महानदी ट्रिब्यूनल ने मांगा तालाब और फसल का ब्यौरा
January 28, 2023रायगढ़,28 जनवरी । महानदी जल विवाद का जल्द पटाक्षेप हो सकता है। बताया जा रहा है कि मार्च में कार्यकाल समाप्त होने के पहले कोई फैसला आ जाएगा। इसके पहले ट्रिब्यूनल ने रायगढ़ जिले में निजी तालाबों की संख्या भी मांगी है। 20 सालों में फसल विविधता पर भी एक रिपोर्ट मांगी गई है। ओडिशा सरकार ने 19 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार जल संसाधन मंत्रालय को एक शिकायत की थी, जिसमें कहा गया था कि छग सरकार ने महानदी बेसिन के अपने हिस्से में कई बैराजों का निर्माण कर बहाव रोक दिया है। इस वजह से ओडिशा के लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है। रायगढ़ में भी कलमा और साराडीह बैराज का निर्माण किया गया।
इनका निर्माण करने के पूर्व ओडिशा से सहमति नहीं लिए जाने की शिकायत भी की गई थी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 12 मार्च 2018 को महानदी जल विवाद ट्रिब्यूनल का गठन किया है। इसका कार्यकाल तीन साल का था जिसे दो साल का विस्तार दिया गया है। 11 मार्च 2023 को ट्रिब्यूनल का कार्यकाल खत्म हो रहा है। अब तक सुनवाई में दोनों राज्यों की तकनीकी टीम से कई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। अंतिम सुनवाई के दिनों में ट्रिब्यूनल ने 2000-01 से 2021 तक सिंचित क्षेत्र की ब्लॉकवार जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।
मतलब महानदी में बैराज बनने के बाद से सिंचाई रकबे में कितनी बढ़ोतरी हुई है, यह देखा जाएगा। साथ ही निजी तालाबों की संख्या व क्षेत्रफल भी मांगा गया है। ओडिशा सरकार लंबे समय से छग में महानदी पर बने बैराजों पर रोक लगाने की मांग कर रही है। ट्रिब्यूनल को इस पर फैसला लेना है। छग के बैराजों से उद्योगों को ज्यादा पानी दिया जाना है। सिंचाई के लिए कोई संसाधन विकास नहीं किए गए हैं। नॉन मानसून अवधि में महानदी में जल बहाव घटने से परेशानी हो रही है। छग सरकार का कहना है कि महानदी बेसिन में राज्य के अंदर निर्माण करने से वर्षा जल संरक्षण क्षमता बढ़ी है। इसके लिए ओडिशा की सहमति लेनी जरूरी नहीं है।