दिल्ली में होगा छत्तीसगढ़ की लोक कला का प्रदर्शन
July 18, 2024बलौदाबाजार l समीपस्थ ग्राम पंचायत सकरी के एक साधारण किसान कुलेश्वर वर्मा की बेटी शीलमणी वर्मा छत्तीसगढ़ की पारंपारिक चित्रकला को दिल्ली में आयोजित होने वाली “द हाट ऑफ आर्ट” प्रदर्शनी में प्रदर्शित करेंगी। यह प्रदर्शनी 26 से 28 जुलाई तक आयोजित होगी। शीलमणी वर्मा द्वारा बनायीं जाने वाली चित्रकला में गोंड आर्ट, मंडला आर्ट, पिछवाई, और माडर्न एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग शामिल हैं। हालांकि, उन्हें गोंड चित्रकला में विशेष लगाव है और वे बच्चों को भी लोक चित्रकला बनाना सिखाती हैं।
गोंड कला की विशेषता
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक गोंड कला चित्रकला आदिवासी कलाकृति का एक आकर्षण और जीवंत रूप है। यह जनजाति की रहन-सहन की खुली किताब है। गोंड जनजाति भारत की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी जनजातियों में से एक है। गोंड कला की उत्पत्ति दीवारों की सजावट से हुई है जिसे वे अपने घर में अपने दैनिक जीवन के हिस्से के रूप में बनाते थे। गोंड कला की विशेषता पौराणिक और लोककथाओं से जुड़ी है जिसमें प्रकृति और जीव-जंतु की आकृतियां को चटकारे रंगो से बनाते है और प्रत्येक आकृति को सूक्ष्मता से भरने वाले पैटर्न धरियों व छोटी छोटी बिंदु से सजाया जाता है।
शीलमणी वर्मा का कहना है, “गोंड चित्रकला छत्तीसगढ़ की जीवनशैली का एक प्रमुख अंग है। आधुनिक समय में हम देख रहे हैं कि धीरे-धीरे हमारे छत्तीसगढ़ की परंपरा विलुप्त होती जा रही है। पहले प्रत्येक घर में यह कलाकृति की छवि देखने को मिलती थी, जो आज नहीं दिखती है। इसी परंपरा को पुनः जगाने और आने वाली पीढ़ी को लोक कला की सरलता और सौंदर्य बताने का यह एक छोटा सा प्रयास है। मेरा आप सभी से आग्रह है कि सभी दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित होने वाली प्रदर्शनी को देखने अवश्य आएं।”
शीला मणी वर्मा की कला प्रदर्शनी छत्तीसगढ़ की पारंपरिक कला और संस्कृति को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो दर्शकों को इस अद्भुत लोक कला की ओर आकर्षित करेगा।