Valentine’s Day के बारे में हर अखबार छापता है,पर 29 जनवरी को ‘भारतीय अखबार दिवस’ सब भूल गए
January 29, 2023हजारों साल पहले जब चीन ने पेपर की खोज की तब जाकर के यह सपना साकार हुआ और आखिरकार हमनें पशुओं के चमङे, पत्थरों इत्यादि पर लिखना बंद कर कागज को अपनाया। जबकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे प्लूटो व अरस्तू जैसे दार्शनिकों के विचारों का यह प्रयास है। खैर दोनों ही बात काफी हद तक सही है लेकिन साधारण तौर पर हम कह सकतें हैं कि जैसे – जैसे मानव सभ्यता विकास की दिशा में आगे बढ़ने लगी और हम आधुनिक होने लगे हमने अपने जीवन को सुगम-सहज बनाने के लिए खोज किया और इन्हीं अविष्कारो में से एक अखबार भी है। हमारी अखबारी यात्रा लगभग आज से 400 साल पहले भारत में अखबार व्यापारीकरण के मकसद से ही कोलकाता में आया क्योंकि कोलकाता उस दौरान भी व्यापार का मुख्य केंद्र था और आज भी है।
लेकिन धीरे-धीरे हम इसकी उपयोगिता को देखे व समझे तो इसका प्रयोग जनता को जागरूक करने के लिए या यूं कहें कि आजादी की लड़ाई में हथियार के रूप में इस्तेमाल किए और बात अगर आज के मिडिया काल या सूचना काल की करें तो देखेंगे कि केवल भारत में लगभग 70 हजार अखबार कम्पनियां हैं और यह संख्या बढती जा रही हैं। जिस तरह से अखबार समय के साथ बदलता व बढ़ता जा रहा है तो हमें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अखबार ने क्रांतिकारी अदा के साथ – साथ देश को सूचना व आर्थिक क्षेत्रों में विस्फोटक गति दी है जो कि अविस्मरणीय है।
हम सब भी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि इतनी मँहगाई के जमाने में भी अखबार ही एकमात्र हैं जो कि आसानी से व दो-चार रूपये में मिलता है और मनोरंजन के साथ-साथ समाचार और जानकारी विस्तृत रूप से देता है, जिसको हम अपने समय के अनुसार शांति से पढ़ कर संग्रह कर सकते हैं। सारे खबरों का खबर रखने वाला अखबार ही आज अपने दिवस में अपने ही पन्ने से गायब हैं पर पाठकों के दिल में जिंदा है और जिंदा रहेगा, बस यही शुभकामनाएं हैं “भारतीय अखबार दिवस” पर।