महंगाई से घर चलाना मुश्किल, बच्चों की पढ़ाई से लेकर कार तक, लोन लेकर ऐसे सपने को पूरा कर रहे भारतीय
August 1, 2023भारत में महंगाई का आलम ये है कि लोगों के लिए अपना घर चलाना भी मुश्किल है. टमाटर जैसी रोजमर्रा की वस्तु 100 रुपये किलो केआसपास मिल रही है, तो लगभग सालभर से भी ज्यादा समय हो गया है जब से पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर के आसपास बने हुए हैं. ऐसे में बचत तो दूर की बात लोग अपने घर, कार और बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी तक के सपने को लोन से पूरा कर रहे हैं. इस बात की गवाही खुद रिजर्व बैंक के आंकड़े दे रहे हैं.
देश में बैंकों से लोन लेने की संख्या और राशि दोनों बढ़ी है. जून 2023 में बैंकों का मार्केट में दिया गया लोन 16.3 प्रतिशत बढ़ गया है. इसमें सबसे अधिक बढ़ोतरी रिटेल लोन में देखी गई है. इसमें व्हीकल, होम, एजुकेशन और पर्सनल लोन शामिल हैं. वहीं नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) का लोन भी बढ़ा है.
रिटेल लोन में 21 प्रतिशत ग्रोथ
आरबीआई के आंकड़े दिखाते हैं कि रिटेल लोन क्रेडिट ग्रोथ काफी अधिक रही है. जून 2023 में ये 20.9 प्रतिशत रही है. जबकि इंडस्ट्रियल लोन की ग्रोथ 8.1 प्रतिशत, एग्रीकल्चर लोन की 19.7 प्रतिशत और नॉन-फूड क्रेडिट 16.4 प्रतिशत बढ़ा है. हालांकि सबसे ज्यादा क्रेडिट ग्रोथ सर्विस सेक्टर में 26.7 प्रतिशत रही है. ये सारी जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मासिक बुलेटिन में सामने आई है.
67% भारतीय लेते हैं पर्सनल लोन
रिटेल लोन में भी लोगों का पर्सनल लोन लेना बढ़ा है जिसकी वजह से इस सेगमेंट में ओवरऑल ग्रोथ देखने को मिली है. वहीं हाल में सरल क्रेडिट के सर्वे में पाया गया कि अपनी फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए 67 प्रतिशत भारतीय कम से कम एक बार पर्सनल लोन जरूर लेते हैं.
इसमें भी दिलचस्प बात ये है कि पर्सनल लोन लेने वालों में से 9 प्रतिशत ने सिर्फ यात्रा या वेकेशन के लिए इसे लिया है. जबकि 36 प्रतिशत लोगों ने घर खरीदने में कम पड़ी रकम को पूरा करने या घर रेनोवेट कराने के लिए होम लोन लिया है.
घर, कार, बच्चों की पढ़ाई लोन से
पर्सनल लोन के अलावा रिटेल लोन सेगमेंट में ग्रोथ की मुख्य वजह कार और हाउसिंग लोन में बढ़ोतरी होना है. वहीं इसके अलावा एजुकेशन लोन भी बड़ी संख्या में लिए गए हैं. वहीं इंडस्ट्रियल लेवल पर लिए जाने वाले लोन को लेकर आरबीआई का आकलन है कि बड़ी कंपनियों का लोन लेना दिखाता है कि देश में कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ रहा है, जो इकोनॉमी के लिए मल्टीप्लायर इफेक्ट देगा. वहीं स्मॉल और मीडियम साइज की फर्म का लोन उठाना जून में कम हुआ है.