जीवनदायिनी है ये जड़ी-बूटी…डायबिटीज-कोलेस्ट्रॉल करे कंट्रोल, महिलाओं की इस बीमारी का भी रामबाण इलाज
November 2, 2023Jambu Herb Health Benefits: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके तमाम तरह की जड़ी बूटियों के लिए जाने जाते हैं. इसमें जम्बू ( जिंबू) भी शामिल है. यह जड़ी बूटी सर्दी-जुकाम, बुखार, पेट के विकार, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल समेत तमाम बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है.
पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके अनेक जड़ी बूटियों का केंद्र रहे हैं. यहां के जंगलों में कई दुर्लभ जड़ी बूटियां पायी जाती हैं, जिनका इस्तेमाल निरोग रहने में आदिकाल से चलते हुए आ रहा है. सीमांत जिला पिथौरागढ़ हिमालय से लगा इलाका है और यहां के लोग सदियों से इन्हीं जड़ी बूटियों के सहारे स्वस्थ रहते आए हैं. अब जंगलों में पाई जाने वाली इन जड़ी बूटियों को यहां के लोग खेतों में भी उगा रहे हैं और व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन करके अपनी जीविका को और बेहतर कर रही।
जड़ी बूटियों की जब भी बात आती है, तो सबसे पहले नाम आता है जम्बू का. इसका इस्तेमाल यहां के लोग खाने में तड़का लगाने में करते आए हैं. दरअसल जम्बू प्याज की प्रजाति का एक पौधा होता है, जो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ही उगाया जाता है. इसके पत्ते और गुलाबी फूल होते हैं.
इन रोगों में असरदार है जम्बू जड़ी बूटी
पिथौरागढ़ के स्थानीय लोगों ने बताया कि जम्बू के रोजाना इस्तेमाल से सर्दी-जुकाम, बुखार, पेट के विकार, मासिक धर्म में परेशानियां कम करने, स्किन की चमक बरकरार रखने, दिल संबंधी बीमारी और डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है. इसके अलावा इसका रोजाना सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है. अच्छी बात यह है कि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. यही वजह है कि यहां के लोग आदिकाल से इसका इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इसके साथ ही इस प्राकृतिक जड़ी-बूटी का उपयोग मुख्य रूप से करी, सूप, अचार आदि में होता है. इसके अलावा नॉनवेज बनाते समय स्वाद बढ़ाने के लिए मसाले के तौर पर भी इसे डाला जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो इस जड़ी-बूटी का उपयोग नेपाल और उत्तराखंड में कुकिंग और मेडिसिन पर्पज के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है
जम्बू की खेती को बढ़ावा दे रहा विभाग
पिथौरागढ़ की जिला आयुर्वेदिक अधिकारी ज्योत्सना सनवाल ने बताया कि जम्बू में कई औषधीय गुण होने के कारण इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को इसके उत्पादन और बिक्री के लिए प्रोत्साहित किया गया है. उन्होंने बताया कि यह अप्रैल से सितंबर-अक्टूबर तक आसानी से मिल जाती है. इसके औषधीय तत्वों के चलते पड़ोसी देश नेपाल और तिब्बत में भी इसकी खेती की जा रही है. जम्बू के पौधे को सुखाकर सालों साल भोजन के साथ मसाले के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.