अडानी से जुड़े 19 साल पुराने मामले में दिलचस्प मोड़, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला….
July 11, 2024नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय के एक आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी. इस आदेश में राज्य सरकार से मुंद्रा बंदरगाह के पास 2005 में अडानी समूह की कंपनी को दी गई लगभग 108 हेक्टेयर चारागाह भूमि को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा गया था.
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने ‘अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड’ की अपील पर गौर किया कि न्याय के हित में इस आदेश पर रोक लगाना जरूरी है. पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए. आदेश पर रोक लगाई जाए.’’ राज्य सरकार ने पांच जुलाई को हाईकोर्ट को सूचित किया था कि वह लगभग 108 हेक्टेयर ‘गौचर’ भूमि वापस लेगी जो 2005 में अडानी समूह की कंपनी को दी गई थी.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘गुजरात राज्य के राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के हलफनामे पर गौर करते हुए हम संबंधित प्राधिकारी/अधिकारियों से कानून के अनुरूप प्रक्रिया पूरी करने की अपेक्षा करते हैं.’’ अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 जुलाई निर्धारित की थी. कच्छ जिले के नवीनल गांव के निवासियों ने अडानी की कंपनी को 231 एकड़ ‘गौचर’ भूमि आवंटित करने के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी.
2005 में 16 गावों की 231 हेक्टेयर जमीन अडानी समूह की एक कंपनी APSEZ को दी गई. यह जमीन जमीन पशुओं के चरने योग्य 276 हेक्टेयर भूमि का हिस्सा थी. इन गावों में से एक नवीनल भी था जिसने कंपनी के खिलाफ कोर्ट केस फाइल किया. परेशानी 2010 में उस वक्त शुरू हुई जब कंपनी ने इस जमीन को कटीले तारों से घेरना शुरू कर दिया. गांव वालों का कहना था कि उनके पास अब केवल 45 हेक्टेयर जमीन ही पशुओं को चराने योग्य रह गई. 2014 में राज्य सरकार ने तय किया कि नवीनल को 387 हेक्टेयर भूमि दी जाएगी. हालांकि, ऐसा नहीं किया गया.