निजता, महंगाई एवं सुविधाओं के अभाव से पैदा हुए भंवर में फंसा है भारतीय समुद्री पर्यटन
January 21, 2024भारत के तटीय क्षेत्रों तथा द्वीपों में भारत सरकार के द्वारा उचित इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास नहीं किया गया है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अंडमान निकोबार एवं लक्षद्वीप में तेज इंटरनेट की उपलब्धता मोदी सरकार के शासनकाल में सुनिचित हो रही है।
मालदीव एवं लक्षद्वीप का मुद्दा बीते दिनों विश्व चर्चा के केंद्र में आ गया। भारत में भारत के तमाम ख्यातिलब्ध लोग देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के समर्थन में उतर आए हैं जो उचित है। इसी के साथ लोगों में यह विमर्श भी चल पड़ा है की आखिर क्यों भारत को छोड़कर लोग मालदीव या अन्य विदेशी स्थानों पर छुट्टियां मनाने जाते हैं। समाज और सरकार को यह समझने की आवश्यकता है और इसके अनुरूप सुधार की जरुरत है। हम देशभक्ति के कारण कुछ समय के लिए मालदीव को छोड़कर लक्षद्वीप तो आ सकते हैं परंतु समय के साथ पुनः मालदीव हमारे पर्यटकों को आकर्षित कर लेगा।
मालदीव सरकार के 2023 के पर्यटन डाटा के अनुसार पूरी दुनिया से मालदीव जाने वाले लोगों में सबसे अधिक भारतीय हैं जिनकी संख्या 2 लाख से ऊपर है। भारत के 44% लोग हनीमून के लिए उनके देश में जाते हैं। भारत से मालदीव जाने वाले 73 प्रतिशत लोग रोमांटिक छुट्टियों के लिए जाते हैं जबकि मात्र 23 प्रतिशत लोग परिवार के साथ जाते हैं। भारत में रोमांटिक समुद्री छुट्टियों के लिए मुफीद स्थान न होने की वजह से नए जोड़े अथवा पति-पत्नी मालदीव जाते हैं। मालदीव सरकार की डाटा के अनुसार मालदीव जाने वाला हर व्यक्ति वहां औसतन 80 हजार से 4 लाख रुपए खर्च करता है।
प्रश्न यह भी है की भारत में पर्यटक इतना क्यों नहीं खर्च कर पाता? जबकि यही भारत के लोग मालदीव, थाईलैंड या वियतनाम जैसे देशों में भी घूमने क्यों जाते हैं। हमारे पास गोवा, अंडमान और लक्षद्वीप जैसे अद्वितीय पर्यटन स्थल हैं परंतु विश्व के पर्यटक तो दूर हम अपने देसी पर्यटकों को भी वहां आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं, आइये इन बिंदुओं की पड़ताल करते हैं।
भारत में पर्यटन को तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, पहला इंफ्रास्ट्रक्चर दूसरा महंगाई और तीसरा सामाजिक व्यवहार।
इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास:
भारत के तटीय क्षेत्रों तथा द्वीपों में भारत सरकार के द्वारा उचित इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास नहीं किया गया है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अंडमान निकोबार एवं लक्षद्वीप में तेज इंटरनेट की उपलब्धता मोदी सरकार के शासनकाल में सुनिचित हो रही है। भारत सरकार के पर्यावरण संबंधी अत्यंत कठोर मानकों के चलते भी भारत में जलीय पर्यटन की संभावनाएं लगभग नग्न हो जाती है या अवैध रूप से संचालित होती हैं।
समुद्री पर्यटन के विकास के लिए मोदी सरकार की सागरमाला परियोजना के द्वारा पहली बार गति मिलना सुनिश्चित होगा। उच्च गुणवत्ता के सड़कों का अभाव भारत के तटीय इलाकों में लोगों की पहुंच को कठिन बना देते हैं। अंडमान निकोबार तथा लक्षद्वीप तक जाने वाले वायुसेवाओं की कीमत आसमान छूती है और उससे कम दाम में आप विदेश में जा सकते हैं। सरकार को ऐसी जटिल स्थितियों में हस्तक्षेप करते हुए ऐसे पर्यटन क्षेत्र तक उचित किराए पर आवागमन सुनिश्चित करना चाहिए।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार को अपने तमाम द्वीपों को अलग-अलग थीम पर विकसित करना चाहिए। सरकार, लक्षद्वीप के कई द्वीपों को थीम आधारित सुविधाओं जैसे हनीमून डेस्टिनेशन, फैमिली डेस्टिनेशन, किड्स थीम आधारित पर्यटन पर विकसित कर सकती है। जिससे नव दम्पति, प्रौढ़ एवं बच्चों से सम्बंधित पर्यटन को अलग अलग बढ़ावा मिले। द्वीपों का आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन तथा लॉजिस्टिक्स मजबूत करना चाहिए। ऐसा करने से द्वीपों पर संसाधनों की कीमत में कमी आएगी साथ ही लोगों के आवागमन में भी सुलभता होगी। भारत के समुद्री बीच कचरे और गन्दगी से भरे होते हैं। भारत सरकार को मालदीव के कचरा प्रबंधन मानकों से प्रेरणा लेते हुए अपशिष्ट प्रबंधन के उच्च मानक गोवा, अंडमान एवं लक्षद्वीप में सुनिश्चित करना चाहिए। हमारे द्वीपों पर कचरा प्रबंधन, पेयजल आपूर्ति तथा शौचालयों के निर्माण में एक क्रांति सुनिश्चित करनी चाहिए।
अनावश्यक महंगाई की मार:
भारत में नीति निर्माता समुद्री पर्यटन को विलासिता के उच्चतम मानदंडों पर रखकर देखते हैं। ऐसे पर्यटन आधारित क्षेत्रों में सरकार द्वारा होटल या मनोरंजन व्यवसाय को किसी रियायत पर जमीन उपलब्ध नहीं कराई जाती है जैसे शिक्षा संस्थानों या अस्पतालों आदि के लिए रियायत उपलब्ध होती है इसके फलस्वरूप द्वीपों तथा तटीय क्षेत्र में होटल बहुत महंगे दामों पर उपलब्ध हो पाते हैं। महंगाई का दूसरा कारण यह भी है कि ऐसे तटीय पर्यटन क्षेत्र तथा द्वीप समूहों पर सरकार द्वारा होटल एवं सामाजिक गतिविधियों वाले जरूरी एवं व्यापारिक नियम कानून के अभाव में अधिकतर संचालकों द्वारा होटल या अन्य मनोरंजक गतिविधियों को अवैध रूप से संचालित करना पड़ता है और भ्रष्टाचार के कारण ऐसी सुविधाओं की कीमत बहुत बढ़ जाती है।
यदि सरकार लक्षित रूप से तटीय क्षेत्र एवं अपने द्वीपों पर जमीनों को होटल एवं अन्य सामाजिक/ व्यावसायिक गतिविधियों के लिए रियायती दामों पर उपलब्ध कराए तो इससे निवेशकों को सुरक्षा भी मिलेगी साथ ही लोगों को उचित दामों पर अच्छे होटल या सुविधाएं मिल पाएंगी।
मैंने स्वयं कई देशों की यात्रा अनुभव में पाया कि भारत की अपेक्षा अन्य पर्यटन आधारित देश में कमरों की गुणवत्ता एवं होटल में सुविधा बहुत अच्छे होते हैं। सरकार में बैठे नीति नियंताओं को पर्यटन को एक औद्योगिक गतिविधि के रूप में देखना चाहिए ना की विलासिता की दृष्टिकोण से। जिस प्रकार से आज के समय में विशेष आर्थिक क्षेत्र के द्वारा तमाम औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है उसी प्रकार से पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देना चाहिए।
सामाजिक व्यवहार की समस्या:
मालदीव जाना लोग पसंद करते हैं क्योंकि मालदीप एक पर्यटक मित्र देश है, पर्यटन मित्र का अर्थ है निजता, सुरक्षा एवं सामाजिक सहयोग। एक मुस्लिम आबादी प्रधान देश होने के बावजूद मालदीव अपने द्वीपों तथा बीच पर यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को पूर्ण स्वतंत्रता मिल सके। मालदीव सरकार के एक रिपोर्ट के अनुसार मालदीप जाने वाले 56 प्रतिशत पर्यटक वहां प्राइवेसी के कारण आते हैं, 60% लोगों को वहां की बीच का इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा लगता है और 53% लोगों को वहां के रिसॉर्ट और होटल बेहतर लगते हैं।
जहां तक निजता की बात है तो भारत में ऐसी निजता आपको केवल ताज और ओबराय जैसे होटल में सुनिश्चित हो पाती है जो भारत के संपूर्ण पर्यटन का मात्र एक प्रतिशत होता है परंतु 99% अन्य पर्यटकों की निजता कैसे सुनिश्चित होगी ?
जब दुनिया के किसी अन्य देश से भारत में कोई पर्यटक आते हैं तो हम उन्हें ऐसे घूरते हैं और उनसे ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे वह किसी दूसरे ग्रह के प्राणी हों। भारत में उच्च जनसंख्या घनत्व तथा संयुक्त परिवार संस्कृति के कारण हम व्यक्तिगत निजता का बहुत ख्याल नहीं रखते, जबकि विदेशों में व्यक्तिगत निजता एक बहुत गंभीर एवं आवश्यक सामाजिक व्यवहार है।
किसी भी सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करते हुए आपको घूरते, फब्तियां कसते और अपने मोबाइल या रेडियो में तेज गाने या किसी का वीडियो बनाते हुए लोग मिलना बहुत आम बात है। एक भारतीय समाज के रूप में हमें यह समझना स्वीकार करना पड़ेगा कि वियतनाम मालदीव या थाईलैंड जैसे देश हमेशा से ऐसे नहीं रहे हैं, उन्होंने अपने देश में एक पर्यटन संस्कृति का विकास किया है जिससे विश्व भर के लोग वहां आकर पर्यटन का आनंद, निजता, सुरक्षा एवं अच्छे आतिथ्य के साथ उठा सकें। विचार यही है की भारत का पर्यटन केवल किसी के विरोध में न बढ़े अपितु संसार के पर्यटक भारत में सर्वोत्कृष्ट सुरक्षा, निजता एवं आतिथ्य का लाभ पा सकें।