Pregnancy Problems: प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह का इंफेक्शन हो सकता है मां के साथ बच्चे के लिए भी खतरनाक
June 3, 2023Pregnancy Problems: गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) की हर तिमाही के दौरान स्त्रियों के शरीर में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं। हॉर्मोनल, शारीरिक और मानसिक बदलावों के कारण इम्युनिटी में भी बदलाव होता है और इससे गर्भवती महिलाएं इंफेक्शन और बीमारियों के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो जाती हैं।
इनमें से कुछ संक्रमण मां और शिशु के लिए हानिकारक हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान उपचार में भी फर्क हो सकता है, क्योंकि कुछ ड्रग्स गर्भनाल परिसंचरण (प्लेसेंटल सर्कुलेशन) में प्रवेश कर जाते हैं और शिशु के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
इसलिए गर्भावस्था के दौरान संक्रमण और रोगों की रोकथाम से सम्बंधित उपायों के बारे में जानना बेहद जरूरी है।
गर्भावस्था के किस तरह के संक्रमण का रहता है खतरा?
योनी में (वेजाइनल) संक्रमण, यीस्ट संक्रमण या वुल्वा में कैंडीडिएसिस, यूरिन इंफेक्शन, इन्फ्लुएंजा, मलेरिया, और जीका कुछ ऐसे संक्रमण हैं, जो गर्भवती स्त्रियों को हो सकता है। इनके अलावा, रूबेला, साइटोमेगैलोवायरस, टॉक्सोप्लाज्मोसिस, और हर्पीस जैसे संक्रमण का प्रभाव मां के साथ-साथ बच्चे पर भी पड़ सकता है। मां बनने वाले स्त्रियों के लिए किसी प्रकार के संक्रमण की शीघ्र पहचान और उपचार के लिए नियमित रूप से प्रसव-पूर्व जांच कराते रहना बहुत जरूरी है।
कैसे यह हो सकता है खतरनाक?
गर्भावस्था में होने वाले संक्रमण की वजह से कई और दूसरी सेहत संबंधी परेशानियां भी हो सकती हैं। अगर उपचार नहीं कराया जाए, तो मूत्र मार्ग का इंफेक्शन (यूटीआई) बढ़कर किडनी की समस्या पैदा कर सकता है। इससे समय से पहले प्रसव या जन्म के समय शिशु का वजन कम हो सकता है। बैक्टीरिया-जनित वेजाइनोसिस इंफेक्शन की वजह से भी प्रीमैच्योर डिलीवरी या फेटल मेम्ब्रेन्स फटने की आशंका हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान संक्रमणों और रोगों की कैसे कर सकते हैं रोकथाम?
गर्भावस्था के दौरान इंफेक्शन को जल्द से जल्द रोकना बहुत जरूरी है। नीचे बताये गए उपायों से गर्भावस्था के दौरान होने वाले संक्रमण और रोगों को कम करने या उन्हें रोकने में मदद मिलती है।
हेल्थ को रखें मेंटेन
गर्भवती स्त्रियों को साबुन और पानी से बार-बार, खासकर शौचालय के बाद, भोजन करने से पहले और पालतू जानवरों को छूने या डायपर बदलने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए क्योंकि इससे सबसे ज्यादा और सबसे तेजी से इंफेक्शन फैलता है।
• बीमार लोगों से दूर रहें
गर्भवती स्त्रियों को संक्रमित खासकर फ्लू, चिकनपॉक्स और हेपेटाइटिस जैसे वायरस-जनित इंफेक्शन से जूझ रहे लोगों के साथ संपर्क से बचना चाहिए। उन्हें दूसरे लोगों के कप, बर्तन और तौलिए का प्रयोग करने से भी परहेज करना चाहिए।
टीकाकरण कराएं
गर्भवती स्त्रियों को स्वयं को और अपने शिशुओं को फ्लू, रूबेला और हेपेटाइटिस जैसे संक्रमणों से बचाने के लिए टीके लगवाने चाहिए। फ्लू शॉट जैसे टीके गर्भवती स्त्रियों के लिए सुरक्षित हैं और इनसे मां और बच्चे, दोनों को ही बीमारियों से बचे रहने में मदद मिल सकती है।
• हेल्दी डाइट लें
गर्भावस्था के दौरान हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी होता है। गर्भवती स्त्रियों को जरूरी विटामिन्स और खनिज प्रदान करने वाले फलों और सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार लेना चाहिए।
• नियमित रूप से जांच कराएं
गर्भावस्था के दौरान डिलीवरी से पहले अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें। इनसे इंफेक्शन और अन्य बीमारियों का पता लग जाता है जिससे मां और बच्चे को होने वाले समस्याओं से बचाए रखने में मदद मिल सकती है। साथ ही, हर्पीस जैसे कुछ खतरनाक संक्रमण के मामले में जरूरत पड़ने पर डिलीवरी के प्रोसेस में भी बदलाव किया जा सकता है।
अगर संक्रमण का पता नहीं लगाया जाए या इसका उपचार नहीं कराया जाए, तो कोरिओऐम्निओटाईटिस जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती हैं, जो शिशु में होने वाला संक्रमण है। इसके कारण प्रसव के पहले या उस दौरान शिशु की मृत्यु हो सकती है। समय रहते इस पर ध्यान देकर प्रेग्नेंसी के दौरान और नवजात शिशु में जटिलताओं से बचा जा सकता है।