कांग्रेस आरक्षण को खत्म करने के षड्यंत्र में लगी : मायावती
September 10, 2024लखनऊ । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस पर कटाक्ष किया है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का कहना है कि कांग्रेस वर्षों से आरक्षण को खत्म करने के षड्यंत्र में लगी है।
मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई पोस्ट किए। पूर्व सीएम मायावती ने कहा, “केंद्र में काफी लंबे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और ना ही देश में जातीय जनगणना कराने वाली यह पार्टी अब इसकी आड़ में सत्ता में आने के सपने देख रही है। इनके इस नाटक से सचेत रहें जो आगे कभी भी जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी।”
उन्होंने कहा, अब कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा राहुल गांधी के इस नाटक से भी सतर्क रहें, जिसमें उन्होंने विदेश में यह कहा है कि भारत जब बेहतर स्थिति में होगा तो हम एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण खत्म कर देंगे। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इनके आरक्षण को खत्म करने के षड्यंत्र में लगी है।
इन वर्गों के लोग कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिए गए इस घातक बयान से सावधान रहें, क्योंकि यह पार्टी केंद्र की सत्ता में आते ही, अपने इस बयान की आड़ में इनका आरक्षण जरूर खत्म कर देगी। ये लोग संविधान व आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से जरूर सजग रहें।
उन्होंने आगे कहा कि जबकि, सच्चाई में कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण-विरोधी सोच की रही है। केंद्र में रही इनकी सरकार में जब इनका आरक्षण का कोटा पूरा नहीं किया गया तब इस पार्टी से इनको इंसाफ ना मिलने की वजह से ही बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लोग सावधान रहें।
मायावती ने कहा कि कुल मिलाकर, जब तक देश में जातिवाद जड़ से खत्म नहीं हो जाता है, तब तक भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर होने के बावजूद भी इन वर्गों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक हालत बेहतर होने वाली नहीं है। जातिवाद के समूल नष्ट होने तक आरक्षण की सही संवैधानिक व्यवस्था जारी रहना जरूरी।
बता दें कि राहुल गांधी तीन दिवसीय अमेरिका के दौरे है। इस दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में आरक्षण खत्म करने को लेकर कहा कि कांग्रेस आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेगी, जब सही समय होगा, अभी सही समय नहीं है।
जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखते हैं, तो आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं, दलितों को 100 रुपये में से 5 रुपए मिलते हैं और ओबीसी को भी लगभग इतनी ही रकम मिलती है। असलियत यह है कि इन्हें भागीदारी नहीं मिल रही है। भारत के हर एक बिजनेस लीडर की लिस्ट देखें। मुझे आदिवासी, दलित का नाम दिखाएं।