संकट के बाद भी रॉकेट बना टाटा का ये स्टॉक, एक सुर में एक्सपर्ट बोले- खरीदो, 500 रुपये के पार जाएगा भाव
September 20, 2022टाटा ग्रुप की ऑटो कंपनी Tata Motors के स्टॉक में चार दिन की गिरावट पर ब्रेक लग गया है। सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन यानी मंगलवार को Tata Motors के स्टॉक का भाव 4 फीसदी से ज्यादा चढ़ गया। हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि स्टॉक का भाव रॉकेट की तरह भागने वाला है।
एक्सपर्ट की राय इसलिए भी अहम है क्योंकि टाटा मोटर्स की यूके इकाई जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) सेमीकंडक्टर की समस्या से जूझ रही है। आपको बता दें कि टाटा मोटर्स अपने जेएलआर पर बेहद निर्भर है। ब्रिटेन की यह फर्म कंपनी के राजस्व में 67 प्रतिशत का योगदान देती है।
क्या कहना है एक्सपर्ट का: ब्रोकरेज मोतीलाल ओसवाल टाटा मोटर्स के शेयर को लेकर बुलिश हैं। इसने कंपनी के स्टॉक का टारगेट प्राइस-514 रुपये तय किया है। इस लिहाज से देखें तो निवेशकों को मौजूदा स्तर के मुकाबले 20 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न मिलेगा। इसके साथ ही ब्रोकरेज ने स्टॉक के लिए बाय रेटिंग दी है। मतलब ये कि निवेशकों को खरीदने की सलाह दी गई है।
-प्रभुदास लीलाधर ने टाटा मोटर्स को 510 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ खरीदने की सलाह दी है। ब्रोकरेज ने 435 रुपये का स्टॉप लॉस तय किया है। बीते 14 सितंबर को ब्रोकरेज ने जब यह सिफारिश की तब टाटा मोटर्स के स्टॉक का भाव 453 रुपये था।
– शेयर इंडिया के रिसर्च हेड रवि सिंह ने स्टॉक के लिए टारगेट प्राइस- 520 रुपये तय किया है। ब्रोकरेज के मुताबिक निवेशक 440 रुपये के स्टॉप लॉस के साथ लंबी अवधि के लिए दांव लगा सकते हैं।
आपको बता दें कि इस साल, रूस-यूक्रेन युद्ध से निकले नकारात्मक संकेतों और दुनिया भर में कोविड -19 लॉकडाउन के बाद आर्थिक मंदी ने टाटा मोटर्स के स्टॉक को प्रभावित किया है। वैसे तो स्टॉक में एक साल में 47 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है लेकिन सिर्फ 2022 में 9 फीसदी की गिरावट आई है।
बीएसई पर फर्म का मार्केट कैप 1.45 लाख करोड़ रुपये था। टाटा मोटर्स का स्टॉक 17 नवंबर, 2021 को 52-सप्ताह के उच्च स्तर 536.50 रुपये और 21 सितंबर, 2021 को 52-सप्ताह के निचले स्तर 293.05 रुपये पर पहुंचा था।जिंसों की लागत में बढ़ोतरी और सेमीकंडक्टर की कमी के कारण स्टॉक प्रभावित हुआ है। ब्रोकरेज मोतीलाल का कहना है कि सेमीकंडक्टर की कमी अभी भी टाटा मोटर्स की ब्रिटिश कंपनी जेएलआर के लिए प्रमुख अड़चन बनी हुई है, जो मुनाफे और नकदी प्रवाह को प्रभावित कर रही है।