अधिकारी बनकर पुलिस पेंशनरों के खातों से करोड़ों उड़नेवाले गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार
May 8, 2023वाराणसी, 08 मई । साइबर क्राइम थाना की पुलिस टीम ने पुलिस व पीएसी कर्मियों के पेंशन खातों से करोड़ों रूपये उड़ानेवाले साइबर जालसाजों के गिरोह के दो और सदस्यों को रविवार को गिरफ्तार कर लिया। गिरोह के सदस्य बिहार और बलिया के निवासी है। इस मामले के छह आरोपितों को पुलिस पहले गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। गिरफ्तार जालसाजों में निर्भय उर्फ चन्दन यादव व दीपक यादव है। इन्हें पुलिस टीम ने रविवार को कैंट थाना क्षेत्र के माल गोदाम रोड से गिरफ्तार किया है।
यह कार्रवाई पुलिस उपमहानिरीक्षक वाराणसी परिक्षेत्र अखिलेश कुमार चौरसिया, क्षेत्राधिकारी साइबर क्राइम अविनाश चन्द्र सिन्हा के निर्देशन में साइबर थाने की टीम ने की। पकड़े गये दोनों जालसाजों ने बताया कि हमलोग पहले फोन पर विभिन्न लोगों को विभिन्न स्कीम, केवाई अपडेट, पैसा दोगुना करने व पेंशनर से उनके पेंशन संबन्धित कार्यवाही कराने का झांसा देकर आधार कार्ड व पैन का की छाया प्रति मंगाते हैं। कई बार पुलिस का अधिकारी बनकर जांच के नाम पर डरा धमका कर हमलोग आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि मंगा लेते हैं। इसके लिए अपने TURECALLER व WHATSAPP पर डीपी व नाम पुलिस अधिकारी का फर्जी रूप से लगा लेते हैं।
आधार नम्बर, पैन नम्बर बेस्ट कार्ड प्रिन्ट पोर्टल व डिजिटल पोर्टल से भरकर अपना फोटो व अन्य लोगों का फोटो लगाकर आधार कार्ड पैन कार्ड बना लेते हैं। इसे साफ्टवेयर के माध्यम से कूटरचित बनाकर किसी भी दुकान पर प्रिंट करा लेते हैं। इस फर्जी आधार कार्ड के माध्यम विभिन्न शहरों में जाकर फर्जी नाम से लिए गए सिम नंबर के माध्यम से बैंकों में खाता खुलवाते हैं। इसके बाद पेंशनरों, सरकारी कर्मचारियों व अन्य लोगों को फोन कर केवाईसी अपटेड या पेंशन के संबन्ध में खानापूर्ति के नाम फर्जी बैंक अधिकारी या ट्रेजरी अधिकारी बनकर पैसा गायब कर देते हैं। फिर उन रूपयों को विभिन्न वालेट व खाता में डालकर निकाल लेते हैं। इसमें काफी अच्छा लाभ होता है।
उन्होंने बताया कि गिरोह में सभी का काम बंटा है। जैसे फर्जी सिम का व्यवस्था करना, फर्जी खाता नंबर, नेट से सर्च कर कर्मचारियों, अधिकारियों व व्यक्तियों का नंबर व विवरण प्राप्त करना, कर्मचारियों, अधिकारियों, व्यक्तियों को फोन करना, फर्जी वालेट तैयार करना, एटीएम से पैसे निकालना, सरकारी लाभ के नाम पर विभिन्न एटीएम व पासबुक डाक से मंगाना आदि कार्य हम सभी मिलकर करते हैं। प्रत्येक फर्जी खाता के लिए सरकारी का 50000 रूपये तक तथा प्राइवेट बैंक का 25000 रूपये तक दिया जाता है। फर्जी सिम का रेट 1000 रूपये है। हमलोग अपना नाम व पता हमेशा गलत बताते हैं और एक स्थान पर ज्यादा समय तक नही रहते। वाराणसी, कानपुर, अयोध्या, दिल्ली, जमशेदपुर, पटना, नालंदा आदि शहरों में जाकर खाता खुलवाकर साइबर अपराध में करते हैं।