जर्जर सड़क को लेकर आंदोलन जारी, सड़क पर ग्रामीणों ने किया रावण दहन
October 6, 2022धमतरी, 06 अक्टूबर । सालों से जर्जर सड़क के मरम्मत, निर्माण व चौड़ीकरण नहीं होने से आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क पर आंदोलन शुरू कर दिया है। पिछले कई दिनों से आंदोलन को अलग-अलग रूप दिया जा रहा है। दशहरा पर्व के दिन ग्रामीणों ने सड़क पर रावण का पुतला दहन कर प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार से सड़क बनाने मांग की। साथ ही सात अक्टूबर को ग्रामीणों ने सड़क पर ही चक्काजाम करने की चेतावनी दी है।
धमतरी ब्लाक के ग्राम कोलयारी, खरेंगा, दोनर व जोरातराई सड़क मरम्मत, निर्माण व चौड़ीकरण की मांग सालों पुराना है। इस सड़क के निर्माण को लेकर भाजपा व कांग्रेस के नेता कई बार अपनी राजनीति भी चमका चुके हैं। नेताओं ने वाहवाही तो लूट ली, लेकिन सड़क की स्थिति जस की तस है। जबकि इस सड़क से होकर जिला प्रशासन को हर रोज लाखों का राजस्व मिल रहा है, फिर भी इस सड़क निर्माण को लेकर राज्य सरकार गंभीर है न ही जिला प्रशासन। ऐसे में सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों की भीड़ ही आंदोलन में कूद पड़े हैं। राज्य सरकार से सड़क बनाने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से दर्री, खरेंगा, कोलियारी समेत अन्य गांवों के ग्रामीण जर्जर सड़क पर ही आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इन ग्रामीणों की मांग को लेकर शासन गंभीर नहीं है। यही वजह है कि आक्रोशित ग्रामीणों ने पांच अक्टूबर को दशहरा पर्व के चलते जर्जर सड़क के बीचोबीच रावण का पुतला दहन कर आक्रेश जाहिर करते हुए प्रदर्शन किया।
ग्रामीणों का कहना है कि इन सड़कों का उपयोग केवल रेत निकालने के लिए दुधारू गाय की तरह किया जा रहा है। नेता, अधिकारी रुपये कमाकर लाल रहे है, लेकिन बदहाल सड़कों से ग्रामीण बेहाल है। एडीबी के नाम पर भाजपा-कांग्रेस के नेता सिर्फ प्रस्तावित कार्य को स्वीकृति बता रहे थे, लेकिन हकीकत बताने सामने नहीं आ रहे हैं। आंदोलन करने वालों में दयाराम साहू, हिरेन्द्र साहू संयोजक, सरपंच गितेश्वरी साहू, चोखेलाल साहू, खिलावन साहू, निरंजन साहू, खिलेश्वर, अशोक राम, उत्तम कुमार, ओमप्रकाश, दौलत राम, तामेश्वर साहू, संजय चक्रधारी, रोशन केसरिया, टेकू केसरिया, शिव कुमार साहू आदि शामिल है।
चक्काजाम की चेतावनी
आंदोलनकारी ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि राज्य सरकार व जिला प्रशासन ग्रामीणों की मांग को गंभीरता से लेते हुए सड़क निर्माण व चौड़ीकरण पर ध्यान नहीं देते हैं, तो सात अक्टूबर से ग्रामीणों की भीड़ चक्काजाम करेंगे। इसके लिए शासन-प्रशासन ही जिम्मेदार होंगे।