Mithun Chakraborty Mother Death: मिथुन चक्रवर्ती की मां का निधन
July 7, 2023कोलकाता. फिल्म अभिनेता सह भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती की मां शांतिरानी चक्रवर्ती का शुक्रवार को निधन हो गया है. वह उम्र जनित बीमारियों से पीड़ित थीं. शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. फिलहाल उनकी मां अपने बेटे मिथुन चक्रवर्ती के साथ मुंबई में रह रही थीं. मिथुन चक्रवर्ती की मां के निधन पर बंगाल भाजपा से लेकर सत्तारूढ़ टीएमसी के नेताओं ने शोक जताया है. इसके साथ ही फिल्मी जगत की हस्तियों ने भी मृत्यु पर शोक जताया है.
कोविड के दौरान 21 अप्रैल 2020 को मिथुन चक्रवर्ती पिता बसंत कुमार चक्रवर्ती का 95 वर्ष की आयु में किडनी फेल होने के कारण निधन हो गया था. इस बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता ने अपनी मां को भी खो दिया.
मिथुन चक्रवर्ती कभी अपने माता-पिता और 4 भाई-बहनों के साथ कोलकाता के जोड़ाबागान इलाके में रहते थे, लेकिन मिथुन चक्रवर्ती ने जब एक्टिंग की दुनिया में अपना नाम कमाया तो वह अपने मां- पिता को अपने साथ ले गये थे.
जब मिथुन चक्रवर्ती मुंबई में रहने लगे तो वह अपनी मां को भी अपने साथ ले गए. तब से उनकी मां शांतिरानी चक्रवर्ती मुंबई में ही रहती थीं. बंगाल भाजपा की ओर से मिथुन चक्रवर्ती की मां के निधन पर शोक जताया गया है.
कई हस्तियों ने निधन पर जताया शोक
कुछ दिनों पहले मिथुन चक्रवर्ती ‘डांस बांग्ला डांस’ के सेट पर अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि देते नजर आए थे. उस दौरान मिथुन चक्रवर्ती ने अपने दिवंगत पिता को याद किया था.
बंगाल भाजपा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य, वरिष्ठ भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती की मां का स्वर्गवास हो गया है. हम दुखी हैं, हैरान हैं. इस कठिन परिस्थिति में भाजपा परिवार का हर सदस्य उनके साथ खड़ा है.
मिथुन चक्रवर्ती की मां के निधन पर टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दुख जताया है. अपने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद कुणाल घोष ने राजनीतिक कड़वाहट को भुलाकर अभिनेता के कठिन समय पर शोक व्यक्त किया.
भाजपा में शामिल हुए हैं मिथुन चक्रवर्ती
बता दें कि मिथुन चक्रवर्ती विधानसभा चुनाव के दौरान कोलकाता की ब्रिगेड मैदान में पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में भाजपा में शामिल हुए थे. उन्होंने भाजपा कार्यकारिणी का सदस्य भी बनाया गया था.
विगत दिनों मिथुन चक्रवर्ती राज्य के विभिन्न इलाकों का दौरा किया था और पंचायत चुनाव के पहले भाजपा कार्यकर्ताओं को संगठित करने में जुटे हुए थे, लेकिन पंचायत चुनाव के दौरान उन्हें प्रचार करते नहीं देखा गया था.