कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज ने पं मुन्नालाल शुक्ल की जयंती पर दी श्रद्धांजलि

कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज ने पं मुन्नालाल शुक्ल की जयंती पर दी श्रद्धांजलि

October 20, 2024 Off By NN Express

रायपुर । कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज ने समाज के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व विधायक स्व. पं. मुन्नालाल शुक्ल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक भव्य सभा का आयोजन आशीर्वाद भवन, रायपुर में किया। इस अवसर पर समाज के प्रमुख विद्वानों और गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए और पं. शुक्ल जी के योगदान को याद किया।

समाज के अध्यक्ष अरुण शुक्ल ने सभा की अध्यक्षता करते हुए बताया कि पं. मुन्नालाल शुक्ल ने ब्राह्मण समाज को एकजुट करने और सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके अथक प्रयासों से आशीर्वाद भवन और स्कूल जैसे संस्थानों का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा, “पं. मुन्नालाल शुक्ल ने हमें यह सिखाया कि सेवा और समर्पण ही जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।”

सभा के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने पं. मुन्नालाल शुक्ल के सामाजिक और राजनीतिक योगदान को सराहा। छत्तीसगढ़ प्रदेश कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा के संरक्षक पं. दीपक दुबे ने उनके राजनीतिक जीवन की प्रशंसा की और बताया कि वे रायपुर की कई प्रमुख संस्थाओं के संस्थापक थे, जिनमें इस्कॉन मंदिर, महर्षि विद्या मंदिर और रामजानकी मंदिर टाटीबंध प्रमुख हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य खादी ग्रामोद्योग के पूर्व अध्यक्ष पं. राजेंद्र तिवारी ने अपने संबोधन में कहा, “युवा अवस्था में पं. मुन्नालाल शुक्ल ने हमें राजनीति और समाजसेवा में आने के लिए प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से ही हम समाज और राजनीति में अपनी पहचान बना सके।”

पं. अजय शुक्ल जी, पं. वीरेन्द्र पाण्डेय और पं. शैलेश नितिन त्रिवेदी ने भी सभा में अपने विचार साझा किए और पं. मुन्नालाल शुक्ल के योगदान की सराहना की। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने समाज और राजनीति के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान दिया और उनके जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है।

कार्यक्रम के दौरान सभी उपस्थितजनों ने पं. मुन्नालाल शुक्ल की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनकी स्मृति में “पं. मुन्नालाल शुक्ल मार्ग” नामक सड़क का नामकरण किया गया। अंत में उपाध्यक्ष पं. राघवेंद्र मिश्र ने सभी उपस्थितजनों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर समाज के कई प्रतिष्ठित सदस्य, जैसे पं. रमेश तिवारी, पं. विमल शुक्ल, पं. शारदा प्रसाद बाजपेयी, पं. दीपक कुमार दुबे, पं. अजंय शुक्ल सहित अन्य विद्वान और समाज के सदस्य उपस्थित रहे।