Mahasamund News : आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रति लोग जागरूक हो रहे हैं : डॉ. पल्लवी
April 27, 2023महासमुंद ,27 अप्रैल । श्रेयन आयुर्वेद व पंचकर्म चिकित्सालय रायपुर के तत्वाधान में गुरुवार को निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में 150 से ज्यादा विभिन्न व्याधियों का उपचार एवं चिकित्कीय परामर्श व निःशुल्क औषधियां देकर लाभान्वित किया गया। शिविर महासमुंद शहर के स्वाध्याय भवन में आयोजित हुआ। शिविर का शुभारंभ आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरी के पूजन के साथ सुबह 9 बजे से हुआ। रजिस्ट्रेशन के लिए सुबह से ही लाइन लगना शुरू हो गई थी।
संस्था की संचालक डॉ. पल्लवी क्षीरसागर ने बताया कि शिविर में वात रोग, चर्म रोग, स्त्री रोग के अलावा पेट जोड़ों में दर्द आदि अन्य जटिल रोगों का परीक्षण एवं उसका उपचार अनुभवी चिकित्सकों डॉ. यशवंत चंद्राकर, डॉ. अंकुर कदम और डॉ. शीतल कदम द्वारा किया गया। विभिन्न रोगों से पीड़ित लोगों को स्वस्थ जीवन शैली, आयुर्वेदिक औषधि चिकित्सा एवं घरेलू उपचार के बारे में जानकारी देते हुए औषधीय पौधों के बारे में भी अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे लोगों में आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। लोग आयुर्वेदिक औषधियों लेना पसंद कर रहें हैं। कोरोना काल के बाद इसमें और ज्यादा इजाफा हुआ है और लोगों को काफी फायदा हुआ है।
डॉ. पल्लवी ने बताया कि शिविर में महासमुंद में बच्चों को स्वर्णप्राशन का लाभ देने यह पहला शिविर है। बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए स्वर्णप्राशन को महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे बच्चों के शारीरिक व बौद्धिक विकास को भी बढ़ावा मिलता है। शिविर में लगभग 60 बच्चों को पहली खुराक दी गई। यह खुराक पुष्य नक्षत्र में दिया जाता है। जो महीने में एक बार आता है। शिविर में 10 वर्ष के लक्ष्य, 12 साल के अभिनीति साहू और राघव ने स्वर्णप्राशन का पहला खुराक लिया। वहीं क्लब पारा निवासी श्रीमती कुंती देवांगन अपने दो नातियों के साथ शिविर में पहुंची उन्होंने भी बच्चों को स्वर्णप्राशन करवाया।
श्रीमती देवांगन ने बताया कि यह शिविर यहां पहली बार लगा है। डॉक्टरों ने अच्छी सलाह दी और दवाइयां भी फ्री में दी गई। संजीव कुमार साहू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोरोना के चलते आयुर्वेदिक दवाईयों की मांग बढ़ी है और लोग घरेलू उपचार भी करने लगे है। इससे उन्हें में भी स्वयं फायदा हुआ है। इस कारण शिविर की जानकारी मिलते ही वह अपने परिवार के साथ शिविर में आए हैं। शिविर में बच्चे, बूढ़े और महिलाओं ने बढ़ी संख्या में भाग लिया।