जल्द कई और सरकारी बैंक हो सकते हैं प्राइवेट, बन रही है नई लिस्ट….
May 16, 2023वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2021 के बजट भाषण में दो सरकारी बैंकों को प्राइवेट हाथों में सौंपने का ऐलान किया था. लेकिन कोविड के बाद के हालात से उबर रहे बाजार में ये बात हवा हो गई और बैंकों के प्राइवेटाइजेशन को लेकर बहुत कुछ नहीं हुआ. इस बीच लगभग सभी सरकारी बैंक प्रॉफिट कमाने लग गए और अब सरकार की कोशिश प्राइवेटाइजेशन लायक बैंकों की एक नई लिस्ट बनाने की है.
केंद्र की मोदी सरकार ने देश में सरकारी बैंकों का कायाकल्प करने के लिए विलय और विनिवेश का रास्ता अपनाया है. देश में पहले 10 सरकारी बैंकों का आपस में विलय करके 4 बडे़ बैंक बनाए गए. अब सरकार जल्द ही एक समिति का गठन कर सकती है जो बैंक प्राइवेटाइजेशन पॉलिसी की समीक्षा करेगी और नई लिस्ट तैयार करेगी.
अप्रैल 2021 में नीति आयोग ने दो सरकारी बैंकों को प्राइवेट करने की सिफारिश की थी. संभावना जताई गई कि सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को प्राइवेट हाथों में सौंप सकती है. लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका.
एक सरकारी अधिकारी के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार की नई समिति का फोकस बड़े बैंकों के बजाय मझोले और छोटे बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का सुझाव दे सकती है. बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी की बिक्री उनकी परफॉर्मेंस, फंसे कर्ज और अन्य मानकों के आधार पर होगी.
इस नई कमेटी में निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम), नीति आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारी शामिल हो सकते हैं. हाल में अधिकतर सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट प्रॉफिटेबल बन गई है. इसलिए सरकार प्राइवेट होने लायक बैंकों की नई लिस्ट बनाने पर फोकस कर रही है.
खबर में बताया गया है कि सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब एंड सिंध बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक जैसे छोटे बैंकों के प्राइवेटाइजेशन पर फोकस कर सकती है. इसके अलावा मौजूदा वक्त में आईडीबीआई बैंक को प्राइवेट करने की प्रक्रिया जारी है.
वित्त वर्ष 2022-23 में सभी सरकारी बैंकों का प्रॉफिट एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. वहीं बीते एक साल में सरकारी बैंकों के Nifty PSU Bank Index ने 65.4 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की है. जबकि निफ्टी 50 की ग्रोथ महज 16 प्रतिशत रही है. देश में अभी कुल 12 सरकारी बैंक हैं.