गर्भवती महिलाओं के लिए किया पोषण वाटिका विकसित, आरआरवीयूएनएल व अदाणी फाउंडेशन के विभिन्न कार्यों से पीईकेबी के स्थानीयों को मिल रहे कई लाभ
July 28, 2022साल्हि; 28 जुलाई I छत्तीसगढ़ राज्य में सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में सुदूरवर्ती आदिवासी गांव में किशोरियों, शिशुवती और गर्भवती महिलाओं और विशेषकर बच्चों के लिए पोषण आपूर्ति सुनिश्चित करना बेहद आवश्यक है। हालांकि वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकार की कई सुपोषण योजनाएं संचालित है किन्तु इसकी जानकारी में कमी से आज भी कई परिवार कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। राजस्थान राज्य विद्युत् उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के सामाजिक सरोकार के तहत अदाणी फाउंडेशन के द्वारा परसा ईस्ट और केते बासेन (पीईकेबी) खदान के आसपास के ग्रामों में सुपोषण योजना संचालित किया जा रहा है। जिसके तहत गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं और बच्चों की पोषण तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही अदाणी फाउंडेशन की टीम द्वारा लाभार्थियों को पर्याप्त पौष्टिक सब्जियों की निरंतर आपूर्ति के लिए पोषण वाटिका उनके ही घरों में विकसित करने प्रेरित कर रही है।
अदाणी फाउंडेशन के द्वारा सुपोषण योजना के प्रथम चरण के तहत जुलाई 19 से पीईकेबी के ग्राम साल्ही, तारा, जनार्दनपुर, घाटभर्रा, फत्तेपुर, परसा, शिवनगर और बासेन के आठ किसानों से पोषण वाटिका के विकास के लिए शुरुआत की गयी। जिसमें उन्हें हरी सब्जियों के रोपण की जानकारी और बीज प्रदान कर निर्माण की विधि तथा प्रशिक्षण दिया गया। वहीं आने वाले दिनों में इसे 200 किसानों तक विकसित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि अदाणी फाउंडेशन पीईकेबी के सभी चौदह ग्रामों में आर्गेनिक फार्मिंग या जैविक खेती के लिए भी सभी स्थानीय किसानों को प्रशिक्षण प्रदान कर और धान के उन्नत बीज उपलब्ध कराया है। इससे उत्पादन में वृद्धि खेती में कम लागत पर हुई है। इसे देख कर अन्य क्षेत्र के किसान भी प्रोत्साहित हो रहे है।
क्या है पोषण वाटिका का सिद्धांत:
पोषण वाटिका के माध्यम से शिशुवती और गर्भवती महिलाओं को सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करके आहार विविधता को बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। साथ ही यह उनके परिवार और समुदाय में कुपोषण से निपटने के लिए खाद्य सुरक्षा और विविधता प्रदान करने के लिए एक स्थायी मॉडल साबित हो सकता है।
कैसे किया जाता है निर्मित:
इसके लिए आठ फीट व्यास का एक चक्र विकसित करना होता है जिसमें सात भाग होते हैं। प्रत्येक भाग में एक सब्जी का बीज बोया जाता है। इस तरह सातों भाग में एक सप्ताह में प्रत्येक दिन के लिए एक हरी सब्जी का आहार लाभार्थी के भोजन का भाग होता है। इसमें सब्जी के बीज मौसम के अनुसार लगाया जाता है। जैसे वर्तमान के मौसम में बैंगन, मिर्च, लौकी, करेला, भिंडी, भाजी (पालक और लाल भाजी) और अन्य हरी सब्जियां को लगाया गया है।
क्या है इसका महत्व:
पोषण वाटिका का उद्देश्य जैविक खेती के सिद्धांत पर बच्चों को ताजा खाद्य उत्पादों की खपत की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करने और महिलाओं और बच्चों के बीच पौष्टिक आहार की कमी को दूर करने तथा बाहरी निर्भरता को कम कर समुदायों को उनकी पोषण सुरक्षा के लिए आत्मानिर्भर बनाना है। न्यूट्री-गार्डन अर्थात पोषण वाटिका अपने आप में एक सर्वोत्तम आहार विविधता, पोषण सुरक्षा, कृषि-खाद्य खेती, स्थानीय आजीविका सृजन और पर्यावरणीय स्थिरता के कई लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता है। साथ ही यह समुदाय के सदस्यों को उनके घर के पीछे खाली पड़े जगहों में स्थानीय खाद्य फसलें जैसे ताजी सब्जियों की एक सस्ती, नियमित और आसान आपूर्ति के साथ उगाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
गौरतलब है कि आरआरवीयूएनएल अपने सामाजिक सरोकार के अन्तर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका संवर्धन और ग्रामीण संरचना विकास के कई कार्यक्रम संचालित करता है। जिसमें इस माह शिक्षा के क्षेत्र में ग्राम परसा के सरकारी प्राथमिक शाला में छात्रों को कोरोना से बचाव के लिए हाथ धोने के महत्व और घाटबर्रा गांव में लर्निंग इम्प्रूवमेंट क्लास के लिए पहल की गयी। इसके साथ ही आजीविका संवर्धन के तहत विकसित की गयी महिला उद्यमी बहुउद्देशीय सहकारी समिति की महिलाओं द्वारा अपने समूह में ही तैयार मसालों, सेनेटरी पैड, फिनायल इत्यादि का विपणन अभी हाल ही में वनविभाग के द्वारा शुरू किये गए सी-मार्ट के माध्यम से जिला मुख्यालय में किया गया। वहीं ग्रामीण संरचना विकास के अंतर्गत ग्राम साल्ही में सोलर स्ट्रीट लाइट भी लगायी जा रही है।