Accident Breaking : ‘गाड़ी में सुन रहे थे भजन’, बस ने मारी टक्कर और परिवार खत्म….
July 11, 2023मेरठ: मनोकामना पूरी हो गई था. पूरा परिवार खुश था. इसी खुशी में सभी लोग अपनी टीयूवी में सवार हुए चल पड़े खांटू वाले के दरबार की ओर. लेकिन उन्हें क्या पता कि जिस खांटू वाले की कृपा से उनकी मनोकामना पूरी हुई है, वही हारे का सहारा उनकी जिंदगियां छीन लेगा. जिस घर में एक साथ तीन भाइयों के बच्चों का परिवार खुशी खुशी हंसी ठिठौली करता था, अचानक से मातम पसर जाएगा. लेकिन ऐसा ही हो गया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद के बहरामपुर में हुए हादसे से जुड़े परिवार की.
इस परिवार के छह लोग इस हादसे में मौत के शिकार हो गए हैं. जबकि दो लोग अस्पताल के बेड पर जीवन और मौत से जूझ रहे हैं. परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक पूरा परिवार कई दिनों से खांटू श्याम जी के दरबार में हाजिरी लगाने की सोच रहा था. तय हुआ कि सबसे छोटे जितेंद्र का परिवार घर की रखवाली के लिए रुकेगा. वहीं बड़े दोनों भाइयों नरेंद्र और धर्मेंद्र का परिवार मंगलवार को इस यात्रा पर जाएगा. चूंकि रास्ता लंबा था, इसलिए परिवार के लोग सभी तैयारियां कर सुबह पांच बजे गाड़ी में बैठकर हारे का सहारा- बाबा श्याम हमारा के दरबार की ओर चल दिए.
गाड़ी के म्यूजिक सिस्टम में श्याम दरबार का भजन भी बज रहा था. सुबह छह बजे करीब 90 किमी का सफर तय कर ये लोग गाजियाबाद के बहराम पहुंचे ही थे कि यह हादसा हो गया. परिजनों के मुताबिक नरेंद्र की एक बहन गुरुग्राम में रहती है. इन लोगों ने घर से निकलने से पहले उसे भी सूचित कर दिया था कि वह तैयार रहे. उसे साढ़े 8 बजे तक तैयार रहने को कहा था. लेकिन उससे पहले बहन को इस दुर्घटना की सूचना मिल गई. अब उसके भी रो रोकर बुरे हाल हैं. इधर, मेरठ में इनके घर शुभचिंतकों का तांता लगा है.
सन्नाटें को चीर रही हैं चित्कार की आवाजें
हर आदमी इस घटना को लेकर हैरान और परेशान है. लोग कह रहे हैं कि परिवार तो श्याम दरबार के लिए निकला था, फिर यह हादसा कैसे हो गया. कोई इसे काल की गति बता रहा है तो कोई कुछ और. इनके घर में सन्नाटा पसरा है, लेकिन रूक रूक कर महिलाओं के रूदन और चित्कार की आवाजें इससन्नाटे को तोड़ रही हैं. ऐसा हो क्यों नहीं, एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हुई है. इनमें तीन जवान मौतें हुई हैं, जबकि तीन बच्चों ने अपनी जिंदगी खोयी है. बता दें कि नरेंद्र की गाड़ी में कुल 8 लोग सवार थे. एक तो नरेंद्र यादव (42) खुद थे.
इसके अलावा उनकी धर्मपत्नी अनिता (38), बेटा दीपांशु (17), हिमांशु (11) और दूसरे भाई धर्मेंद्र यादव (37), उनकी धर्मपत्नी बबिता (30), पुत्री परी (10) व बेटा कार्तिक (8) शामिल है. इनमें से धर्मेंद्र यादव और उनका बेटा कार्तिक जिंदा तो बच गए, लेकिन उनकी स्थिति काफी नाजुक है. बाकी 6 लोगों की इस हादसे में दर्दनाक मौत हुई है. आलम यह है कि इस घटना की खबर से ही पूरे गांव में मातम पसर गया है. जिस घर में बच्चों की किलकारियां और खेलने कूदने की आवाजें गूंजती थीं, आज रूदन और मातम का माहौल है. पड़ोसियों के मुताबिक गांव में इन भाइयों का परिवार इकट्ठा रहता था. वह ऐसे ही अपने बच्चों को भी संस्कार देते थे. परिवार के सभी लोग बड़े मिलनसार थे. इस लिए इस घटना से पूरा गांव दुखी है.