High Court: इंटरनेट के दौर में बच्चे जल्दी हो रहे जवान, सहमति से संबंध की उम्र 16 साल हो, हाई कोर्ट की केंद्र को सलाह
June 30, 2023मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भारत सरकार से लड़की और लड़कों के बीच आपसी सहमति से संबंध बनाने की उम्र को 18 साल से घटाकर 16 साल करने पर विचार करने की सलाह दी है. हाई कोर्ट ने कहा कि आज के इस मौजूदा दौर में सोशल मीडिया को लेकर जागरूकता और बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी की वजह से बच्चे जल्दी समझदार और जवान हो जा रहे हैं.
पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मुकदमें की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया और इंटरनेट की उपलब्धता के कारण 14 साल की आयु के आसपास के हर लड़के-लड़की कम उम्र में ही जवान और समझदार हो जा रहे हैं. इसके कारण लड़के और लड़की एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो रहे हैं और आकर्षण की वजह से ही वे आपसी सहमति से शारीरिक संबंध भी बना रहे हैं.
अदालत ने कहा, ऐसे मामलों में सभी लड़के क्रिमिनल नहीं है. यह केवल उम्र की बात है, इसलिए वे जब भी लड़कियों के संपर्क में आते है तो शारीरिक संबंध बना बैठते हैं. इसके साथ-साथ हाई कोर्ट ने क्रिमिनल लॉ (संशोधन) एक्ट, 2013 के जरिए एक लड़की द्वारा आपसी सहमति से संबंध बनाने की उम्र को 16 से 18 साल किए जाने पर भी टिप्पणी की. खंडपीठ ने कहा कि आपसी सहमति की उम्र 18 साल होने के कारण समाज में लड़कों के साथ क्रिमिनल जैसा व्यवहार किया जाता है.
2013 में बढ़ा दी गई उम्र की सीमा
बता दें, 2013 में क्रिमिनल लॉ में संशोधन से पहले लड़की-लड़कों की आपसी सहमति की उम्र 16 साल थी. ऐसे में इससे कम उम्र की लड़की के साथ बने शारीरिक संबंध को बलात्कार माना जाता था. 2013 में कानून में संशोधन करते हुए शारीरिक संबंध की उम्र 16 साल से बढ़ाकर 18 साल कर दी गई. जिसका मतलब ये हुआ की 18 साल से कम उम्र में बने शारीरिक संबंध बलात्कार की श्रेणी में आएंगे.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ग्वालियर के रहने वाले राहुल जाटव (23) के खिलाफ साल 2020 में 14 साल की नाबालिग लड़की ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया है. नाबालिग होने की वजह से जाटव के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है. जाटव पर आरोप है कि कोचिंग पढ़ाने के वक्त लड़की को जूस पिलाया जिसके बाद वो बेहोश हो गई. इसके बाद जाटव ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया और वीडियो भी बनाया. इसी वीडियो के जरिए ब्लैकमेल कर उसने कई बार संबंध बनाए.
इस मामले में बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट के सामने दलील दी है कि आरोपी की मामले में एफआईआर सात महीने की देरी से दर्ज कराई गई है और इसके अलावा यदि दोनों के बीच में कोई शारीरिक संबंध बने थे तो वो लड़की की सहमति से थे, इसके लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई थी.