भोजन करने से पहले थाली के चारों ओर अंजुली से जल का छिड़काव करना चाहिए
November 23, 2022भोजन करने से पहले थाली के चारों ओर अंजुली से जल का छिड़काव करना चाहिए। सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है। हमारे बुजुर्ग आदिकाल से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। भोजन से पहले मंत्र उपचार की भी क्रिया की जाती है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। अन्य का सम्मान होता है और मां अन्नपूर्णा का विशेष आशीर्वाद मिलता है घर में सुख शांति आती है और वैभव बढ़ता है। ज्योतिषाचार्य पंडित वासुदेव शर्मा के मुताबिक स्नान से लेकर भोजन तक सनातन धर्म में कई ऐसी महान बातें हैं जिनका अध्यात्म से रिश्ता है।
इन क्रियाओं के पीछे गहरा विज्ञान और आध्यात्मिक कारण छिपे होते हैं लेकिन हम अक्सर उनके इन वास्तविक अर्थों से अनजान होते हैं। इन्हीं में एक परंपरा है कि भोजन शुरू करने से पहले हाथ में अंजुली भर पानी लेकर थाली के चारों ओर जल छिड़का जाता है। भोजन की थाली के चारों ओर जल का छिड़काव करना और भोजन प्रारंभ करने से पहले मंत्र पढ़ने की परंपरा काफी पुरानी है। उत्तर भारत में इसे आमचन और चित्र आहुति भी कहा जाता है। ग्रामीण अंचल हो या शहर आज भी हम बड़े-बुजुर्गों को इस महान परंपरा का निर्वाह करते हुए देखते हैं।
बिलासपुर के कई मंदिर और विद्यालयों में बच्चों को यह परंपरा सिखाई जाती है। सनातन धर्म के शास्त्रों के मुताबिक, भोजन शुरू करने से पहले थाली के चारों ओर जल का छिड़कना और मंत्रोच्चारण करना इस बात को दर्शाता है कि आप अन्न देवता के प्रति सम्मान प्रकट कर रहे हैं। ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और जातक को अपना भरपूर आशीर्वाद देती हैं। जो लोग इस परंपरा का नियमित रूप से पालन करते हैं, उनकी रसोई हमेशा धन-धान्य से भरी रहती है। वह इसका वैज्ञानिक मान्यता यह है कि जब हम नीचे बैठकर भोजन करते हैं तब थाली के आसपास धूल के कण व कीड़े मकोड़े भी आ जाते हैं I
जल का छिड़काव करने से भी थाली के आसपास नहीं भटकते। यही कारण है कि हमारे बुजुर्ग आज भी इस परंपरा को निभा रहे हैं। राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित रमेश तिवारी का कहना है कि मंदिर में आने वाले सभी भक्तों भोग प्रसाद वितरण के दौरान यह क्रिया कराई जाती है। बिलासपुर के कई स्कूलों में बच्चों टिफिन से पहले जल छिड़काव और मंत्र उपचार भी कराया जाता है।