यहां नहीं बजती मोबाइल की घंटियां, इंटरनेट से कोसों दूर अंचल के गांव
May 21, 2023रायगढ़ , 21 मई । संचार क्रांति के इस दौर में जब भारत में आज 5जी इंटरनेट है। वहीं कुछ गांव ऐसे भी हैं जो नेटवर्क कनेक्टिविटी जैसी मूलभत सुविधा से वंचित हैं। ग्रामीणों को मोबाइल फोन पर बात करने के लिए के लिए 5 से 7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। रायगढ़ जिले के औद्योगिक क्षेत्र कहे जाने वाले तमनार अंचल के कुछ गांव आज भी जीरो कनेक्टिविटी की समस्या से जूझ रहे हैं, जो उनके विकास में बड़ी बाधा बनकर खड़ी है। वहीं जिम्मेदारों ने पल्ला झाड़ लिया है।
रायगढ़ जिले के विकास में तमनार क्षेत्र के गांवों का योगदान किसी से छुपा नहीं है। जिले में सबसे ज्यादा उद्योग इसी क्षेत्र में स्थापित हैं और राजस्व का बड़ा हिस्सा भी तमनार अंचल से सरकार को मिलता है। बावजूद अंचल के कई गांव आज भी पिछड़े हैं और विकास से कोसों दूर हैं। बता दें कि तमनार अंचल के डारआमा, ठरकपुर, भुईकुर्री, जीवरी सहित आसपास के कई अन्य गांव में आज तक इंटरनेट की सुविधा पहुंची तक नहीं है। ग्रामीण अभी भी मोबाइल नेटवर्क के लिए तरस रहे हैं।
मोबाईल पर बात करने के लिए उन्हें 5 से 6 किलोमीटर दूर का सफर तय कर नेटवर्क क्षेत्र में जाना पड़ रहा है। सूचना तकनीकी के अभाव में ग्रामीण 18वीं सदी का जीवन जीने को मजबूर हैं। आज जहां डिजिटल इंडिया के दौर में देश के बच्चे अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं, वहीं नेटवर्क विहीन इन गांवों के बच्चे बिना मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट के अपना भविष्य अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। आपातकालीन सेवाएं और पंचायत स्तर के कार्य प्रभावित हैं। समय में आपातकालीन सेवा नहीं मिल पाने के कारण लोगों की जानें भी जा रही है।
विकास में बाधा बनी जीरो कनेक्टिविटी
देखा जाए तो भारत अभी तक इंटरनेट के क्षेत्र में 5जी का सफर तय कर चुका है, लेकिन डारआमा, ठरकपुर, भुईकुर्री, जीवरी समेत अन्य गांव आज तक इंटरनेट की सुविधा के लिए तरस रहे हैं।प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें ऐसा लगता है कि वे देश के नागरिक नहीं हैं। गांव के युवाओं का कहना है कि आज के इस डिजिटल जमाने में वो भी जमाने के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाह रहे हैं, लेकिन इंटरनेट की सुविधा गांव तक नहीं पहुंच पाने के कारण उनका कदम पीछे हट रहा है। गांव के विकास में जीरो नेटवर्क कनेक्टिविटी बड़ी बाधा बनी हुई है। वहीं सरकार डिजिटल इंडिया की बात कर रही है।
सुध लेने वाला कोई नहीं
यहां के ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से नेटवर्क स्थापित करने की मांग की है, लेकिन अब तक ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।