शराब माफियाओं के खिलाफ ड्रोन का इस्तेमाल, इस राज्य की पुलिस ने पहली बार किया सफल प्रयोग
January 18, 2023अब तक यही देखा सुना जाता रहा है कि कोई भी देश सीमाओं की हिफाजत और निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. पाकिस्तान तो हालांकि ड्रोन का इस्तेमाल चोरी-छिपे पंजाब सीमा पर ड्रग-हथियार स्मगलिंग के लिए भी करता रहा है. ड्रोन के सदुपयोग के मामले में उत्तराखंड राज्य अब इन सबसे भी चार कदम आगे निकल रहा है. इस राज्य की पुलिस ने ड्रोन के जरिए घने-बियाबान जंगलों में मौजूद अवैध शराब को अड्डों को तबाह करना शुरु कर दिया है. यह काम राज्य पुलिस में सबसे पहले किया है धर्म की नगर कहे जाने वाले हरिद्वार जिले की पुलिस ने.
मंगलवार को टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में यह जानकारी हरिद्वार जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने दी. उन्होंने का फिलहाल यह एक प्रयोग के तौर पर उठाया गया कदम था. जिसमें उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली है. अवैध और कच्ची शराब के उत्पादन का धंधा मुख्य रूप से, शहरी इलाकों से दूर किसी सूनसान या फिर जंगलात वाले इलाकों में ही किया जाता है. इसके पीछे अवैध शराब निर्माताओं और तस्करों का मानना है कि, जहां वे घने जंगलों में अवैध शराब बनाते हैं. वहां तक पुलिस का पहुंचना आसान नहीं होता है. क्योंकि इनके अड्डों को तबाह करने से पहले उनकी मौजूदगी वाले स्थानों को पहचानना-चिन्हांकित करना जरूरी है.
नाजायाज फायदा उठा रहे अवैध शराब निर्माता और तस्कर
पुलिस के लिए यही वो मुश्किल काम है. जिसका नाजायाज फायदा अवैध शराब निर्माता और तस्कर उठा रहे थे. इसीलिए इस बार हरिद्वार पुलिस ने तय किया कि, क्यों न ड्रोन को घने जंगलों, नदी-नालों के उन सूनसान किनारों के ऊपर उड़ाकर देखा जाए, जिन स्थानों पर इस तरह कै अवैध धंधे (कच्ची शराब उत्पादन) अंजाम दिए जाते हैं. बकौल, एसएसपी हरिद्वार, प्रयोग के तौर पर हरिद्वार जिला पुलिस द्वारा अमल में लाया गया यह कदम बेहद कारगर साबित हुआ है. संभव है कि आइंदा ड्रोन से निगरानी करके बाकी स्थानों पर भी (उत्तराखंड के अन्य इलाके) इस तरह के अवैध शराब उत्पादन के अड्डों को पकड़े जाने की कोशिशों अमल में लाई जाएं।
पुलिस ने बनाई रणनीति
एसएसपी हरिद्वार के मुताबिक, ड्रोन को घने जंगल और जंगल के बीच मौजूद नालों के ऊपर उड़ाकर, कच्ची शराब के एक बड़े अड्डे का पता लगाया गया. उसके बाद तय किया गया कि उस अड्डे तक पुलिस खुद को सुरक्षित कैसे पहुंचाए? रणनीति बनाई गई कि किसी भी तरह से पुलिस के इस कदम की भनक शराब माफियाओं को न लग सके. इसमें पुलिस कामयाब रही और जंगल में मौजूद कच्ची शराब के अड्डे को तबाह कर दिया गया. कच्ची शराब के अड्डे को पहली बार ड्रोन से तलाश कर तबाह करने के क्रम में, 10 हजार लीटर लाहन (नकली देसी शराब) जब्त कर लिया गया. साथ ही मौके से पड़ी तादाद में शराब बनाने के उपकरण भी मिले. जिन्हें पुलिस ने मौके पर ही तबाह कर दिया.
जंगल में शराब की फैक्ट्री, ड्रोन से पकड़ी
इस सिलसिले में दो शराब तस्करों के विरुद्ध गुंडा एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. दरअसल हरिद्वार पुलिस ने यह फार्मूला खोजा है, उत्तराखंड को “डिग्री देवभूमि मिशन 2025” के क्रम में. कच्ची शराब और उसकी फैक्टरी जंगल में पकड़ने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हरिद्वार जिला पुलिस द्वारा लक्सर पुलिस टीम ने कोतवाली लक्सर इलाके में किया. जहां से यह अड्डा पकड़ा गया वो डेरा कलाल के घने जंगलो व नालों में मौजूद था. पुलिस छापेमारी कर कच्ची शराब बनाने के लिए गड्ढों के अंदर तिरवाल में छुपाकर रखे गए, करीब 10 हजार लीटर लाहन को मौके पर ही नष्ट कर दिया गया.
गुंडा एक्ट के तहत होगी कार्रवाई
दिन से लेकर देर शाम ढलने तक चले इस अभियान के बाद अब, लक्सर कोतवाली पुलिस टीमें जंगलों व नालों में अड्डा बनाकर कच्ची शराब बनाने के कारोबार में लगे अभियुक्तों को चिन्हित कर रही हैं. जल्द ही आसपास के देहात क्षेत्र के सभी घने जंगलों एवं गुप्त इलाकों/स्थानों पर भी इसी प्रकार कड़ी कार्रवाई करते हुए, अवैध शराब उत्पादन कार्य में लिप्त शराब माफियाओं को चिन्हित कर, उन पर नकेल कसने का यह क्रम आइंदा भी जारी रहेगा. इस प्रकार के अवैध कार्यों में लिप्त रहने वालों के रिकॉर्ड को खंगालते हुए लक्सर पुलिस द्वारा, शराब माफिया संतरपाल पुत्र समय सिंह तथा मोनू पुत्र अमर सिंह, निवासी दाबकी कला थाना कोतवाली लक्सर जिला हरिद्वार के विरुद्ध, गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है.