KORBA : छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट की अफरातफरी का चल रहा खेल
October 13, 2022कोरबा ,13 अक्टूबर । राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की उत्पादनकर्ता फर्म छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड की शासन की कुपोषण नियंत्रण की महत्वाकांक्षी योजना रेडी टू ईट वितरण को लेकर अनियमितता नहीं थम रही। बलरामपुर ,कोरबा के बाद आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले से 629 बोरी फर्जी रेडी टू ईट वितरण का मामला प्रकाश में आया। जहां बीज निगम के सप्लायर फर्म से स्थानीय हॉकर ने उक्त रेडी टू ईट प्राप्ति की पावती दे दी। जबकि 9 परियोजनाओं के तकरीबन 350 केंद्रों के तकरीबन 5 हजार से अधिक हितग्राहियों को रेडी टू ईट ही नहीं पहुँचा।सेक्टर पर्यवेक्षकों की लिखित शिकायत के बाद परियोजना से डीपीओ को प्रकरण में लिखे पत्र से महकमे में खलबली मच गई है।
यहां बताना होगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 माह से 6 वर्ष के
नौनिहालों ,किशोरियों,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। पूर्व में स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से रेडी टू ईट कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा था । गेहूं ,सोया ,चना ,मूंगफली मिश्रित पौष्टिक पोषण आहार रेडी टू ईट य माह से 3 वर्ष तक के बच्चों ,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए प्रत्येक मंगलवार को दिए जाने का प्रावधान है ताकि उन पर कुपोषण की काली छाया न पड़े ,कुपोषित हितग्राही इसके दायरे से बाहर निकल सकें। लेकिन 24 दिसंबर 2021 को छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा कैबिनेट में लिए गए निर्णय अनुसार सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का हवाला देकर राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के माध्यम से स्वचलित मशीनों के माध्यम से रेडी टू ईट का उत्पादन करने का निर्णय लिया है ।
1 अप्रैल से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के स्वचलित मशीनों के माध्यम से तैयार रेडी टू ईट बच्चों तक पहुंचाई जा रही है। जिले में राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की इकाई छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। आपूर्तिकर्ता फर्म को सभी पुराने समूहों का अनुबंध समाप्त हो जाने की वहज से न केवल रेडी टू ईट तैयार करना है वरन सभी परियोजनाओं के आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंचाने का भी दायित्व दिया गया है। लेकिन फर्म जहां समय पर रेडी टू ईट पहुंचाने में नाकाम रहा है वहीं बलरामपुर,कोरबा जिले की तर्ज पर रेडी टू ईट की अफरातफरी करने की जुगत में लगा है । अब जशपुर जिले के मनोरा परियोजना के सभी 9 सेक्टर के 350 आगंनबाडी केंद्रों में सितम्बर व अक्टूबर माह का रेडी टू ईट वितरण नहीं होने का मामला सामने आया है ।
प्रकरण में हैरान कर देने वाला यह तथ्य सामने आया है कि
राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड रायपुर का उत्तरप्रदेश के ट्रांसपोर्टर कांट्रेक्टर सिंह रोड लाइन्स से 629 .1 बोरी शिशु शक्ति आहार के प्राप्ति की पावती स्थानीय हॉकर/डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा दे दी गई। जबकि रेडी टू ईट मनोरा परियोजना के गोदामों में कायदे से पहुंचना था। जहां से हितग्राहियों के लिए 350 आंगनबाड़ी केंद्रों को वितरण किया जाना था। जब नियत समय पर रेडी टू ईट नहीं मिला एवं 5 हजार से अधिक हितग्राहियों के द्वारा हंगामा मचाए जाने के आसार नजर आए तो पर्यवेक्षकों के सब्र का बांध टूट पड़ा ।
मनोरा परियोजना के सभी 9 सेक्टर अलोरी ,घाघरा ,जामपाठ ,पटिया, मनोरा ,खरसोटा ,सोगड़ा,सोक्यारी
एवं पोंड़ीपटकोना के पर्यवेक्षकों ने 11 अक्टूबर को पत्र लिखकर परियोजना अधिकारी मनोरा को सितंबर व अक्टूबर माह का रेडी टू ईट अप्राप्त होने के कारण वितरण नहीं हो पाने की लिखित सूचना दी।परियोजना कार्यालय रेडी टू ईट गोदाम तक नियत समयावधि में नहीं पहुंचने से पहले ही सशंकित था। पर्यवेक्षकों के लिखित पत्र के बाद खलबली सी मच गई।
सीडीपीओ अवकाश पर थीं,लिपिक ने निभाया कर्तव्य डीपीओ कार्यालय को कराया अवगत
इस दौरान सीडीपीओ मनोरा सुश्री लिली कुजूर अवकाश पर थीं । लिहाजा लिपिक सुकुलसाय टोप्पो ने अपने कार्यदायित्व का निर्वहन करते हुए कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग को इस गम्भीर मामले से पर्यवेक्षकों के लिखित प्रतिवेदन के साथ अवगत कराया। जिसके बाद जिला कार्यालय में ही हड़कम्प मच गया।
डीपीओ ,सीडीपीओ के बयानों में विरोधाभाष ,आखिर क्या है माजरा!
डीपीओ अरुण पांडेय जहां रेडी टू ईट सभी परियोजनाओं में पहुंचने के अपने दावों पर अड़िग हैं। वहीं परियोजना अधिकारी रेडी टू ईट प्राप्त नहीं होने की बात कह रही हैं। पर्यवेक्षकों की लिखित शिकायत उनके बयानों को पुष्ट बना रही हैं। ऐसे में माजरा समझ से परे नजर आ रहा। बहरहाल जिला प्रशासन को महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालित योजनाओं एवं केंद्रों की व्यवस्थाओं पर त्वरित ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
तो क्या पूरे प्रदेश में चल रहा खेल!शासन की खामोशी से उठे सवाल
रेडी टू ईट प्रदाय योजना को स्थानीय समूहों से छीनकर एकल हाथों में ठेका प्रथा में देने को लेकर शुरू से विरोध के स्वर उठे। मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा पर शासन के तर्क व जिद के आगे तकरीबन 16 हजार समूह के महिलाओं की आवाज दब गई। अब जिस तरह लगातार जिला दर जिला रेडी टू ईट के अफरातफरी ,अनियमित वितरण के मामले सामने आ रहे और शासन खामोश है कहीं न कहीं आने वाले समय में जनता इसका जवाब मांगेगी।
देखें कब कहाँ क्या गड़बड़ी 👇
1.बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत जतरो के हर्राडांड बस्ती के निजी मकान में 22 अगस्त 2022 160 बोरी रेडी टू ईट पकड़ाया । सत्ता पक्ष के स्थानीय विधायक ने डीपीओ पर लगाया था मिलीभगत का आरोप ।
2 .कोरबा जिले के गोकुलनगर के एक निजी मकान में 5 अक्टूबर 2022 को 28 बोरी रेडी टू ईट सहित 132 बोरो रेडी टू ईट लदा पिकअप पकड़ाया।
3 .जशपुर जिले के मनोरा परियोजना के लिए 22 सितम्बर 2022 को 629 बोरा रेडी टू ईट की हॉकर ने ली पावती,रेडी टू ईट न गोदाम में पहुंचा न केंद्र में ।
गोदाम में नहीं पहुंचा रेडी टू ईट
कल तक कि स्थिति में हमारे गोदाम में सितम्बर माह का रेडी टू ईट नहीं पहुंचा है । मई जून माह में गोदाम में ही रेडी टू ईट पहुँचाई गई थी। अभी रेडी टू ईट कहाँ गिरा है हमें नहीं मालूम । पत्र के बारे में मुझे नहीं पता मैं अवकाश में थी।
लिली कुजूर ,परियोजना अधिकारी ,मनोरा
जानकारी का अभाव ,सभी जगह पहुंच गई है रेडी टू ईट
रेडी टू ईट सभी परियोजनाओं में पहुंच गई है। जानकारी के अभाव में पर्यवेक्षक एवं परियोजना लिपिक ने प्राप्त न होने की सूचना दी है। वितरण व्यवस्था पर पूरी निगरानी रखी जा रही है । शासन को नियमित रूप से अवगत कराया जा रहा है।