क्षमा और मार्दव धर्म के समान ही आर्जव धर्म भी आत्मा का स्वभाव है : पंडित रोहित शास्त्री
September 12, 2024(कोरबा) क्षमा और मार्दव धर्म के समान ही आर्जव धर्म भी आत्मा का स्वभाव है : पंडित रोहित शास्त्री
- बुधवारी बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहा पर्यूषण पर्व
कोरबा : “क्षमा और मार्दव धर्म के समान ही आर्जव धर्म भी आत्मा का स्वभाव है। आर्जव स्वभावी आत्मा के आश्रय से आत्मा में छल-कपट, मायाचार के अभाव रूप, शांति स्वरूप जो पर्याय प्रकट होती है उसे ही आर्जव कहते हैं।”
उक्त कथन बुधवारी बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे तीसरे दिन पर्यूषण पर्व के अवसर पर धर्म के 10 लक्षणों को और अधिक परिभाषित करते हुए जयपुर से पधारे पंडित श्री रोहित शास्त्री ने कहा। उन्होंने तीसरा लक्षण उत्तम आर्जव पर प्रकाश डाल बताया कि “जिस व्यक्ति के अंदर जितनी अधिक सरलता होगी। वह उत्तम आर्जव धर्म कहलाता है। मन, वचन, काय की कुटिलता को दूर कर मृदुता एवं सरलता का पालन करना ही उत्तम आर्जव है। सम्यक दर्शन, समय ज्ञान, सम्यक चारित्र को पालन करना चाहिए। देव, शास्त्र और गुरु का स्मरण करने से उत्तम आर्जव धर्म का पालन होता है। यदि इन तीनों के प्रति समर्पित नहीं हुए, तो मन, वचन, काय की कुटिलता होती है। जहां मिथ्या दर्शन, मिथ्या ज्ञान, मिथ्या चरित्र का ज्ञान होता है। वहां मन वचन काय की कुटिलता को दूर करना एवं सरलता का पालन करना ही उत्तम आर्जव है। इसके विपरीत मायाचारी है। व्यक्ति में धर्म, कर्म, व्यापार आदि ऐसा कोई स्थान नहीं जहां मायाचारी नहीं होती है। इस प्रकार से धर्म हमने तो समझ लिया, जान तो लिया, लेकिन इसके पालन करने पर ही उत्तम आर्जव धर्म का पालन होता है। कुटिलता ही जीवन के लिए घातक होती है। इसके भाव छिपे रहकर व्यक्ति विश्वास घात करने लगता है। माया कषाय के अभाव का नाम ही उत्तम आर्जव धर्म है।”
समस्त जैन धर्मावलंबियों ने पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म को बहुत अच्छे ढंग से समझा। समिति के समस्त संरक्षकगण, पदाधिकारी, कार्यकारिणी एवं सभी सदस्यों ने धर्म का लाभ लिया एवं अपने जीवन में उतारने हेतु संकल्प लिया। रात्रि में 7:00 बजे संगीतमय आरती, बालक-बालिकाओं की भजन प्रतियोगिता और विविध वेशभूषा प्रतियोगिता संपन्न की गई। साथ ही पुरुष वर्ग ने भजन प्रतियोगिता प्रस्तुत की। जिसका जैन समाज के सभी लोगों ने आनंद उठाया। प्रातः कालीन बेला में प्रातः 7:00 से श्री जी का अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजा, देव-शास्त्र-गुरु पूजा एवं 10 लक्षण धर्म की पूजा अर्चना की गई। श्री जी की शांति धारा जे.के. जैन एवं देवेंद्र कुमार जैन ने की।
उक्त कार्यक्रम में समिति के संरक्षक राजेंद्र जैन, शांत कुमार जैन, अजीत लाल जैन, सुधीर जैन, अध्यक्ष जयकुमार, उपाध्यक्ष दिनेश जैन, मुकलेश जैन सचिव नेमीचंद जैन, कोषाध्यक्ष महेंद्र जैन, सांस्कृतिक प्रभारी मनीष जैन, अखिलेश जैन, अभय जैन, सुनील जैन, राजानारद, विशाल जैन, वीरेंद्र जैन, राहुल जैन, राकेश जैन, ओमी जैन, आनंद जैन सहित सभी सपरिवार उपस्थित रहे। महिलाओं की ओर से स्नेहलता जैन, रेनूनारद, अंतिम जैन, मंजू लता जैन, शशि जैन, ज्योति जैन, रेखा जैन, उषा जैन, मीना जैन एवं समस्त महिला मंडल ने धर्म लाभ लिया। उक्त कार्यक्रम की समस्त जानकारी उपाध्यक्ष दिनेश जैन, जैन मिलन समिति के द्वारा दी गयी हैं।