खतरनाक देश पाकिस्तान को अमेरिकी मदद
October 26, 2022पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर अमेरिकी राश्ट्रपति जो बाइडेन ने चिंता जताई है। कहा है कि परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देष है। जबकि भारत ऐसा अनेक बार कह चुका है। इस चेतावनी के बावजूद बाइडेन ने यह स्पश्ट नहीं किया कि इस बाजिव चिंता को दूर करने के लिए अमेरिका क्या कदम उठाएगा ? जब तक इस चिंता को दूर करने के लिए कोई पहल नहीं की जाएगी, ऐसे बयानों का कोई नतीजा निकलने वाला नहीं है। वैसे अमेरिका का यह बयान कुटिल चतुराई लगता है।
क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को सुरक्षा सहायता देने के बहाने बड़ी मदद कर भारत के साथ आद्यात किया है। अमेरिका ने पाक को 16 लड़ाकू विमान और इनके रख-रखाव के लिए 45 करोड़ डाॅलर की आर्थिक मदद की है। 2018 के बाद से यह पाकिस्तान को की गई सबसे बड़ी मदद है। जबकि पूर्व राश्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर यह कहकर रोक लगा दी थी कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में कोई सहायता नहीं कर रहा है। दरअसल बाइडेन ने यह मदद देकर भारत के संदर्भ में जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।
बाइडेन ने यह बयान लास एंजिलिस में डेमोेक्रेटिक पार्टी के सांसदों को संबोधित करते हुए बाइडेन ने चीन, रूस और पाकिस्तान से जुड़ी तीन समस्याओं को अमेरिका की विदेष नीति के समक्ष तीन चुनौतियों के रूप में पेष किया। उन्होंने कहा कि षी जिनपिंग को मालूम है कि वे क्या चाहते हैं, लेकिन उनके साथ कई तरह की समस्याएं भी हैं। मुझे लगता है कि पाकिस्तान दुनिया के सबसे खतरनाक देषों में से एक है। जिसके पास परमाणु हथियार हैं और वहां कोई सामंस्य नहीं है। बाइडेन ने चीन की तरफ से अमेरिका को मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा और यूक्रेन-रूस संकट से उपजे वैष्विक हालातों को भी रेखांकित किया। दरअसल हाल ही में रूस के राश्ट्रपति पुतिन ने परमाणु युद्ध की परोक्ष धमकी दी है।
रूस को यूक्रेन जिस तरह से चुनौती देता हुआ आक्रामकता दिख रहा है, उससे रूस द्वारा यूक्रेन पर परमाणु हमले की आषंका बढ़ गई है। इधर पाक के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर भारत समेत कई पष्चिमी देष चिंता जता चुके हैं। इनकी आषंका है कि पाकिस्तानी परमाणु हथियार कहीं आतंकियों व जिहादियों के हाथ लग गए तो संकट खड़ा हो सकता है। अमेरिका के विदेष नीति विषेशज्ञ मार्विन कल्ब का कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से प्रेरणा लेकर पाकिस्तान के जिहादी भी सत्ता हासिल करने के प्रयास में लगे हैं। इसलिए पाक के परमाणु हथियार दुनिया के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाले लेखकों के दल की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय 140 से 150 परमाणु हथियार हैं। यदि परमाणु अस्त्र-षस्त्र निर्माण करने की उसकी यही गति जारी रही तो 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 220 से 250 हो जाएगी। यदि यह संभव हो जाता है तो पाक दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा परमाणु हथियार संपन्न देष हो जाएगा। इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक एम क्रिस्टेनसेन, जुलिया डायमंड और राॅबर्ट एस नोरिस ने दी है, जो वाषिंगटन डीसी में स्थित ‘ फेडरेषन आॅफ अमेरिकन साइंटिस्ट‘ के परमाणु सूचना परियोजना निदेषक हंै। जबकि अमेरिका की ही रक्षा खुफिया एजेंसी ने 1999 में अनुमान लगाया था कि 2020 में पाकिस्तान के पास 60 से 80 परमाणु हथियार ही तैयार हो पाएंगे।
अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए के पूर्व वरिश्ठ खुफिया अधिकारी केविन हलबर्ट की बात मानें तो पाकिस्तान दुनिया के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक देषों में से एक है। पाकिस्तान की यह खुंखार और डरावनी सूरत इसलिए बन गई है, क्योंकि तीन तरह के जोखिम इस देष में खतरनाक ढंग से बढ़ रहे हैं। एक आतंकवाद, दूसरे ढह रही अर्थव्यवस्था और तीसरे परमाणु हथियारों का जरूरत से ज्यादा भंडारण। आर्थिक संकट के ऐसी ही बद्तर हालात से उत्तर कोरिया जूझ रहा है।
दुनिया में ये दोनों देश ऐसे हैं, जो भारत और अमेरिका पर परमाणु हमला करने की धमकी दोहराते रहते हैं। मानव स्वभाव में प्रतिषोध और ईश्र्या दो ऐसे तत्व हैं, जो व्यक्ति को विवेक और संयम का साथ छोड़ देने को मजबूर कर देते हैं। इस स्वभाव को कू्ररतम परिण्ति बदलते हम अमेरिका द्वारा हिरोषिमा और नागासाकी पर किए परमाणु हमलों के रूप में देख चुके हैं। अमेरिका ने हमले का जघन्य अपराध उस नाजुक परिस्थिति में किया था, जब जापान इस हमले के पहले ही लगभग पराजय स्वीकार कर चुका था। इस दृश्टि से पाकिस्तान और उत्तर कोरिया पर भरोसा कैसे किया जाए ?
पाकिस्तान दुनिया के लिए खतरनाक देश हो अथवा न हो, लेकिन भारत के लिए वह खतरनाक है, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है। दषकों से वह भारत पर हमला करने के लिए आतंकियों के इस्तेमाल को सही ठहरता रहा है। पाक भारत के खिलाफ छद्म युद्ध के लिए कट्रपंथी मुस्लिम अतिवादियों को खुला समर्थन दे रहा है। मुंबई और संसद पर हमले के दिमागी कौषल रखने वाले योजनाकार दाऊद और हाफिज सईद को पाक ने षरण दे रखी है। इसके अलावा वह सीमा पर युद्ध जारी रखे हुए है और कष्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराकर भारत की नाक में दम किए हुए है। यही नहीं भारत के खिलाफ आतंकी रणनीतियों को प्रोत्साहित व सरंक्षण देने का काम पाक की गुप्तचर संस्थाएं और सेना भी कर रही हैं।
हालांकि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को संरक्षण देने के उपाय अब उसके लिए भी संकट बन रहे हैं। आतंकी संगठनों का संघर्श षिया बनाम सुन्नी मुस्लिम अतिवादियों में तब्दील होने लगा है। इससे पाक में अंतर्कलह और अस्थिरता बढ़ी है। बलूचिस्तान और सिंघ प्रांत में इन आतंकियों पर नियंत्रण के लिए सैन्य अभियान चलाने पड़े हैं। बावजूद, पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी सेना और खुफिया तंत्र तालिबान, अलकायदा, लष्कर-ए-तैयबा और जैष-ए-मौहम्मद जैसे आतंकी गुटों को खतरनाक नहीं मानते।
इन आतंकियों को अच्छे सैनिक माना जाता है, जो धर्म के लिए अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। आज पाक में आतंकी इतने वर्चस्वषाली हो गए हैं कि लष्कर-ए-झांगवी, पाकिस्तानी तालिबान, अफगान तालिबान और कुछ अन्य आतंकवादी गुट पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को भी चुनौती बन गए हैं। ये चुनी हुई सरकार को गिराकर देष की सत्ता पर सेना के साथ अपना नियंत्रण चाहते हैं। वाईदवे ऐसा हो जाता है और परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग जाते हैं, तो तय है, पाक को दुनिया के लिए खतरनाक देष बन जाने में देर नहीं लगेगी ? इस नाजुक परिस्थिति में सबसे ज्यादा जोखिम भारत को उठाना होगा, क्योंकि भारत पाक सेना और आतंकी संगठनों के लिए दुष्मन देषों में पहले नबंर पर है।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के षहर हिरोषिमा पर 6 अगस्त और नागासाकी पर 9 अगस्त 1945 को परमाणु बम गिराए थे। इन बमों से हुए विस्फोट और विस्फोट से फूटने वाली रेडियोधर्मी विकिरण के कारण लाखों लोग तो मरे ही, हजारों लोग अनेक वर्शों तक लाइलाज बीमारियों की भी गिरफ्त में रहे। विकिरण प्रभावित क्षेत्र में दषकों तक अपंग बच्चों के पैदा होने का सिलसिला जारी रहा।
अपवादस्वरूप आज भी इस इलाके में लगड़े-लूल़े बच्चे पैदा होते हैं। अमेरिका ने पहला परीक्षण 1945 में किया था। तब आणविक हथियार निर्माण की पहली अवस्था में थे,किंतु तब से लेकर अब तक घातक से घातक परमाणु हथियार निर्माण की दिषा में बहुत प्रगति हो चुकी है। लिहाजा अब इन हथियारों का इस्तेमाल होता है तो बर्बादी की विभीशिका हिरोषिमा और नागासाकी से कहीं ज्यादा भयावह होगी ? इसलिए कहा जा रहा है कि आज दुनिया के पास इतनी बड़ी मात्रा में परमाणु हथियार हैं कि समूची धरती को एक बार नहीं, अनेक बार नश्ट-भ्रश्ट किया जा सकता है।
जापान के आणविक विध्वंस से विचलित होकर ही 9 जुलाई 1955 को महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन और प्रसिद्ध ब्रिटिष दार्षनिक बट्र्रेंड रसेल ने संयुक्त विज्ञप्ति जारी करके आणविक युद्ध से फैलने वाली तबाही की ओर इषारा करते हुए षांति के उपाय अपनाने का संदेष देते हुए कहा था,‘यह तय है कि तीसरे विष्व-युद्ध में परमाणु हथियारों का प्रयोग निष्चित किया जाएगा। इस कारण मनुश्य जाति के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा।
किंतु चैथा विष्व-युद्ध लाठी और पत्थरों से लड़ा जाएगा।‘ इसलिए इस विज्ञप्ति में यह भी आगाह किया गया था कि जनसंहार की आषंका वाले सभी हथियारों को नश्ट कर देना चाहिए। तय है, भविश्य में दो देषों के बीच हुए युद्ध की परिण्ति यदि विष्व-युद्ध में बदलती है और परमाणु हमले षुरू हो जाते हैं तो हालात कल्पना से कहीं ज्यादा डरावने होंगे।
हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस भयावहता का अनुभव कर लिया था, इसीलिए उन्होंने संयुक्त राश्ट्र में आणविक अस्त्रों के समूल नाष का प्रस्ताव रखा था। लेकिन परमाणु महाषक्तियों ने इस प्रस्ताव में कोई रुचि नहीं दिखाई, क्योंकि परमाणु प्रभुत्व में ही, उनकी वीटो-षक्ति अंतनिर्हित है। अब तो परमाणु षक्ति संपन्न देष, कई देषों से असैन्य परमाणु समझौते करके यूरेनियम का व्यापार कर रहे हैं। परमाणु ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवा की ओट में ही कई देष परमाणु-ष्क्ति से संपन्न देष बने हैं और हथियारों का जखीरा इकट्ठा करते चले जा रहे हैं।
दुनिया में फिलहाल 9 परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। ये हैं, अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया। इनमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और ब्रिटेन के पास परमाणु बमों का इतना बड़ा भंडार है कि वे दुनिया को कई बार नश्ट कर सकते हैं। हालांकि ये पांचों देष परमाणु अप्रसार संधि में षामिल हैं। इस संधि का मुख्य उद्देष्य परमाणु हथियार व इसके निर्माण की तकनीक को प्रतिबंधित बनाए रखना है। हालांकि ये देष इस मकसद पूर्ति में सफल नहीं रहे। पाकिस्तान ने ही तस्करी के जरिए उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार निर्माण तकनीक हस्तांरित की और वह आज परमाणु षक्ति संपन्न नया देष बन गया है।