने 1962 में मद्दूर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले एक स्वतंत्र विधायक के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल (1999-2004) अभूतपूर्व वृद्धि एवं विकास के युग की शुरुआत के लिए याद किया जाता है। उनके नेतृत्व के दौरान बेंगलुरु भारत की सिलिकॉन वैली के रूप में उभरा, जिसने प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के केंद्र के रूप में वैश्विक पहचान प्राप्त की।

कृष्णा का योगदान कर्नाटक तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल (2004-2008) और भारत के विदेश मंत्री (2009-2012) के रूप में कार्य किया, जहां उनके राजनयिक कौशल ने भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया।

वह दिल से शिक्षाविद और मैसूर के महाराजा कॉलेज और बेंगलुरु के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के पूर्व छात्र थे। ज्ञान की उनकी खोज उन्हें अमेरिका ले गई, जहां उन्होंने दक्षिणी मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय, टेक्सास और जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की।

कृष्णा अपने राजनीतिक करियर में लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी के सदस्य रहे और अपने करियर के अंत में उनका भाजपा में शामिल होने का निर्णय पार्टी लाइनों से ऊपर उठककर सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी अनुकूलनशीलता एवं प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

कृष्णा एक दूरदर्शी नेता थे और उनकी विरासत प्रगति के प्रति उनके अटूट समर्पण में निहित है, चाहे वह शासन, शहरी विकास या विदेश नीति हो। उनका निधन कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में एक युग का अंत है, जिसने राज्य और राष्ट्र पर एक अमिट छाप छोड़ी।

एसएम कृष्णा को पूरे देश से श्रद्धांजलि मिल रही है, उन्हें एक ऐसे राजनेता के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने ज्ञान को कार्रवाई के साथ जोड़ा, कर्नाटक को आधुनिक बनाया और नेताओं की पीढ़ियों को प्रेरित किया।