वो 5 बैंक जिनमें अपनी शेयरहोल्डिंग घटाने वाली है सरकार, यह कदम उठाने की वजह क्या?
March 15, 2024बैंक ऑफ महाराष्ट्र, आईओबी और यूको बैंक सहित पांच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सेबी के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानदंडों का पालन करने के लिए सरकारी हिस्सेदारी को 75 फीसदी से कम करने की योजना बना रहे हैं। वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने यह जानकारी दी। कई बैंक पहले ही नियमों का अनुपालन कर चुके हैं
नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के पांच बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी घटाने वाली है। इन बैंकों में बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी), यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं। बाजार नियामक सेबी के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानदंडों का अनुपालन करने के लिए इन बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी घटाएगी। इसे घटाकर 75 फीसदी से नीचे लाने की योजना बनाई जा रही है। वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सार्वजनिक क्षेत्र के कुल 12 बैंकों (पीएसबी) में से चार 31 मार्च, 2023 तक एमपीएस का अनुपालन कर चुके हैं।
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जोशी ने बताया, ‘चालू वित्त वर्ष में तीन और पीएसबी ने न्यूनतम 25 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता का अनुपालन पूरा कर लिया है। बाकी पांच सरकारी बैंकों ने एमपीएस मानदंडों को पूरा करने के लिए कार्ययोजना बनाई हैं।’
फिलहाल दिल्ली स्थित पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.25 फीसदी है। चेन्नई के इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 96.38 फीसदी, यूको बैंक में 95.39 फीसदी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 फीसदी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 86.46 फीसदी है।
क्या कहते हैं सेबी के नियम?
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार, सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों का अनुपालन जरूरी है। हालांकि, रेगुलेटर ने सरकारी बैंकों को विशेष छूट दी है। उनके पास 25 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता के नियम को पूरा करने के लिए अगस्त, 2024 तक का समय है। जोशी ने कहा कि बैंकों के पास हिस्सेदारी कम करने के लिए कई विकल्प हैं। इनमें अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) या पात्र संस्थागत नियोजन शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि बाजार की स्थिति के आधार पर इनमें से प्रत्येक बैंक शेयरधारकों के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेगा। बिना कोई समयसीमा बताए उन्होंने कहा कि इस अनिवार्यता को पूरा करने के प्रयास जारी हैं।
गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की समीक्षा के निर्देश
जोशी ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने सभी पीएसबी को अपने गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की समीक्षा करने का निर्देश दिया है क्योंकि सरकार के समक्ष नियामकीय मानदंडों का अनुपालन न करने के मामले आए हैं। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को पत्र लिखकर उनसे स्वर्ण ऋण से संबंधित अपनी प्रणाली और प्रक्रियाओं पर गौर करने को कहा है।