वनाधिकार कानून की चुनौतियों पर चर्चा, बैगा समुदाय ने उठाई अपनी आवाज

वनाधिकार कानून की चुनौतियों पर चर्चा, बैगा समुदाय ने उठाई अपनी आवाज

March 21, 2025 Off By NN Express

कबीरधाम । छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच द्वारा कबीरधाम जिला मुख्यालय में वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन एवं कमजोर आदिवासी समूहों के लिए उत्पन्न चुनौतियों पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में जिले के 35 से अधिक संगठनों, संस्थाओं और आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

पचराही गाँव की गोमती बैगा ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “वनाधिकार कानून के 20 साल बाद भी हमें अपनी जमीन पर अधिकार नहीं मिला है, हम अब भी दर-दर भटक रहे हैं। यहाँ से हम कलेक्टर ऑफिस जाकर फिर अपनी गुहार लगाएंगे।” बैगा समुदाय, जो कि एक संरक्षित एवं कमजोर आदिवासी समूह है, पूरी तरह वनों पर निर्भर है, लेकिन अभी भी उन्हें उनकी काबिज जमीनों पर अधिकार नहीं मिला है।

ग्रामसभाओं की अनदेखी और अधूरे अधिकार
सर्व आदिवासी समाज के देवन सिंह धुरवे ने कहा कि उनके गाँव ने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार का दावा दो वर्ष पूर्व प्रस्तुत किया था, लेकिन उन्हें केवल आधे-अधूरे अधिकार ही सौंपे गए। उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन द्वारा ग्रामसभा को मान्यता नहीं दी जा रही है।

चोरभट्टी से आए एकता परिषद के शिकारी बैगा ने बताया कि उनके गाँव के 14 परिवारों के पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं, फिर भी प्रशासन ने उनके दावों को अस्वीकार कर दिया।

वनाधिकार कानून की प्रक्रिया को मजबूत करने का आह्वान


बैठक को संबोधित करते हुए चंद्रकांत जी ने कहा कि यह बैठक जिले में कार्यरत संगठनों, संस्थानों और आदिवासी समाज के नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने एवं वनाधिकार कानून की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए आयोजित की गई है।

छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच के विजेंद्र अजनबी ने कहा कि कबीरधाम जिले का वनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बैगा और अन्य वन-निवासी समुदायों की आजीविका और विकास के लिए चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इसलिए ग्रामसभाओं को मजबूत करते हुए सामुदायिक वनाधिकार के तहत संरक्षण और प्रबंधन को सशक्त करना आवश्यक है।

वनाधिकार प्रबंधन की अगली रणनीति
दीपक कुमार ने बताया कि अब तक जिले के 27 गाँवों को संसाधन अधिकार मिल चुके हैं, लेकिन आगे की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि मंच इन गाँवों को प्रबंधन की प्रक्रिया विकसित करने में सहायता करेगा।

इसके अलावा, प्रदेश के आदिवासी विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार, भोरमदेव क्षेत्र में सामुदायिक संसाधन अधिकार दिलाने के प्रयास किए जाएंगे, जहां अभयारण्य के नाम पर दावों को वर्षों से नजरअंदाज किया जा रहा है। जबकि प्रदेश के अन्य टाइगर रिज़र्व में संसाधन अधिकार दिए गए हैं, भोरमदेव क्षेत्र में इसे अब तक अमल में नहीं लाया गया है।

बैठक के अंत में दीपक बागरी जी ने उपस्थित सभी प्रतिनिधियों और संगठनों का धन्यवाद ज्ञापन किया। यह बैठक वनाधिकार कानून की चुनौतियों को समझने और समाधान की दिशा में आगे बढ़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास रही।