नेशनल लोक अदालत में 22981 प्रकरणों में से 19386 प्रकरणों का हुआ निराकरण
September 21, 2024बेमेतरा । जिला न्यायालय बेमेतरा में 21 सितम्बर 2024, दिन-शनिवार को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें वृजेन्द्र कुमार शास्त्री, प्रधान जिला न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दीप प्रज्जवलन कर लोक अदालत का शुभारंभ कर कार्यक्रम में उपस्थित न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण व न्यायिक कर्मचारीगण को अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण करने के लिए प्रोत्साहित कर शुभकामाएं दी गई।
लोक अदालत में जिला न्यायालय प्रांगण में जिले के कोने-कोने से पक्षकार अपने प्रकरणों के निराकरण के लिए उपस्थित हुये, जिनकी सुविधा के लिए विधिक सहायता डेस्क, स्वचलित चिकित्सकीय वैन, स्वास्थ्य डेस्क व समस्त बैंक, विद्युत विभाग, फाइनेंस कंपनी द्वारा संचालित डेस्क, पक्षकारों हेतु निःशुल्क पौधा वितरण डेस्क लगाई गयी। नेशनल लोक अदालत हेतु जिला न्यायालय में 6 खण्डपीठ और तहसील साजा न्यायालय में 1 खण्डपीठ इस प्रकार जिला में कुल 7 न्यायालयीन खण्डपीठ का गठन कर दो-दो सुलहकर्ता सदस्यों की नियुक्ति की गई। उक्त नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन के अनुक्रम में समस्त न्यायालीन कर्मचारी, पैरालीगल वालेंटियर्स, जिला प्रशासन, जिला एवं जनपद पंचायत, नगर पालिका, विद्युत विभाग, जिले की समस्त बैंको सहित अन्य समस्त विभागों का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ है।
59 करोड 51 लाख रूपये अवार्ड राशि का हुआ वितरण :
जिले में 22702 प्री-लिटिगेशन व लंबित प्रकरणों को निराकरण के लिए रखा गया था, जिसमें से 18489 राजस्व प्रकरण निराकरण कर 57.89 करोड़ राशि का अवार्ड पारित किया गया। 30 विद्युत विवाद 05 बैंक प्रकरण व 14 बी.एस.एन.एल. प्रकरणों का निराकरण कर 7,66,275 राशि की वसूली की गई। न्यायालय में लंबित 80 अपराधिक प्रकरण, 09 सिविल प्रकरण, 21 पारिवारिक प्रकरण, 28 चेक बाउंस 10 मोटर दुर्घटना दावा व अन्य प्रकरण का निराकरण कर 2.89,76,623 राशि का अवार्ड पारित कर जिलें में रिकॉर्ड अनुसार 19386 मामलों का निराकरण किया गया, जहां आपसी सहमति से सुनवाई के बाद पक्षकारों को बीमा, विद्युत व बैंक विवाद और अन्य प्रकरणों में कुल 59 करोड़ 51 लाख रुपए की मुआवजा राशि वितरित की गई।
लोक अदालत में उपस्थित पक्षकारों को विधिक रूप से जागरूक करने के लिए किया गया लघु फिल्मों का प्रसारण :
जिला न्यायालय परिसर में उन्हें विधिक रूप से जागरूक करने हेतु प्रोजेक्टर के माध्यम से घरेलू हिंसा, लैंगिक अपराधों से संबंधित, महिलाओं से छेड़छाड़ व साईबर क्राईम, मोटर दुर्घटना सहित विभिन्न विषयों पर लघु फिल्म दिखायी गयी, जहां पक्षकारों के लिए बैठक व पेय जल की व्यवस्था की गई। साथ ही प्राधिकरण की गतिविधियों की झलकियां भी दिखाई गई।
पक्षकारों को प्रोत्साहन स्वरूप किया गया पौधों का वितरण :
नेशनल लोक अदालत आये ग्रामीण अंचल से पहुंचे पक्षकारों को निःशुल्क पौधा वितरण डेस्क से फलदार, छायादार पौधों का वितरण कर प्रोत्साहित किया गया। साथ ही पक्षकारों के लिए सेल्फी जोन भी रखा गया।
मोटरयान अधिनियम अंतर्गत 38,90,000 रूपये का किया गया अवार्ड पारित :
न्यायालय, बृजेन्द्र कुमार शास्त्री, प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा के न्यायालय में लंबित मोटरयान दुर्घटना दावा प्रकरण में क्षतिग्रस्त हुई मां एवं उसकी 12 वर्षीय पुत्री के पैर फैक्चर होने पर प्रस्तुत दावा प्रकरण में पृथक-पृथक 2,00,000 एवं 1,20,000 रुपए का अवार्ड पारित किया गया। अन्य प्रकरण में धारा 166 मोटरयान अधिनियम 1988 के अतंर्गत मृतक के परिजन द्वारा क्षतिपूर्ति के लिए 1,01,06,000 रुपए के दावे में बीमा कंपनी व पक्षकार के मध्य समझौता करा कर आवेदकगण को कुल क्षतिपूर्ति राशि 14,00,000/- (चौदह लाख रूपये) का अवार्ड पारित किया गया। अन्य प्रकरण में 32 वर्षीय महिला के एक्सीडेंट हो जाने पर उसे 2,80,000 रूपयें अवार्ड पारित किया गया।
माता सीता व देवर लक्ष्मण का उदाहरण देकर भाभी और देवर के बीच न्यायाधीश ने कराया समझौता :
न्यायाधीश उमेश कुमार उपाध्याय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की न्यायालय में घटना थाना मारो का मामला है जिसमें आरोपी द्वारा अपनी भाभी के साथ मारपीट करने का प्रकरण दर्ज किया था। जिसमें न्यायालय के नोटिस पर प्रार्थिया और आरोपी उपस्थित हुए प्रार्थिया के साथ उसके पति जो कि आरोपी का बड़ा भाई था, वो भी उपस्थित हुआ। प्रार्थी आरोपी के साथ राजीनामा नहीं करना चाहती थी लेकिन प्रार्थिया का पति अपने भाई और पत्नि के बीच के विवाद को समाप्त कर राजीनामा कराना चाहता था किन्तु प्रार्थिया राजीनामा नही करने के जिद पर अड़ी रही थी। इसी बीच न्यायाधीश द्वारा माता सीता एवं देवर लक्ष्मण का उदाहरण देकर कहां कि आपसी रिश्ते के महत्व एवं भाई और भाभी के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए। इस बात पर छोटे भाई ने अपनी गलती मानी और अपने बड़े भाई और भाभी से माफी मांगी।
सौतेली मां और बेटा पीठासीन अधिकारी के समझाईश से हुए एक :
न्यायाधीश अनिता कोशिमा रावटे की न्यायालय में पक्षकार अनुसूईया वर्मा व उसके पुत्र के साथ उसके सौतेले बेटे के द्वारा गाली-गलौज व मारपीट का 04 वर्ष से लंबित प्रकरण में आपस में अपने-अपने मनमुटाव के कारण राजीनामा करने के लिए तैयार नहीं थे। परन्तु पीठासीन अधिकारी के द्वारा मातृत्व के महत्व एवं बड़प्पन रखते हुये बेटे को माफ किये जाने की समझाईश दिये जाने पर पुत्र ने मां के पैर छुकर मांगी माफी, मां ने हृदय से पुत्र को माफ कर राजीनामा किया।
घरेलू हिंसा के मामलें में पति-पत्नि के मध्य उपजी आपसी रंजीश हुई खत्म :
न्यायाधीश उमेश कुमार उपाध्याय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में लंबित परिवारिक मामलें में दंपत्तियों का विवाह लगभग 10 वर्ष पूर्व हुआ था, जिसकी 8 वर्षीय पुत्री भी है। विवाह के 03 वर्ष बाद किसी अन्य महिला के कारण पति-पत्नि के बीच विवाद हुआ जिसके कारण पत्नि द्वारा न्यायालय में घरेलू हिंसा का मामला प्रस्तुत किया। न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को समझाईश दी गई कि वे अब पति-पत्नि होने के अलावा माता-पिता भी है और उनकी बच्ची को दोनों की आवश्यकता है तथा आप दोनों को आपसी विवाद को भुलाकर एक साथ रहकर सुखमय जीवन बिताना चाहिए। न्यायालय की समझाईश पर पति-पत्नि के बीच का लगभग 06 वर्ष का पुराना विवाद खत्म हुआ और दोनों न्यायालय से हंसी-खुशी अपने घर लौट गये। समझौते में बाधा नहीं बन सकती दूरियां वर्चुअल मोड से भी कराया गया समझौता मो. जहांगीर तिगाला के न्यायालय में प्रस्तुत प्रकरण में पूणे में निवासरत् पक्षकार के बीच हुए गाली-गलौच के मामलें को वह समझौते के आधार पर समाप्त कराना चाहता था परन्तु उपस्थित नही हो सका खण्डपीठ अधिकारी ने विडियों कॉन्फ्रेसिंग के जरियें राजीनामा करवाया। परिवार न्यायालय में 06 परिवार हुए एक एवं कुल 21 मामलों को हुआ निराकरण विवाह के 40 वर्ष पश्चात् एक प्रकरण में 58 वर्षीय महिला ने अपने 62 वर्षीय पति के विरूद्ध भरण-पोषण का मामला पेश किया था। माननीय कुटुम्ब न्यायाधीश नीलीमा सिंह बघेल द्वारा दोनों बुजुर्गों की लम्बे समय से काउंसलिंग की जा रही थी नतीजन आज वे दोनों साथ जाने के लिए राजी हो गये। अन्य प्रकरण में 18 वर्षीय वैवाहिक दंपतियों को 01 वर्षीय पुत्री के पहले जन्म दिवस पर न्यायाधीश द्वारा समझा-बुझाकर विवाद को खत्म कराया। माता-पिता की गोद में बालिका का जन्म दिवस मनाते हुए मिठाई खिलाई।
अन्य प्रकरण में लम्बे समय से मामूली झगड़े के चलते अलग-अलग निवासरत् पति-पत्नि न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय नीलिमा सिंह बघेल की समझाईश पश्चात् हुए एक। मामला पुलिस चौकी देवकर का है जिसमें शादी के दो वर्ष पश्चात् पति-पत्नि के बीच आपसी वाद-विवाद होने के कारण एक-दूसरें अलग रह रहें थे। न्यायाधीश नीलिमा सिंह बघेल की समझाईश पर दोनों ने एक-दूसरें को माला पहनाकर माफ किया और न्यायाधीश द्वारा जीवन की एक नई शुरूवात करने की शुभकामना देते हुए तुलसी पौधा व सप्तऋषि सात वचन की प्रतिलिपि भेंट दी गई और मिठाई खिलाकर दंपतियों को वैवाहिक जीवन का महत्व को बताते हुए नेशनल लोक अदालत में राजीनामा करने हेतु धन्यवाद दिया। सभी 06 परिवार हंसी-खुशी न्यायालय परिसर से बिदा हुए।
आरबिट्रेशन/निष्पादन प्रकरण में हुआ राजीनामा :
खंडपीठ क्र. 03 में पीठासीन अधिकारी देवेन्द्र कुमार द्वारा श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी लिमिटेड ने एक निष्पादन (आर्बिटल अवार्ड) प्रकरण क्र. 69/2023 इस न्यायालय में एवार्ड की राशि 38,11,772/- रुपए प्राप्त करने के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया था। जिसमें निर्णितऋणी के विरूद्ध चल संपत्ति कुर्की वारंट इस न्यायालय से जारी हुआ था। उक्त प्रकरण में समझाईश देने पर निर्णितऋणी की आर्थिक दशा को देखते हुए फायनेंस कंपनी ने 38,11,772/- रुपए के स्थान पर 1,20,000/- रूपये में समझौता किया। उसी प्रकार दुसरे प्रकरण में क्र. 40/2023 में इस न्यायालय में एवार्ड की शीश 3,73,426/- रुपएप्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था जिसमें भी निर्णितऋणी की आर्थिक स्थिति को देखते हुए खण्डपीठ द्वारा समझाईश दिये जाने पर फायनेंस कंपनी के द्वारा राशि 3,73426/- रुपए के स्थान पर 50,000/- रुपए में समझौता किया जाकर मामलें का निराकरण किया गया।