Blue Light Affect Health: लैपटॉप और मोबाइल से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों के साथ सेहत के लिए भी है खतरनाक
May 31, 2023Eye Care: कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी हमारे रेटिना को नुकसान पहुंचाती है और मैक्युलर डीजनरेशन की वजह बन सकती है। हालांकि अभी भी इस पर रिसर्च जारी है। डिजिटल उपकरणों की वजह से आंखों पर पड़ने वाला तनाव इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम इन उपकरणों का किस तरह से इस्तेमाल करते हैं।
लंबे समय तक इनका उपयोग करने से आंखों में खुश्की, धुंधला दिखाई देना, आंखों से पानी आना, सिर में दर्द और पलकें झपकने की दर कम होना जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। लेकिन इस खतरनाक ब्लू लाइट का असर सिर्फ आंखों पर ही नहीं पड़ता बल्कि इससे ओवरऑल सेहत प्रभावित होती है।
ब्लू लाइट से आंखों और सेहत पर किस तरह का असर पड़ता है?
नींद पर असर
नीली रोशनी हमारे शरीर के जागने और सोने के नेचुरल सर्कल को प्रभावित करती है। लम्बे समय तक डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी के संपर्क में रहने (खासतौर पर रात के समय) से नींद डिस्टर्ब हो सकती है। नींद में किसी भी तरह की बाधा शारीरिक और मानसिक सेहत पर असर डालती है। इसलिए बहुत जरूरी है रात में सोने से 2-3 घंटे पहले स्क्रीन से दूरी बना लें।
त्वचा पर असर
फोन, लैपटॉप और टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी स्किन सेल्स को प्रभावित कर सकती है। रिसर्च के अनुसार, अगर आप 1 घंटे से ज्यादा तक ब्लू लाइट के संपर्क में रहते हैं, तो यह आपकी स्किन सेल्स को बदलना शुरू कर देता है। इससे त्वचा पर काले धब्बे पड़ जाते हैं, आंखों में लालिमा, सूजन और सूखापन की प्रॉब्लम हो सकती है। झुर्रियां व फाइन लाइंस बनने लगती हैं, वक्त से पहले बुढ़ापा नजर आने लगता है।
स्किन कैंसर का खतरा
इतना ही नहीं बल्कि लंबे समय तक ब्लू लाइट के संपर्क में आना स्किन कैंसर के खतरे भी तेजी से बढ़ा सकता है। एक रिसर्च में भी यह पाया गया है कि लंबे समय तक लो एनर्जी वाली ब्लू लाइट अल्ट्रावॉयलेट रेज से भी ज्यादा स्किन की गहराई में जा सकती हैं, जिसके कारण स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
ऐसे करें बचाव
अपनी आंखों को सुरक्षित रखें
आंखों पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए, स्वस्थ आदतें अपनाएं। काम के बीच-बीच में ब्रेक लें। इसके लिए 20-20-20 का नियम अपनाएं। यानि हर 20 मिनट मिनट के बाद कम से कम 20 सेकेंड के लिए डिजिटल डिवाइस से 20 फीट दूर हो जाएं। इससे आंखों को आराम मिलता है, आंखों पर पड़ने वाला तनाव कम होता है।
क्या नीली रोशनी से बचाने वाले चश्मे सच में कारगर हैं?
कई रिसर्च में ये पाया गया है कि नीली रोशनी को रोकने वाले चश्मे आंखों को सुरक्षा देते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थेल्मोलोजी कम्प्यूटर के इस्तेमाल के लिए इस तरह के विशेष चश्मे के उपयोग की सलाह नहीं देती। हालांकि इन चश्मों से नीली रोशनी का सीधा संपर्क कम होता है, लेकिन आंखों के स्वास्थ्य पर इनके प्रभाव के कोई प्रमाण नहीं हैं।
कुल मिलाकर आंखों के स्वास्थ्य पर नीली रोशनी के प्रभाव पर ध्यान देने की ज़रूरत है। जागरुक बनें, डिवाइस को इस्तेमाल करने के लिए सही तरीके अपनाएं। किसी भी सहायता या सलाह के लिए अपने नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें। इन सब उपायों को अपनाकर आप आज के डिजिटल दौर में भी अपनी आंखों को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।