शिक्षकों की पदोन्नति-पदस्थापना में बड़ा घोटाला, सरकार ने आदेश किया निरस्त
August 31, 2024रायपुर, 31 अगस्त। राज्य में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान शिक्षकों की पदोन्नति और उसके बाद की गई पदस्थापना में बड़े पैमाने पर घोटाले का मामला सामने आया है। इस प्रक्रिया, जो पढ़ने में सरल और सहज प्रतीत हो रही थी, को कुछ अधिकारियों ने इतना जटिल और संभावनाओं से भरा बना दिया कि भ्रष्टाचार के लिए पूरे अवसर खुल गए। प्रमोशन के बाद पदस्थापना में की गई अनियमितताओं की शिकायतें राज्य सरकार तक पहुंचीं, जिसके बाद राज्य सरकार ने संभागायुक्तों को जांच के निर्देश दिए थे।
जांच के लिए संभागायुक्तों द्वारा गठित कमेटियों ने पखवाड़े के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसमें बिलासपुर संभाग में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले का खुलासा हुआ। रिपोर्ट में बताया गया कि पदोन्नति के बाद पदस्थापना देने में शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया है। इसके बाद, राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए पदस्थापना आदेश को निरस्त कर दिया।
हाईकोर्ट पहुंचे 700 से ज्यादा शिक्षा
शासन के आदेश के बाद, स्कूल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि सभी शिक्षकों को एकतरफा कार्यमुक्त किया जा रहा है, और अगर वे 10 दिन के भीतर पूर्व में दी गई पोस्टिंग पर ज्वाइन नहीं करते, तो उनका प्रमोशन निरस्त कर दिया जाएगा। अकेले बिलासपुर संभाग में 700 से अधिक शिक्षकों की संशोधित पदस्थापना हुई थी। राज्य सरकार के इस आदेश के बाद 150 शिक्षकों ने तुरंत रिलीव ले लिया, लेकिन 600 से अधिक शिक्षक निरस्त आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गए और आदेश को बहाल करने की मांग की। हाई कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे दिया, जिससे याचिकाकर्ता शिक्षक अनिश्चितता की स्थिति में फंस गए हैं।
इस मामले में तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि सरकार ने केवल उन तबादलों को निरस्त किया है, जिनमें व्यापक गड़बड़ी हुई थी, और न तो प्रमोशन और न ही पूर्व की पोस्टिंग को निरस्त किया गया है।
दुर्ग के तत्कालीन प्रभारी संयुक्त संचालक जीएस. मरकाम के खिलाफ शुरू हुई विभागीय जांच भी इस मामले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शिक्षकों के बयान और जांच अधिकारी की रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।