Explainer : अगर आप अपार्टमेंट्स की ऊंची बिल्डिंग्स के फ्लैट में हों तो भूकंप में कैसे रहेंगे सुरक्षित

Explainer : अगर आप अपार्टमेंट्स की ऊंची बिल्डिंग्स के फ्लैट में हों तो भूकंप में कैसे रहेंगे सुरक्षित

November 4, 2023 Off By NN Express

03 नवंबर की रात दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप का तेज झटका लगा. इस भूकंप ने दिल्ली-एनसीआर और महानगरों में हाइराइज्स यानि ऊंचे अपार्टमेंट्स के फ्लैट्स में रहने वालों को डरा दिया. ऐसी स्थिति में भागने दौड़ने की बजाए उन्हें क्या करना चाहिए.

उत्तर भारत में 03 नवंबर की रात करीब 11.30 बजे लोगों को जब भूकंप का 6.4 तीव्रता का तेज झटका लगा तो वो डर गए. महानगरों में ऊंची बिल्डिंग्स हिलने लगीं. लगातार आ रहे भूकंप ने हाईराइज अपार्टमेंट में ऊपर की मंजिलों में रहने वालों को खासतौर पर और डरा दिया है. आखिर इस हालत में वो क्या करें. जब भूकंप का झटका आता है तो हाइराइजस बिल्डिंग ज्यादा झूलती हैं. वहां भूकंप का खतरा ज्यादा महसूस होता है.

भूकंप की स्थिति में हाइराइज बिल्डिंग में रहने वालों का ये डर स्वाभाविक है कि वो इतनी जल्दी ना तो सीढ़ियों से नीचे जा सकते हैं और ना ही लिफ्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं.

टीवी में आमतौर पर भूकंप से बचाव के तरीकों के वही पुराने तरीके बताए जा रहे थे कि ऐसा करने पर आप दीवार के कोनों में खड़े हो जाएं, वो सुरक्षित जगह है. छोटी इमारतों या दो मंजिला तक की इमारतों में तो कोने में रहना सुरक्षित हो सकता है लेकिन हाइराइजस में नहीं. क्योंकि कम ऊंची छोटी इमारतों और ऊंची बिल्डिंग्स की बनावट के साथ उनकी नींव में बहुत अंतर होता है.

ऊंची बिल्डिंग्स को बनाने में अब पिछले दो दशकों से भूकंपरोधी मानकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. बगैर इसके किसी भी हाइराइज को बनाने की अनुमति नहीं दी जाती. लेकिन ये जरूर है कि जब भूकंप आते हैं तो हाईराइज इमारते झूमती ज्यादा हैं. इसलिए उनमें डर भी ज्यादा लगता है. लेकिन ये इमारते झूमने के कारण भूकंप की तीव्रता को कम करती हैं. आपको सुरक्षित रखती हैं.

केवल दो ही स्थितियों में हाईराइज्स बिल्डिंग भूंकप की स्थिति में खतरनाक हो सकती हैं अगर वहीं पर भूकंप का एपीसेंटर हो या ये वाकई बहुत ज्यादा तीव्रता का हो यानि 08 से ऊपर. आमतौर पर ये हाईराइज्स जिन तकनीक से बनाई जाती हैं, उसमें ये 7.3 तीव्रता को झेल लेती हैं.

भूकंप आने की स्थिति में हाइराइज्स में रहने वाले क्या करें
– कूल रहें सीढियों या लिफ्ट की ओर नहीं दौडे़ं. फ्लैट में ही रहना ज्यादा सुरक्षित होगा
– फ्लैट में रहें और सुरक्षात्मक तरीके अपनाएं
– टेबल के नीचे चले जाएं.
– कूल रहें, बदहवाश होकर भागदौड़ नहीं करें
– भूकंप आने की स्थिति में हाइराइज बिल्डिंग में नीचे उतरकर उसके बगल में खड़े होना भी ठीक नहीं, खासकर तब जबकि वो इलाका कई हाइराइज इमारतों से घिरा हो.
– अगर जाना ही हो तो ऐसे खुले इलाके में जाएं जो इन इमारतों की जद में नहीं हो.

क्या नहीं करना चाहिए
अगर आप हाइराइज बिल्डिंग्स में रह रहे हैं और भूकंप आ गया हो तो कुछ चीजें नहीं करनी चाहिए.
– खिड़की और दरवाजों के करीब नहीं जाएं, भूकंप में उनके कांच चटक कर लग सकते हैं.
– आलमारियों, बुकसेल्फ के करीब खड़े नहीं हों. वो आप पर गिर सकती हैं
– भारी फर्नीचर के भी पास नहीं रहें. वो भी अगर खिसके तो आपको चोटिल कर सकते हैं
– गैस सिलिंडर बर्नर और स्टोव बंद कर दें. इससे आग लगने की आशंका रहती है.
– इलैक्ट्रिकल अप्लाएंसेज का इस्तेमाल बंद कर दें.
– लिफ्ट का इस्तेमाल कतई नहीं करें.

ये काम जरूर करें
– सिर और गले पर ऐसी चीजें बांध लें या लगा लें जिससे उनका बचाव हो सके.

फोर्ब्स पत्रिका ने अपने ऐसे ही एक लेख में लोगों को ऊपर लिखी जैसी सलाह दी है. उसमें कहा गया है कि भूकंप अगर आ रहा हो और आप ऊंची बिल्डिंग्स के ऊपरी फ्लोर के फ्लैट में हों तो उस दौरान कतई उससे बाहर निकलने की कोशिश नहीं करें. हां जब भूकंप चला जाए तो बाहर निकल जाएं और खुले में ऐसी जगह जाएं तो इन बिल्डिंग्स की जद से दूर हों.

अगर आफ्टर शाक्स नहीं आ रहे हों तो बिल्डिंग में तभी जाएं जबकि उसे भूकंप में कोई आंच नहीं आई हो. आमतौर पर जो लोग भूकंप आने की स्थिति में हाईराइज में सीढियों से तेज उतरने की कोशिश करते हैं. उन्हें भूकंप से बेशक से कुछ ना हो लेकिन अफरातफरी में जरूर चोट लगने की आशंका रहेगी. नीचे उतर कर भी इमारतों से काफी दूर और खुले में रहें.

कैसे होते हैं भूकंपरोधी घर
आमतौर पर भूकंप से बचने के लिए बनाई गई इमारतों का नक्शा और तकनीक अलग होती है. ये विशेष मैटेरियल्स और बीम से बनाई जाती हैं. इससे ये भूकंपों के झटके से बची रहती हैं. भूकंपरोधी इमारतों (Earthquake Resistant Buildings) के मैटेरियल्स और बीम इन भूकंपों के झटके को रोक लेते हैं. इसके अलावा, भूकंप से तरंगें उत्पन्न होती है जो इमारतों को किसी विशेष दिशा से धक्का देती हैं. लेकिन ये इमारते दोनों ओर बाइब्रेट होकर भूकंप के असर को कम करती हैं.
– इनकी नींव मजबूत और बीम से पिलर्स वाली बनती हैं. इसकी नींव जमीन से ऊपर तक होती है. इससे भूकंपीय तरंगों का असर ज्यादा नहीं होता और ये भूकंप तरंगों को इमारत में आगे बढ़ने से रोकती हैं.
– कंस्ट्रक्शन्स स्ट्रक्चर को मजबूत होना चाहिए. इसमें क्रॉस ब्रेसिज़ और शीयर वॉल का उपयोग बेहतर होता है.

मोमेंट रेसिस्टेंट फ्रेम्स क्या होते हैं
ये फ्रेम्स बिल्डिंग के डिजाइन में प्लास्टिसिटी प्रदान करते हैं. इसे इमारत के जोड़ों के बीच रखा गया है. इसके अलावा ये बीम व स्तंभों को मोड़ने की स्थिति बनाते हैं. इनके साथ जोड़ कठोर रहते हैं. इसलिए इमारत को भूकंप के शॉकवेव से बचाते हैं.