लकड़ी की भट्टी पर तैयार होने वाली इस अनोखी जलेबी ने मचाई धूम, दही के साथ लोग लेते हैं स्वाद का असली मजा

लकड़ी की भट्टी पर तैयार होने वाली इस अनोखी जलेबी ने मचाई धूम, दही के साथ लोग लेते हैं स्वाद का असली मजा

November 5, 2023 Off By NN Express

दुकान पर लकड़ी की भट्टी पर छोटी सी कड़ाई में गरमा-गरम निकलने वाली इस जलेबी ने कमालगंज में मिलने वाली सभी जलेबियों के स्वाद को फीका कर दिया है. ग्राहकों को दही के साथ जलेबी का स्वाद काफी पसंद आ रही है. 

फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद में जायके का स्वाद लेने के लिए बहुत अधित घूमने की जरूरत नहीं है. क्योंकि यहां पर हर गली और चौराहे पर खाने-पीने के कई प्रकार की वैरायटी उपलब्ध रहती हैं. लेकिन कमालगंज कस्बे में कुछ ऐसी दुकानें हैं जो कई वर्षों से अपने जायके का स्वाद लोगों के जुबा पर डालने आ रहे हैं. इन दुकानों पर एक बार जायके का स्वाद लेने के बाद लोग वहां दोबारा जाते ही जाते हैं.

कमालगंज टाकीज के पास सुरेंद्र स्वीट हाउस जो पिछले 13 सालों से दही और जलेबी का एक ऐसा स्वाद है. जो लोगों के जुबान पर छाया हुआ है. दुकान के संचालक सुरेंद्र कुमार ने बताया कि इस दुकान की शुरुआत आज से 13 वर्ष पहले हुई थी. जलेबी काफी मशहूर है. यही कारण की अच्छी खासी बिक्री होती हैं यहां पर दिन में 2 से दिन हजार रुपये की बचत हो जाती हैं. वहीं महीने में 50 हजार रुपए का मुनाफा हो जाता है.

जलेबी के लिए यहां लगती है लंबी लाइन
कमालगंज सुरेंद्र स्वीट हाउस की इस जलेबी की एक खास बात यहां लोगों को सुबह से लेकर रात तक गरमा गरम जलेबी का आनंद मिल रहा है. क्योंकि कमालगंज में जलेबी का स्वाद रात के तक भीड़ लगी रहती है. कमालगंज कस्बे के लोगों को जलेबी का स्वाद देर रात मिलता हैं. वहीं कड़ाई से उतरती गरमा गरम और मीठे रस में डूबी जलेबी यहां मिल रही है जो दही के साथ स्वाद को बढ़ा देती हैं. यहां 100 रुपये किलो जलेबी मिलती है.

क्या है अनोखे स्वाद का राज़?
दुकानदार सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि वह अच्छी क्वालिटी का मैदा प्रयोग करते हैं. वहीं जलेबी बनाने के लिए मैदा को अच्छे से मिलाकर भीगाते हैं. इसके बाद धीमी आंच में कढ़ाई पर तेल को गर्म करके कपड़े की सहायता से डिजाइनदार गोलीय आकर में मैदा को डालते हैं. जब यह मैदा अच्छे से पककर लाल रंग की हो जाती हैं. तो इसे निकाल कर चीनी से बनी हुई चासनी में डूबा देते हैं. कुछ ही देरी में जलेबियां आसानी से चासनी में भीग जाते हैं और अब यह खाने के लिए तैयार हो जाती है.