नमामि गंगे मिशन 2.0 : उत्तर प्रदेश और बिहार में सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर की 4 बड़ी परियोजनाएं पूरी
October 18, 2024दिल्ली। नमामि गंगे मिशन 2.0 के तहत जल शक्ति मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में चार प्रमुख परियोजनाएं पूरी कीं। उत्तर प्रदेश और बिहार में स्थित ये परियोजनाएं विशेष रूप से सीवेज को नदी में गिरने से रोकने पर केंद्रित हैं, जिससे जल गुणवत्ता में सुधार होगा और नदियों का कायाकल्प होगा। इन परियोजनाओं से गंगा नदी की पवित्रता और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता को बनाए रखने में मदद मिलेगी, जो देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
इन परियोजनाओं की कुल लागत 492 करोड़ रुपए हैं, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में अपशिष्ट जल उपचार को बढ़ाना है। इन परियोजनाओं में बिहार पटना के दानापुर में इंटरसेप्शन और डायवर्जन नेटवर्क के साथ 25 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसकी लागत 103 करोड़ रुपये है। इसके अतिरिक्त, मनेर में भी 6.5 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी और इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन नेटवर्क का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसकी कुल लागत 70 करोड़ रुपये है।
वहीं, उत्तर प्रदेश के कैराना में 15 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी और इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन नेटवर्क का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसकी लागत 78 करोड़ रुपए है। यमुना नदी पर स्थित यह परियोजना डीबीओटी मॉडल पर आधारित है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के लखनऊ में गोमती नदी के कायाकल्प के लिए एक प्रमुख परियोजना के तहत 241 करोड़ रुपये की कुल लागत से 39 एमएलडी एसटीपी का सफलतापूर्वक निर्माण पूरा किया जा चुका है।
विश्व बैंक की वित्तीय सहायता से नमामि गंगे-II के तहत स्वीकृत सहारनपुर परियोजना के विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। सहारनपुर में हिंडन नदी की सहायक नदियों, पावंधोई और धमोला, के संरक्षण के लिए त्रिपक्षीय समझौता किया गया है। यह समझौता एनएमसीजी, उत्तर प्रदेश जल निगम (ग्रामीण), और मेसर्स ईआईईएल इंफ्रा इंजीनियर्स (सहारनपुर) प्राइवेट लिमिटेड (मेसर्स एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स लिमिटेड, मेसर्स भुगन इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड, और मेसर्स माइक्रो ट्रांसमिशन सिस्टम के एसपीवी का एक संघ है) के बीच हस्ताक्षरित किया गया।
इस परियोजना में 135 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, सीवेज पंपिंग स्टेशन और इंटरसेप्शन संरचनाओं का निर्माण शामिल है, जिसकी कुल लागत 344 करोड़ रुपये है। यह परियोजना हाइब्रिड एन्युटी पीपीपी मॉडल पर संचालित होगी और इसमें 15 वर्षों का संचालन और रखरखाव प्रावधान शामिल है।