MahaShivratri 2023 : महाशिवरात्रि पर इस बार बन रहे हैं कई दुर्लभ संयोग, जानिए भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के उपाय?
February 9, 2023हिन्दू धर्म में त्योहारों व व्रतों का विशेष महत्व होता है। वहीँ भोलेबाबा की उपासना से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी को है। भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का महाशिवरात्रि सबसे बड़ा पर्व है। मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान शंकर मां पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन भक्त महादेव के लिए उपवास रखते हैं और पूजा करते हैं।
इस दिन सच्ची भक्ति और निष्ठा के साथ व्रत करने वालों से महादेव अवश्य प्रसन्न होते हैं और उनकी समस्त मनोकामना पूरी करते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि महाशिवरात्रि का पावन दिन साधना करने के लिए उत्तम माना जाता है। साथ ही इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास भी मानी जा रही है। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष का होना धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ और मंगलकारी है। शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति की कामना के साथ रखा जाता है।
18 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष होने से भगवान शिव जल्द ही आपकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। इसके साथ यह व्रत शनि दोष दूर करने में बहुत ही उत्तम माना गया है। महाशिवरात्रि पर जल में काले तिल डालकर शिवजी का अभिषेक करने से आपको शनि की महादशा से राहत मिलेगी।
महाशिवरात्रि पर शाम 5 बजकर 42 मिनट से 19 फरवरी सूर्योदय तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में शिवजी की पूजा करने से और व्रत रखने से साधक को परमसिद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग धन लाभ और कार्य सिद्धि के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस शुभ योग में कोई भी नया कार्य, बिजनेस या फिर नौकरी में नई शुरुआत करना अच्छा परिणाम देने वाली मानी जाती है।
महाशिवरात्रि, शनि प्रदोष व्रत और सर्वार्थ सिद्धि योग उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें और जल में काला तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ का निरंतर जाप करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं। महाशिवरात्रि के दिन पूजा के समय भोलेनाथ को कुल 21 बेलपत्र एक-एक करके अर्पित करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें। इस उपाय का पालन करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और साथ ही शनि देव का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।