Skin Infection: एक से दूसरे में फैलने वाला खतरनाक इंफेक्शन है स्कैबीज, बड़े ही नहीं बच्चे तक हो सकते हैं शिकार
May 9, 2023Skin Infection: स्कैबीज एक स्किन इंफेक्शन है, जो एक प्रकार के कीटाणु द्वारा होता है। इसमें खुजली, चकत्ते और दाने की प्रॉब्लम होती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को बहुत ज्यादा और लगभग हर वक्त ही खुजली होती रहती है जिस वजह से नींद न आने की भी प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है। ये एक इंसान से दूसरे इंसान तक बेहद आसानी से फैल सकती है।
स्कैबीज की वजह
स्कैबीज का कारण एक प्रकार का कीटाणु होता है जिसे सर्कोप्स स्कैबी कहते हैं। यह कीटाणु त्वचा की सतह के नीचे आता है और यहां बालों या खुजली वाले इलाकों में बसा जाता है। फिर इस कीटाणु द्वारा एक तरह का रासायनिक तत्व छोड़ा जाता है, जिसे जलाए या मारे बिना हटाया नहीं जा सकता है। इस रासायनिक तत्व के कारण, स्कैबीज आसानी से फैल सकता है और अन्य व्यक्तियों को भी संक्रमित कर सकता है। यह कीटाणु एक छोटी से बड़ी ब्राउनिश-ग्रे रंग की चींटी की तरह दिखता है। जो लगभग 0.3 मिलीमीटर लंबा होता है।
स्कैबीज के शुरुआती लक्षण अस्थायी हो सकते हैं और आमतौर पर इस संक्रमण के लक्षणों का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसलिए, इस बीमारी के बारे में समझदारी बरतना और इसके लक्षणों को जानना बहुत महत्वपूर्ण है।
स्कैबीज के शुरुआती लक्षण
खुजली: स्कैबीज संक्रमण का सबसे प्रमुख लक्षण खुजली होता है। यह खुजली शरीर के अलग-अलग जगहों पर हो सकती है, जैसे कि हाथ, पैर, नाक आदि। खुजली बहुत ही असहनीय हो जाती है जिससे त्वचा पर घाव भी बन जाते हैं और ये घाव संक्रमण को बढ़ाने का काम करते हैं।
दाने: स्कैबीज संक्रमण का दूसरा लक्षण दाने होना है। इन दानों का आकार छोटा होता है और इन्हें आसानी से देखा नहीं जा सकता है।
इन अंगों में हो सकती हैं स्कैबीज की समस्या
- कलाई
- कुहनी
- बगल या आर्मपिट
- निप्पल
- लिंग
- कमर
- नितंब
- अंगुलियों के बीच का हिस्सा
इस बीमारी से बचे रहने के लिए अपनाएं ये उपाय
- स्कैबीज से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखें। आपको अपने शरीर को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए।
- स्कैबीज माइट्स को मारने और खुजली से राहत पाने के लिए एलोवेरा जेल का इस्तेमाल करें।
- स्कैबीज की माइट्स फर्नीचर, कपड़ों और बिस्तर से भी फैल सकते हैं, तो शरीर के साथ-साथ इन चीज़ों को भी साफ-सुथरा रखें।
- स्कैबीज के ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर क्रीम, लोशन या मलहम लगाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा इसके इलाज के लिए ओरल मेडिसिन भी आती हैं।