BREAKING NEWS : KORBA में भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला लंबित, इसके आधार पर करोड़ों का फर्जीवाड़ा
July 20, 20230. प्रमाण पत्र जारीकर्ता,आवेदन सत्यापनकर्ता और संबंधितों पर एफआईआर तक नहीं
कोरबा । कोरबा जिले में भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला वर्षों से लंबित पड़ा है। फर्जी आदिवासी बनकर बिना किसी राजस्व प्रकरण के ही जाति प्रमाण पत्र जारी करवाकर इसके सहारे करोड़ों का जमीन और मुआवजा घोटाला हुआ है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज तक कोई बड़ी और सख्त कार्यवाही उन पर तय नहीं हो पाई है जो सरकारी नुमाइंदे हैं और अपने कर्तव्य के विरुद्ध जाकर फर्जी काम किये हैं।
जांच और कार्यवाही के नाम पर अधिकारी केवल टालते जा रहे हैं और इनके कारण सरकार की छवि खराब हो रही है। बता दें कि उक्त फर्जी प्रमाण पत्र का मामला दीपका में संचालित आर्यन कोल बेनिफिकेशन (एसीबी ) कंपनी को बेजा लाभ दिलाने से सीधे तौर पर जुड़ा है। कंपनी के द्वारा अपने 23 बाहरी मजदूरों के नाम से फर्जी आदिवासी के जाति प्रमाण पत्र बनवाये गए जो कटघोरा तहसील से जारी हुए हैं।
इसके बाद इन फर्जी आदिवासियों के नाम असली आदिवासियों की जमीन खरीदकर 40 करोड़ रुपया रेल कॉरिडोर का मुआवजा प्राप्त किया गया। इसके अलावा इन्ही के नाम से लगभग 500 एकड़ एकड़ ज़मीन लेकर/काबिज होकर उस पर उद्योग संबंधी निर्माण कराया। इसकी प्रमाण सहित शिकायत के बाद वर्ष 2022 में ज़िला स्तरीय जाति सत्यापन समिति ने जांच कर उक्त सभी फर्जी जाति प्रमाण पत्रों को निलंबित किया लेकिन बर्खास्त करने की कार्यवाही आज तक लंबित है।
इसके साथ ही कटघोरा तहसील से उक्त 23 लोगों के जाति प्रमाण पत्र संबंधी राजस्व प्रकरण के दस्तावेज भी ग़ायब हैं। इस मामले में संलिप्त राजस्व अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्यवाही तो दूर एफआईआर तक नहीं कराई जा सकी है। इस तरह से इतने बड़े मामले और फर्जीवाड़ा में कठोर कार्यवाही का न होना इस तरह की कार्यशैली वालों का मनोबल बढ़ाने वाला है। इस मामले में शासन व जिला प्रशासन को गंभीरता से ध्यान देकर शेष कार्यवाही और फर्जी तरीके से खरीदी गई जमीनों की धारा 170( ख) के तहत वापसी की प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत है।