Dhoni Birthday: जब वर्ल्ड क्रिकेट ने पहली बार देखी थी धोनी की ‘मैजिकल’ कप्तानी, युवा ब्रिगेड ने रचा था इतिहास
July 7, 2023नई दिल्ली । 2007 वनडे वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का बुरा हश्र हुआ था। दिग्गजों खिलाड़ियों से सजी भारतीय टीम ग्रुप स्टेज में ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी। हार से फैन्स में आक्रोश था और जगह-जगह खिलाड़ियों के पुतले फूंके जा रहे थे। टी-20 क्रिकेट का उस समय इंटरनेशनल क्रिकेट में जन्म ही हुआ था और आईसीसी ने इस फॉर्मेट में विश्व कप करवाने का एलान कर दिया था, जिसकी मेजबानी साउथ अफ्रीका को सौंपी गई थी।
वनडे वर्ल्ड कप के शर्मनाक प्रदर्शन के दाग को टी-20 में धो डालने का सुनहरा मौका था। फटाफट क्रिकेट के पहले विश्व कप से सीनियर खिलाड़ियों ने परहेज किया, तो सेलेक्टर्स ने युवा टीम खड़ी की, जिसकी अगुआई एमएस धोनी के हाथों में सौंपी गई। युवराज, हरभजन और सहवाग जैसे सरीखे प्लेयर्स के टीम में होने के बावजूद माही को कप्तानी दिए जाने के फैसले पर भी सवाल उठे। हालांकि, साउथ अफ्रीका की धरती पर धोनी ने युवा ब्रिगेड के साथ जो कमाल करके दिखाया, वो इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिख उठा।
बॉलआउट में पाकिस्तान को दी मात
टी- 20 वर्ल्ड कप के दूसरे ही मैच में भारत का सामना पाकिस्तान से हुआ। भारतीय टीम ने स्कोर बोर्ड पर 9 विकेट खोकर 141 रन टांगे। हालांकि, इसके जवाब में पाकिस्तान भी 7 विकेट गंवाकर 141 रन बनाने में सफल रही। यानी मैच टाई हो गया। उन दिनों सुपर ओवर का नियम लागू नहीं था। ऐसे में बॉलआउट से मैच का नतीजा तय होना था।
बॉलआउट में टीम इंडिया की पहली बार कप्तानी कर रहे एमएस धोनी की चतुराई दिखी और उन्होंने गेंदबाजों की बजाय स्टंप को आसानी से हिट कर पाने वाले पार्ट टाइम बॉलर्स का इस्तेमाल किया। माही खुद विकेट के पीछे घुटने के बल बैठ गए, ताकि गेंदबाज को विकेट की हाइट का अंदाजा रहे। माही का दांव एकदम फिट बैठा और टीम इंडिया बाजी मारने में सफल रही।
इंग्लैंड-साउथ अफ्रीका को दी मात
न्यूजीलैंड से हारने के बाद सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए भारतीय टीम के लिए बचे हुए दोनों ही मैचों में जीत जरूरी हो गई थी। इंग्लैंड के खिलाफ युवराज सिंह के बल्ले ने आग उगली और युवी ने स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर में छह छक्के लगाते हुए महज 12 गेंदों पर फिफ्टी ठोकी। इंग्लिश टीम को भारत 18 रन से हराने में सफल रहा। वहीं, साउथ अफ्रीका मुश्किल हालात में कप्तान धोनी टीम के लिए मसीहा बने और उन्होंने 45 रन की बेहतरीन पारी खेली।
सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं, बल्कि इस मुकाबले में माही की फील्डिंग सेटिंग और गेंदबाजों को शानदार तरीके से यूज करने को लेकर भी जमकर तारीफ हुई। जीत भारत की झोली में आई में धोनी की कप्तानी में टीम ने सेमीफाइनल का टिकट कटा लिया।
सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को चटाई धूल
सेमीफाइनल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था, जिसकी वर्ल्ड क्रिकेट में उस समय तूती बोल रही थी। कंगारू टीम को हराने के लिए करिश्माई प्रदर्शन की जरूरत थी, जो आया युवराज और धोनी के बल्ले से। युवी ने 30 गेंदों पर 70 रन कूटे, तो माही ने 200 के स्ट्राइक रेट से खेलते हुए 18 गेंदों पर 36 रन जड़े। टीम इंडिया ने स्कोर बोर्ड पर 188 रन लगाए। रही-सही कसर गेंदबाजों ने पूरी की और भारत ऑस्ट्रेलिया का सपना तोड़ने में सफल रहा।
फाइनल में पाकिस्तान से भिड़ंत
टीम इंडिया को फाइनल का टिकट मिल चुका था, लेकिन विश्व कप ट्रॉफी और माही की युवा ब्रिगेड की राह में पाकिस्तान खड़ा था। वही पाकिस्तान जिसके खिलाफ ग्रुप स्टेज में जीत के लिए टीम को काफी पापड़ बेलने पड़े थे। फाइनल में भारतीय टीम ने गौतम गंभीर के बल्ले से निकली 75 रन की पारी के दम पर 20 ओवर में 5 विकेट खोकर स्कोर बोर्ड पर 157 रन लगाए।
लक्ष्य का पीछा करते हुए पाकिस्तान की पारी बुरी तरह से लड़खड़ा गई और पड़ोसी मुल्क ने 7 विकेट सिर्फ 104 के स्कोर पर गंवा दिए। भारतीय टीम को जीत की खुशबू आने लगी थी। इरफान पठान और आरपी सिंह मिलकर कहर बरपा रहे थे। हालांकि, अभी कहानी में टिवस्ट बाकी था, जो मिस्बाह उल हक लेकर आए। मिस्बाह चट्टान की तरह भारतीय टीम के सामने खड़े हो गए और चौके-छक्कों की बरसात कर डाली। मैच आखिरी ओवर तक जा पहुंचा था और रोमांच अपने चरम पर था।
माही का मास्टर स्ट्रोक
आखिरी ओवर में जीत के लिए पाकिस्तान को 13 रन की दरकार थी और हाथ में विकेट था बस एक। चिंता की बात यह थी कि मिस्बाह उल हक क्रीज पर सेट थे और स्ट्राइक भी उनके पास ही थी। हर कोई एक टक लगाए कप्तान धोनी की तरह देख रहा था कि वह आखिरी ओवर के लिए गेंद किसके हाथों में सौंपेंगे। हरभजन का एक ओवर बचा हुआ था और उनके पास अनुभव भी मौजूद था। हालांकि, माही ने हर किसी को चौंकाते हुए अंतिम ओवर के लिए गेंद जोगिंदर शर्मा को थमा दी।
जोगिंदर के हाथ से निकली ओवर की पहली गेंद वाइड गई, तो दूसरी पर मिस्बाह ने सामने की तरह जोरदार सिक्स जड़ दिया। तमाम भारतीय फैन्स की सांसें अटक चुकी थी। फाइनल मैच के आखिरी ओवर का दबाव जोगिंदर महसूस कर रहे थे। धोनी विकेट के पीछे से भागते हुए आते हैं और जोगिंदर से लंबी बातचीत करते हैं। जोगिंदर की अगली बॉल पर मिस्बाह स्कूप शॉट लगाने का प्रयास करते हैं और बॉल हवा में खड़ी हो जाती है।
एस श्रीसंत कैच के साथ-साथ टी-20 वर्ल्ड कप को भी पकड़ने में सफल रहते हैं। धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम टी-20 विश्व कप के पहले संस्करण की चैंपियन बन चुकी थी। भारतीय ड्रेसिंग रूम बीच मैदान पर जश्न में डूब चुका था। साउथ अफ्रीका की धरती पर माही ने युवा टीम के साथ इतिहास रच दिया था।